फूड प्वाइजनिंग से सरकारी पुनर्वास केंद्र के चार बच्चों की मौत, मरने वाले बच्चे मानसिक रूप से कमजोर

लखनऊ के एक सरकारी पुनर्वास केंद्र के करीब 20 बच्चों को बीमार पड़ने के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया था. इनमें से चार बच्चों की अलग-अलग अस्पतालों में मौत हो गई. जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है.

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लखनऊ:

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक सरकारी आश्रय केंद्र में फूड प्वाइजनिंग की वजह से चार बच्चों की मौत हो गई. मरने वालों में दो बच्चियां शामिल हैं.मरने वाले बच्चों की उम्र 12 से 17 साल के बीच है. इन बच्चों की मौत अलग-अलग अस्पतालों में हुई. करीब 20 बच्चों को अभी भी अस्पतालों में रखा गया है. इनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है. पुलिस ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है.

कब और कहां हुई घटना

खबरों के मुताबिक मंगलवार शाम मानसिक रूप से कमजोर 20 बच्चों को लोकबंधु अस्पताल लाया गया. ये बच्चे अचानक बीमार पड़ गए थे. लखनऊ के जिलाधिकारी विशक जी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, '' इस आश्रय स्थल के कुल चार बच्चों की मौत हुई है. इनमें दो लड़के और दो लड़कियां शामिल हैं.उनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. उनके बिसरा को सुरक्षित रख लिया गया है.''

लोक बंधु राज नारायण संयुक्त अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर राजीव कुमार दीक्षित ने पहले न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि मंगलवार शाम को पुनर्वास केंद्र से करीब 20 बच्चे अस्पताल लाए गए थे. उन्होंने कहा था, "ये सभी बच्चे मानसिक रूप से अक्षम हैं. जब वे अस्पताल लाए गए उनके शरीर में पानी की भारी कमी थी. काफी प्रयास करने के बाद भी हम दो बच्चों को नहीं बचा सके.दो गंभीर रूप से बीमार बच्चों को एक दूसरे सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया. बाकी के 16 बच्चों की स्थिति में सुधार हुआ है.''

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जिलाधिकारी ने जांच के लिए बनाई कमेटी

पुनर्वास केंद्र के बाकी के बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए एक मेडिकल टीम तैनात की गई है. जिलाधिकारी ने बताया कि शेल्टर होम में करीब सात बच्चे चिकित्सा निगरानी में थे. शेल्टर होम में तैनात स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां के बच्चों पर नजर रख रही है. 

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जिलाधिकारी ने कथित फूड प्वाइजनिंग की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है. स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रभावित बच्चों से बातचीत किया.दोनों विभागों ने जांच के लिए खाने के सैंपल लिए हैं.

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जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास सिंह के मुताबिक इस केंद्र में 147 बच्चे रहते हैं. ये बच्चे मुख्य रूप से अनाथ और मानसिक रूप से कमजोर हैं. 

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