NDTV द्वारा मध्य प्रदेश में 'पोषण आहार घोटाला' उजागर करने के बाद विधानसभा में हंगामा, प्रश्नकाल 2 बार स्थगित

मध्यप्रदेश विधानसभा ने मॉनसून सत्र के दूसरे दिन बुधवार को राज्य में पोषण आहार पर हुए कथित घोटाले पर विपक्षी दल कांग्रेस ने एक दिन पहले दिये गये स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करने से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मामले में वक्तव्य देने तथा पार्टी के कुछ सदस्यों को तख्तियों के साथ सदन में प्रवेश से रोकने के मामले में जमकर हंगामा किया.

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 मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वह पोषण मामले पर भ्रम फैलाया जा रहा है.
भोपाल:

NDTV द्वारा मध्य प्रदेश में पोषण आहार योजना में हुई अमियमितता की खबर दिखाए जाने के बाद राज्य विधानसभा (Madhya Pradesh Legislative Assembly) के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन यानी बुधवार को जमकर हंगामा हुआ. कथित घोटाले पर विपक्षी कांग्रेस (Congress) ने एक दिन पहले दिये गये स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करने से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) द्वारा मामले में वक्तव्य देने तथा पार्टी के कुछ सदस्यों को तख्तियों के साथ सदन में प्रवेश से रोकने के मामले में जमकर हंगामा किया. इस हंगामे के कारण प्रश्नकाल के दौरान दो बार सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी, जबकि बाद में दोपहर एक बजकर 25 मिनट पर सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई.

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रश्नकाल से पहले मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वह पोषण मामले पर भ्रम फैलाया जा रहा है. इसलिए मैं इस पर सदन में वक्तव्य देना चाहता हूं, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने उन्हें प्रश्नकाल पूरा होने के बाद अपना वक्तव्य देने की अनुमति दे दी. अध्यक्ष की इस अनुमति से नाराज होकर नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर हमने एक दिन पहले 15 स्थगन प्रस्ताव दिए हैं, इसलिए पहले उन पर चर्चा हो और उसके बाद मुख्यमंत्री इस पर अपना वक्तव्य दें. लेकिन अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच इस मांग को खारिज कर दिया.

इसके बाद प्रश्नकाल शुरू हुआ तो कुछ देर बाद आदिवासी कांग्रेस सदस्य पांचीलाल मेडा ‘गुंडा गर्दी नहीं चलेगी' नारा लगाते हुए सदन में कुछ अन्य पार्टी सदस्यों के साथ आये और कहने लगे कि उन्हें विधानसभा गेट पर सुरक्षा कर्मियों ने रोककर उनका हाथ तोड़ दिया है. इसके बाद कांग्रेस सदस्य आसंदी के पास चले गये और नारेबाजी करने लगे. इसी बीच, कांग्रेस सदस्य आरिफ मसूद ने कहा कि सभी कांग्रेस विधायकों को गेट पर सुरक्षा कर्मियों ने रोका है.

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इस पर अध्यक्ष ने कहा कि यह गंभीर विषय है. आवेदन दीजिए. मैं निश्चित रूप से जांच कराकर कार्रवाई कराऊंगा. इस पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हम चाहते हैं कि सदन की गरिमा बनी रहे. कांग्रेस सदस्य तख्तियां लेकर अंदर सदन में आ रहे थे. तख्तियों को रोका, इन्हें नहीं रोका. तख्तियां लेकर आएं, कमंडल लेकर आएं, ये नहीं चलेगा. इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि तख्तियां सदन के अंदर नहीं लाए थे, परिसर में ला रहे थे. इसके बाद अध्यक्ष ने कहा, ‘‘चतुर्थ सूची पढ़ लीजिये, भीतर या बाहर आचार संहिता उल्लंघन के सामान न लाएं. बिल्ले नहीं लगाएंगे, प्रदर्शन नहीं करेंगे. आवेदन दीजिए. मैं निश्चित रूप से जांच कराऊंगा और कार्रवाई कराऊंगा.'' अध्यक्ष के जवाब से नाराज होकर कांग्रेस विधायक आसंदी के आगे फर्श पर बैठ गये और हंगामा करने लगे. इसके बाद मिश्रा ने कहा कि किसी सदस्य का हाथ नहीं टूटा. किसी को खरोंच भी नहीं आई, सदन के सामने बता दें, किसका हाथ टूट गया.

