"मोहब्बत की दुकान खुदकुशी करके नहीं चलाई जा सकती" : AAP पर कांग्रेस का तीखा प्रहार

अजय माकन ने कहा कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मेरी बात हुई है, सभी लोगों का मानना है कि ये बीजेपी की बी टीम है और इसको बनाया ही गया है ताकि कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए, कांग्रेस को खत्म करने के लिए और आरएसएस और बीजेपी को मदद पहुंचाने के लिए.

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नई दिल्ली:

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से गहमा-गहमी शुरू हो गई है. कुछ दिन पहले ही विपक्षी दलों ने पटना में एक बैठक की थी, जिसका मकसद अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने को लेकर रणनीति बनाने पर था. लेकिन विपक्षी दलों की उस बैठक के दौरान आपसी सामंजस की कमी दिखी. मसलन, आम आदमी पार्टी ने इस बैठक में शामिल होने से पहले कांग्रेस के आगे केंद्र के अध्यादेश का विरोध करने की शर्त रख दी. जिसके बाद विपक्षी दलों के बीच एकता पर ही सवाल खड़े होने लगे. पटना में हुई बैठक और आने वाले समय में कांग्रेस की क्या रणनीति होनी चाहिए इसे लेकर NDTV ने दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन से खास बातचीत की. 

अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से क्या दिक्कत है इससे पहले आपको उनसे पूछना चाहिए कि क्या वो समझौता चाहते भी हैं या नहीं चाहते हैं. एक तरफ वो केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस से समर्थन मांग रहे हैं वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में जाकर खुद केजरीवाल अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी का मजाक उड़ा रहे हैं. उसके बाद जिस दिन विपक्षी दलों की बैठक थी उसी दिन उनके मुख्य प्रवक्ता कांग्रेस के लीडर और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ उल्टा बोलते हैं. वो पहले ये तो तय करें कि वो क्या चाहते हैं. मुझे नहीं लगता कि केजरीवाल जी किसी तरह से भी समझौता चाहते हैं, मुझे लगता है कि वो जेल जाने से बचना चाहते हैं. 

उन्होंने कहा कि वो तो बीजेपी के अपने आकांओं को खुश करने में लगे हैं. वो तो विपक्षी  दलों की बैठक में इसलिए शामिल होते हैं ताकि विपक्षी एकता को खंडित किया जा सके. उनका विपक्षी एकता से कोई मतलब नहीं है. वो पहले भी बीजेपी के ही साथ खड़े रहे थे. ममता बनर्जी से कांग्रेस की बातचीत पर अजय माकन ने कहा कि टीएमसी से बात हो रही है और होनी भी चाहिए. ऐसा इसलिए भी क्योंकि क्या ममता बनर्जी ने कभी कांग्रेस या कांग्रेस के लीडर के खिलाफ कुछ बोला है. कभी नहीं बोला. इसलिए तो बात हो रही है. इसलिए तो लगता है कि समझौता हो. लेकिन केजरीवाल , उनके मुख्य प्रवक्ता कांग्रेस के खिलाफ बोलते हैं. राहुल गांधी और सोनिया जी के बारे बोलते हैं और फिर कहते हैं कि समझौता कर लो. ममता जी ने तो कभी राहुल जी और सोनिया जी के बारे में कभी कुछ नहीं  बोला. ये बुनियादी फर्क है टीएमसी और आम आदमी पार्टी में. इसे समझ लेना चाहिए. 

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विपक्षी दलों की बैठक में बात हुई है कि आप राज्यों की बात ना करें. आप राज्य स्तर पर बात ना करें क्योंकि आप खुद मोहब्बत की दुकान चला रहे हैं, के सवाल पर अजय माकन ने कहा कि देखिए मोहब्बत की दुकान खुदकी खुदकुशी करके तो नहीं चलाई जा सकती. अगर कोई ये चाहता है कि मोहब्बत की दुकान चलाने वाला जो है वो खुदकुशी कर ले तो दुकान भी नहीं रहेगा, वो भी नहीं रहेगा और मोहब्बत भी नहीं रहेगी. 

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क्या कांग्रेस भी बीजेपी द्वारा लाए गए अध्यादेश का विरोध करेगी?

अजय मकान ने कहा कि नहीं ऐसी कोई जानकारी नहीं है. और पार्टी जो फैसला लेगी हम उसके साथ रहेंगे, हम तो सिपाही हैं. लेकिन हम अपनी बात पार्टी के अंदर रखते हैं. इस अध्यादेश के पास होने से दिल्ली की जनता का नुकसान है. केजरीवाल का दिल्ली की जनता के भला करने से कोई लेनादेना नहीं है. मैं आपको बता दूं कि केंद्र सरकार हर साल दिल्ली में पेंशन के ऊपर कर्मचारियों के 5 हजार करोड़ रुपये देती है. केजरीवाल कहते हैं कि 5 हजार करोड़ रुपये का भार दिल्ली की जनता के ऊपर दे दिया जाए ताकि विजिलेंस उनके पास आ जाए. और विजिलेंस अगर उनके पास आ गई तो वो जेल जाने से बच जाएंगे. तो दिल्ली की जनता को यह तय करना है कि 5 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार जो केजरीवाल जी कह रहे हैं कि उनके ऊपर डाल दिया जाए, ताकि विजिलेंस विभाग उनके पास आ जाए और वो जेल जाने से बच जाएं. वो शहनशाह जो 171 करोड़ के अपने शीश महल में रहते हैं. जिनके दो भ्रष्ट मंत्री पहले सी जेल में हैं. तीसरे ये खुद उनके साथ जेल जाने वाले हैं. वो खुदको बचाने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का करभार भी दिल्ली की जनता के ऊपर पड़े क्योंकि ये जेल जाने से बच जाएं. तो मैं नहीं समझता कि दिल्ली की जनता का इससे कोई फायदा होने वाला है. 

