भारत में समलैंगिक विवाह की लड़ाई कितनी लंबी? देखें टाइमलाइन

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने समलैंगिक संबंधों (Same Sex Relation) को 2018 में मान्यता देने पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि वयस्कों की सहमति से निजी स्थान पर बने संबंध को मान्यता दी जाती है.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins

समलैंगिक विवाह

नई दिल्ली:

समलैंगिक विवाह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लंबे इंतजार के बाद आज अपना फैसला (Supreme Court On Same Sex Marriage) सुना दिया है. अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया. बता दें कि समलैंगिक विवाह की लड़ाई भारत में साल 2009 से लड़ी जा रही है.15 सालों की लंबी लड़ाई के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने शादी को मान्यता देने पर अपना रुख साफ कर दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को मान्यता तो साल 2018 में ही दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि वयस्कों की सहमति से निजी स्थान पर बने संबंध को मान्यता दी जाती है. अदालत ने कहा था कि समलैंगिक या विपरीत लिंग वालों के बीच सहमति से सेक्स अपराध नहीं है. पीठ ने सर्वसम्मति से धारा-377 को रद्द करते हुए इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताया था. 

ये भी पढ़ें-समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता मिलेगी या नहीं? आज आएगा 'सुप्रीम' फैसला

कोर्ट ने धारा-377 को अतार्किक और मनमानी वाली धारा बताते हुए कहा था कि LGBT समुदाय को भी समान अधिकार मिलने चाहिए. अदालत ने कहा था कि समलैंगिकता कोई मानसिक विकार नहीं है. धारा-377 के ज़रिए LGBT की यौन प्राथमिकताएं निशाना बनाई गईं. यौन प्राथमिकता बायोलोजिकल और प्राकृतिक है.अंतरंगता और निजता किसी की निजी पसंद है.

 कब से चल रही समलैंगिक विवाह की लड़ाई

17 अक्टूबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को मान्यता देने से किया इनकार, कहा कि यह ससंद के अधिकार क्षेत्र का मामला है.

Advertisement

11 मई 2023: सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिन की सुनवाई के बाद समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर फ़ैसला सुरक्षित रखा.

Advertisement

18 अप्रैल 2023:  समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई.

24 मार्च 2023:  समलैंगिक विवाह से जुड़ी याचिकाओं का विरोध किया गया. हाइकोर्ट के 21 रिटायर्ड जजों ने खुला ख़त लिखा. उन्होंने कहा कि 'इसकी मान्यता भारतीय वैवाहिक परंपराओं के लिए ख़तरा' है. कई धार्मिक संगठनों ने भी इसका विरोध किया.

Advertisement

13 मार्च 2023: CJI की 3 जजों की पीठ ने मामला 5 जजों की पीठ में मामला भेजा.

12 मार्च 2023: केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल सभी याचिकाओं का विरोध किया.

6 जनवरी 2023: हाइकोर्ट में इससे जुड़ी सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफ़र की गईं.

नवंबर-दिसंबर 2022:  समलैंगिक विवाह को मान्यता के लिए 20 और याचिकाएं दायर की गईं.

नवंबर, 2022: समलैंगिक जोड़े ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की गई.

Advertisement

साल 2020-21: दिल्ली में समलैंगिक विवाह के हक़ के लिए 7 याचिकाएं दायर की गईं.

सितंबर, 2020: समलैंगिक विवाह के हक़ के लिए दिल्ली हाइकोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की गई. हाइकोर्ट ने इस मामले पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब.

जनवरी, 2020: समलैंगिक विवाह के हक़ के लिए केरल हाइकोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की गई.

अक्टूबर, 2018: केरल हाइकोर्ट ने लेस्बियन जोड़े को लिव इन में रहने की इजाज़त दी.

सितंबर, 2018: समलैंगिक विवाह का मामला नवतेज सिंह बनाम भारत सरकार हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया.

अगस्त, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना

अप्रैल 2014: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को तीसरे जेंडर के तौर पर पहचान दी.

दिसंबर 2013: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाइकोर्ट का फ़ैसला पलटते हुए समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा.

जुलाई 2009: दिल्ली हाइकोर्ट ने समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर किया.