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इसके बाद मेडा मंत्री मिश्रा की सीट पर गये और अपने हाथ-पैर में आई चोट दिखाने लगे. भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा को पकड़कर बताने लगे कि मेरे साथ गेट पर सुरक्षा कर्मियों से इस तरह की हरकत की. इस दौरान शर्मा एवं मेडा के बीच थोड़ा झूमाझटकी हुई और इसके बाद कांग्रेस विधायक मेडा को वहां से उनकी सीट पर ले जाने लगे. इस दौरान विपक्षी दल का हंगामा जारी रहा जिसके चलते अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी. जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने कहा कि आदिवासी विधायक मेडा को सदन में आने से रोकने के मामले में चर्चा होनी चाहिए. इस पर मंत्री ने कहा कि चर्चा इस पर होनी चाहिए कि सदन में गिरेबान भाजपा सदस्य का कैसे पकड़ा, क्या सदन में गिरेबान पकड़ सकते हैं किसी दूसरे सदस्य का. सदन की गरिमा तार-तार की जा रही है. उनकी हिम्मत कैसी हुई हमारे सदस्य के गिरेबान पकड़ने की. उन्हें माफी मांगना चाहिए. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आदिवासी विधायक का अपमान किया गया है.

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इसके बाद अध्यक्ष ने कहा कि आदेश कर दिया है, आप सदस्य (मेडा) के साथ मेरे कक्ष में आ जाइए. लेकिन कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा जारी रखा, जिसके कारण अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही फिर प्रश्नकाल तक (दोपहर 12 बजे तक) के लिए स्थगित कर दी. इसके बाद जब सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को पोषण आहार पर अपना वक्तव्य देने को कहा, जिस पर नेता प्रतिपक्ष ने मांग की कि पहले पोषण आहार पर 15 सदस्यों द्वारा दिये गये स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा होनी चाहिए और बाद में मुख्यमंत्री इस पर अपना वक्तव्य दें. नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर तानाशाह होने का आरोप भी लगाया.

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जैसे ही मुख्यमंत्री ने पोषण आहार पर अपना वक्तव्य देना शुरू किया, तो कांग्रेस सदस्य आसंदी के पास खड़े हो गये और मुख्यमंत्री एवं सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इस बीच कांग्रेस सदस्य कहते रहे कि यह लोकतंत्र की हत्या है और अपमान है. अपने वक्तव्य में चौहान ने कहा, ‘‘महालेखाकार की (पोषण आहार) रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा होगी. विधानसभा लोक लेखा समिति को भी जाएगी. महालेखाकार की रिपोर्ट अंतिम नहीं है. हम तथ्यों को बारीकी से देखेंगे. गड़बड़ी पाये जाने पर दोषियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी, चाहे किसी के शासनकाल (भाजपा एवं कांग्रेस) के दौरान हुई है.'' मुख्यमंत्री का वक्तव्य पूरा होने पर आसंदी के पास खड़े कांग्रेस विधायक वहीं पर फर्श पर बैठ गये और ‘रघुपति राघव राजा राम' भजन गाने लगे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी जारी रखी. इस दौरान अध्यक्ष ने दैनिक कार्य सूची के बाकी विषयों को पूरा करने के बाद सदन की कार्यवाही बृहस्पतिवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

मालूम हो कि कांग्रेस ने छह सितंबर को मध्यप्रदेश महालेखाकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत पोषण आहार या पूरक पोषाहार योजना में करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, जबकि प्रदेश के गृह मंत्री और प्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि महालेखाकार की रिपोर्ट एक राय है न कि ‘‘अंतिम सच्चाई.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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