लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सदन से लेकर बाहर अपनी सक्रियता के लिए जाने जाते हैं. पिछले दिनों में महामारी के दौरान भी सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत निर्माण कार्य को जारी रखने को लेकर सरकार की आलोचना हुई है. वहीं, कई राजनीतिक दलों में दल-बदल और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला है, हमने इसपर और जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र सहित कई मुद्दों पर उनसे एक्सक्लूसिव बातचीत की. लोकजनशक्ति पार्टी में चल रही खींचतान के मामले पर बिरला से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सारी चीजें संसदीय प्रक्रिया के तहत हुई हैं. चिराग पासवान ने उनसे सदन में एलजेपी के नेता के दर्जे से खुद को हटाए जाने के फैसले पर विचार करने को कहा था.
- अपने दो साल के कार्यकाल को कैसे देखते है, क्या उपलब्धियां रही और क्या मुश्किलें सामने आई?
संसद के 2 वर्ष सदन के नेता और प्रधानमंत्री जी के सहयोग से ऐतिहासिक रहे जिसमें हम स्वस्थ चर्चा और संवाद करा पाए. अपने संवैधानिक दायित्वों का पूरा किया. माननीय सदस्यों ने अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन के माध्यम से पहुंचाने का कार्य किया. मैं उनको धन्यवाद देता हूं.माननीय सदस्यों के सहयोग के बिना, सबकी सहमति के बिना सदन के कामकाज की दृष्टि से हम इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं कर पाते. देर रात्रि तक बैठे. कोरोना महामारी के दौरान भी सभी माननीय सदस्यों ने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह किया. सबने सक्रिय भागीदारी निभाई.
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हम चाहते हैं कि देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था संसद के प्रति जनता का और विश्वास भरोसा बढ़े. संसद जनता के प्रति जवाबदेह हो. राष्ट्रहित में कानून बनाने का काम हो. देश की जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कठिनाइयों पर चर्चा हो, समाधान हो. इसके लिए एक सार्थक माहौल वातावरण बनाने की जरूरत है. ऐसा तभी संभव है जब सभी दलों की सहमति और सहयोग हो.
- जुलाई के दूसरे हफ्ते से मानसून सत्र शुरू हो रहा है...कोरोना काल में तैयारी कैसी रहेगी ...प्रोटोकॉल कितना सख़्त होगा?
कोरोना महामारी के समय संसद के दो सत्र चले. संसद की प्रोडक्टिविटी 167% रही. हमारा लोक सभा सचिवालय सदन की कार्यवाही करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. माननीय सदस्यों से आग्रह भी किया है कि सभी लोग वैक्सीनेशन करवाएं. हमारे कर्मचारियों का वैक्सीनेशन हुआ है. हम और सतर्कता और सावधानी बरतेंगे और संभावना है कि संक्रमण की दर को बहुत हद तक खत्म कर देंगे. हम चाहते हैं कि जुलाई में देश में ऐसी स्थिति बने कि कोई भी व्यक्ति संक्रमित न रहे.
- कोरोना काल में भी नई संसद बिल्डिंग और सेंट्रल विस्टा का काम चलता रहा, क्या महामारी के दौरान काम नहीं रोक देना चाहिए था?
जहां तक नए संसद भवन बनाने का प्रश्न है. राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों ने सरकार से आग्रह किया था कि अब नए संसद भवन बनाने की आवश्यकता है. और सदस्यों के आग्रह पर ही सरकार ने नए संसद भवन बनाने की स्वीकृति दी और इसे तय सीमा में पूरा करना है. इसके लिए कोविड-19 से संबंधित मार्ग-निर्देश का पालन किया गया और इसका निर्माण कार्य कोविड-19 संबंधी मार्ग-निर्देश के तहत ही चल रहे हैं. लेकिन संसद में इस मामले को लेकर कोई विरोधाभास नहीं था. उस समय किस समय किसी भी माननीय सदस्य ने आपत्ति नहीं की थी.
- कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बड़े पैमाने पर महामारी फैलने के बावजूद निर्माण-कार्य नहीं रुका.