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दिल्ली और पंजाब की प्रदेश कमेटी क्या आप के साथ जाने का विरोध कर रही है, क्या आपको लगता है कि आप इतना दबाव बना पाएंगे कि हाईकमान आपकी बात सुनेगा?

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अजय माकन ने कहा कि सिर्फ दिल्ली और पंजाब नहीं गोवा से , गुजरात  से हिमाचल से,हरियाणा से , उत्तराखंड से, असम से, कर्नाटक से, जिन जिन राज्यों में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को मदद करने के लिए अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. उन सब जगहों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मेरी बात हुई है, इन सभी लोगों का यह मानना है कि ये बीजेपी की बी टीम है और इसको बनाया ही गया है ताकि कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए, कांग्रेस को खत्म करने के लिए और आरएसएस और बीजेपी को मदद पहुंचाने के लिए. तो ये स्पष्ट है कि जो दूसरे राज्यों में जाकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो कांग्रेस को खत्म करके विपक्ष को कैसे मजबूत बनाया जा सकता है. 

दिल्ली और पंजाब में अगर आप उनसे कोई समझौता करते हैं तो आप बांकि राज्यों कांग्रेस अपने डैमेज को कंट्रोल कर सकते हैं?

इसपर अजय माकन ने कहा कि उनकी बड़ी मेहरबानी क्योंकि इन जगहों पर तो उनकी 100 परसेंट जमानत जब्त हुई है. ये छोड़ने की बात करते हैं. पिछली दफा 2019 के लोकसभा चुनाव के अंदर आम आदमी पार्टी का वोटिंग परसेंट दिल्ली में हमसे कम था. नई दिल्ली सीट जो केजरीवाल की सीट है वहां से मैं खुद चुनाव लड़ा हूं, वहां केजरीवाल की जमानत जब्त हुई है. और इनकी वजह से ही नई दिल्ली लोकसभा सीट पर बीजेपी जीती है. अब ये कह रहे हैं कि हम इनके लिए सब छोड़ दें ताकि ये फिर खुद सब हार जाएं और बीजेपी को मदद करे दें. दूसरा, पिछली बार का भी मैं आपको याद दिला दूं कि 2019 में भी केजरीवाल ने दिल्ली में कहा था कि तीन सीटें कांग्रेस दिल्ली में ले लें और चार हमें दे दें. मैं चाहता था कि केजरीवाल की बात मान ली जाए. मैंने राहुल गांधी से बात भी की वो मान भी गए. जैसे ही राहुल गांधी ने ट्वीट किया. उसके बाद इन्होंने कहा कि दिल्ली में तो हमारा फैसला हो गया अब हम हरियाणा में सीटें चाहिए पंजाब में भी चाहिए. जबकि उस दौरान उनका हरियाणा और पंजाब में कोई आधार नहीं था. 


2024 में गठजोड़ को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के रास्ते अलग-अलग हैं?

अजय माकन ने कहा कि मैं इस वक्त सिर्फ अपने विचार आपको बता रहा हूं. ये मेरे विचार हैं. और मेरे जैसे कांग्रेस के असंख्य कार्यकर्ताओं के विचार हैं. हम अपने नेताओं को बता रहे हैं, जो हमारे नेता फैसला करेंगे वो हम मानेंगे. क्योंकि हम पार्टी के सिपाही हैं हम पार्टी के बाहर कुछ सोच नहीं सकते. लेकिन हमारा फर्ज है कि हम ये बताएं कि क्या पार्टी के लिए हमारी समझ से अच्छा है, पार्टी जो अंत में निर्णय लेगी वो हम सब मानेंगे. लेकिन मैं ये भी साफ कर दूं कि ये कोई सपोर्ट मांगने का तरीका नहीं है. जो केजरीवाल की पार्टी कर रही है. वो सपोर्ट भी मांग रहे हैं और हमारे नेताओं को गाली भी दे रहे हैं. इसका मतलब कि वो सपोर्ट नहीं चाहते वो बीजेपी के हिसाब से खेल रहे हैं. 


क्या आगे चलकर कांग्रेस नेतृत्व को यह समझना चाहिए कि बीजेपी से लड़ने के लिए सबको साफ रखकर चलना होगा?

अजय माकन ने कहा कि हम सबको मिलकर चलना होगा. एक चीज ये भी तय करना होगा कि बीजेपी एक नेशनल पार्टी है और उसके सामने जब तक एक नेशनल पार्टी ना हो और दूसरी पार्टियां उसके साथ खड़ी ना हो तब तक अगर हम सरकार बना भी लेंगे तो भी 1977 की तरह छह महीने में ही फेल हो जाएंगे. अगर हमको लंबे समय तक बीजेपी के खिलाफ खड़े होना है तो एक मजबूत नेशनल पार्टी सामने चाहिए होगी. और अगर कोई ये सोचे कि कांग्रेस कमजोर करके वो बीजेपी को हरा देंगे या अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे तो ये संभव नहीं है. कांग्रेस को मजबूर रखकर ही दूसरी पार्टियां साथ में जुड़ेंगी तभी जाकर कुछ हो पाएगा.

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