मधुमिता शुक्ला हत्याकांड : अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई पर SC से फिलहाल रोक नहीं

उच्चतम न्यायालय ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से शुक्रवार को इनकार कर दिया.

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मधुमिता शुक्ला हत्याकांड

उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में कारागार विभाग द्वारा रिहाई का आदेश जारी कर दिया गया है. हालांकि, इस कानूनी लड़ाई में सबसे आगे रहीं मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने कहा कि उन्होंने इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस समय अमरमणि और उनकी पत्नी दोनों गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में हैं.

न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कवयित्री की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार, त्रिपाठी और उनकी पत्नी को नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, ''अगर आपसे सहमत होंगे तो वापस जेल भेज देंगे.''

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मधुमिता की बहन निधि शुक्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दोषी अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की समय से पूर्व की गई रिहाई का विरोध किया गया है. इसके अलावा याचिका में कई और दलील दी गई हैं, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अन्य मामलों मे दिए गए आदेशों का हवाला देकर गलत तरीके से अपनी रिहाई के लिए आधार तैयार किया है. 

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उत्तर प्रदेश में महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा से विधायक रहे और पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी पाया गया था. जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी.  इस मामले के 20 साल बाद अमरमणि त्रिपाठी को अच्छे आचरण की वजह से उनकी बाकी की सजा को माफ कर दिया गया है.

सीबीआई ने की थी जांच

लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 में मशहूर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले पर राजनीति गरमाने के बाद इस हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. जांच के दौरान अमरमणि पर गवाहों को धमकाने के आरोप लगे तो मामले को देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट शिफ्ट किया गया. अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को दोषी करार दिया गया. 

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