कोरोना के दूसरे लहर के दौरान सीपीडब्ल्यूडी के निर्माणकर्मियों ने कोरोना मार्गनिर्देश का पूरी तरह पालन किया. हमारा काम निगरानी करने का था.
- 2 साल हंगामेदार रहा है, विपक्ष की शिकायत रही है कि उन्हें उचित मौका नहीं मिलता रहा है?
दो वर्षों की कार्यवाही के दौरान की रिकॉर्डिंग देखेंगे, तो सबसे ज्यादा भागीदारी विधेयक बनाने में रही. 107 विधेयक पारित हुए और 1644 लोगों ने इसमें भागीदारी. देर रात्रि तक सदन चला और जो आवंटित समय था उससे ज्यादा अवधि तक विधेयक पर चर्चा हुई. अन्य विषयों जिन पर भी सदन की आवश्यकता थी चर्चा हुई. अगर हम चर्चा संवाद नहीं कराते, तो इतनी प्रोडक्टिविटी नहीं होती. माननीय सदस्यों के सक्रिय सहयोग के कारण यह सब संभव हो पाया.
- एलजेपी में खींचतान है, चिराग़ पासवान आपके फ़ैसले पर फिर से विचार करने को कह रहे हैं.
लोकसभा में चिराग पासवान का संविधान नहीं चलता! किसी पार्टी का संविधान नहीं चलता! किसी पार्टी का संविधान उनकी अपनी पार्टी के अंदर है. हम संसदीय प्रक्रिया के तहत ही कार्रवाई करते हैं. मुख्य सचेतक के आग्रह पर हम आगे की कार्यवाही करते हैं. यही संसदीय परंपरा है.
- नारदा केस में सीबीआई के रिमाइंडर देने के बावजूद आरोपी सांसदों पर जांच को मंज़ूरी नहीं मिल रही है, जबकि राज्यपाल ने विधायकों के ख़िलाफ़ केस को हरी झंडी दे दी है.
अभियोजन स्वीकृति का मामला एक विधिक मामला है. हमने इस मामले को विधि विशेषज्ञ को भेजा हुआ है. स्पष्ट कानूनी राय मिलने के बाद ही हम करवाई कर पाएंगे.
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टीएमसी ने दो सांसदों को डिस्क्वालिफाई करने के लिए आपको चिट्ठी लिखी है. आरोप है कि उन्होंने पार्टी विरोधी काम किया. दूसरे पार्टी में शामिल हो गए पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं.
दल-बदल कानून की एक प्रक्रिया है. उस प्रक्रिया के तहत उन्होंने शिकायत की है. उसके आधार पर दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई होती है, क्योंकि सभी पक्षों को सुना जाता है. उसके बाद समिति में निर्णय होता है. समिति द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद मामला हमारे पास आता है. फिर हम कार्रवाई करेंगे.
- लोकसभा की कार्यवाही को स्पष्ट, प्रभावी तथा पारदर्शी बनाने के लिए आपकी क्या कार्य योजना है?
हमारा मकसद माननीय सांसदों की दक्षता को बढ़ाने का है. हमारी लाइब्रेरी विश्व की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है. ऑनलाइन सारी किताबें डाल दी गई है. अब तक सारी डिबेटों को ऑनलाइन कर दिया गया है ताकि बाकी सदस्य पढ़ सके. हमने डिजिटलीकरण की अच्छी शुरुआत की है. 16वीं लोक सभा तक 40% नोटिस डिजिटल भेजे जाते थे, अब 90% नोटिस डिजिटल भेजे जाते हैं. हमारी कोशिश सदस्यों को अच्छी सामग्री उपलब्ध कराने की होती है ताकि वे अच्छी चर्चा कर सकें. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के संविधान और संसद की अच्छी छवि के लिए प्रयास कर रहे हैं.हमारी समिति प्रणाली की जवाबदेही है. इस उद्देश्य हेतु कई देशों की संसदों के अधिकारी यहां प्रशिक्षण लेने आते हैं ताकि हमारा लोकतंत्र जीवंत हो सके.हमारा लोकतंत्र प्राचीन संहिता का एक हिस्सा रहा है.