Candidate Kaun: बदायूं से शिवपाल के खिलाफ BJP का कौन? नगीना से 'आज़ाद' पर SP को 'भरोसा'

NDTV अपने खास शो 'खबर पक्की है' के तहत आपको ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर यूपी की बदायूं, नगीना और मुरादाबाद सीट का हाल बता रहा है. आइए जानते हैं कि इन सीटों पर बीजेपी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से किसका पत्ता कटेगा और किसे मौका मिलेगा:-

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समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को बदायूं सीट से चुनावी मैदान में उतारा है.

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर बीजेपी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत तमाम पार्टियां उम्मीदवार चुनने में लग गई हैं. NDTV अपने खास शो 'खबर पक्की है' के तहत आपको ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर पश्चिमी यूपी की हाई प्रोफाइल सीटों बदायूं, नगीना और मुरादाबाद का हाल बता रहा है. आइए जानते हैं कि इन सीटों पर बीजेपी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तरफ से किसका पत्ता कटेगा और किसे मौका मिलेगा.

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बदायूं सीट (पश्चिम यूपी)
पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसानों का इलाका माना जाता है. यहां की कुछ सीटों पर मुस्लिम वोट भी काफी मायने रखता है. समाजवादी पार्टी हो या कांग्रेस या फिर बीएसपी या बीजेपी....हर बड़ी पार्टी यहां अपना वर्चस्व बनाए रखने की कोशिश करती रही है. बदायूं सीट फिलहाल बीजेपी के पास है. पूर्व सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और बीजेपी नेता संघमित्रा मौर्य इस सीट से मौजूदा सांसद हैं.

संघमित्रा मौर्य 2014 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट से मैनपुरी में लोकसभा चुनाव में उतरी थीं, लेकिन मुलायम सिंह यादव से हार गईं थीं. बाद में वो बीजेपी में चली गईं. 

धर्मेंद्र यादव को हराया
2019 के चुनाव में संघमित्रा मौर्य ने समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को हराया था. चुनाव में कुल 10,81,474 कुल वोट पड़े थे. इनमें से संघमित्रा मौर्य को 5,11,352 वोट मिले और उनके प्रतिद्वंदी को 4,92,898 वोट मिले.

बदायूं सीट का सियासी समीकरण
बदायूं में लोकसभा को लेकर सरगर्मियां बढ़ने लगी हैं. ये यादव बहुल सीट है. सपा की ओर से धर्मेंद्र यादव यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं. वो 2009 और 2014 में सांसद भी बने. हालांकि, 2019 में ये सीट सपा के हाथ से निकल बीजेपी के हाथ में चली गई.

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सपा किसे देगी टिकट?
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बदायूं सीट पर अपने चाचा शिवपाल यादव को टिकट दिया है. पिछले तीन चुनावों (2004, 2009 और 2019) में यहां से धर्मेंद्र यादव ही जीतकर संसद पहुंचे थे. इस बार भी धर्मेंद्र यादव को कैंडिडेट बनाए जाने की अटकलें थीं. पहली लिस्ट में उनका नाम भी था, लेकिन बाद में उन्हें शिवपाल यादव से रिप्लेस कर दिया गया. बता दें कि यूपी में इस बार लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और सपा ने हाथ मिलाया है. 

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बीजेपी किसे उतारेगी?
अब बीजेपी की बात करते हैं. हमारी ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी इस बार भी मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य को टिकट दे सकती है. हालांकि, उनका नाम कंफर्म नहीं है. मौर्य के अलावा केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा भी इस सीट पर दावेदार माने जा रहे हैं. बीएल वर्मा फिलहाल उत्तरी पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं. वह भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय में राज्य मंत्री भी हैं. वर्मा बदायूं ज़िले के उझानी के रहने वाले हैं.

बीजेपी की ओर से दातागंज से पूर्व विधायक सिनोद कुमार शाक्य को भी बदायूं सीट से उतारा जा सकता है. इन्हें दीपू भैया के नाम से भी जाना जाता है. दातागंज से ये दो बार विधायक रहे हैं. 2007 और 2012 में ये विधायक बने, लेकिन तब ये बहुजन समाज पार्टी में थे. 2022 में ये बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी की ओर से पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष पूनम यादव का नाम भी चल रहा है. 

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मुरादाबाद (पश्चिमी यूपी)
यूपी की पीतल नगरी मुरादाबाद भी सियासी समीकरण के लिए खासा मायने रखता है. मुरादाबाद राज्य के उन चंद ज़िलों में है, जहां मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है. उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 20 फीसदी के करीब है. मुरादाबाद लोकसभा सीट पर कई तरह के समीकरण देखते हुए ही पार्टियां टिकट देती है. फिलहाल इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्ज़ा है. डॉक्टर सैय्यद तुफ़ैल हसन मौजूदा सांसद हैं.

2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के डॉक्टर सैय्यद तुफ़ैल हसन यानी एस टी हसन ने बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह को हराया था. यहां कुल 12,82,265 वोट पड़े थे. एसटी हसन को 6,49,538 वोट मिले. जबकि उनके निकटकम प्रतिद्वंदी को 5,51,416 वोट मिले थे.

गौर करने वाली बात ये है कि इस सीट से हसन 2014 में भी चुनावी मैदान में थे. तब बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह ने उन्हें हरा दिया था. वैसे सांसद रहते हुए हसन के कई बयानों पर विवाद भी उठा. अब सवाल ये कि 2024 में क्या उनकी सीट पक्की है?

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किसपर दांव खेलेगी बीजेपी?
मुरादाबाद सीट पर बीजेपी से कई नाम चर्चा में हैं. सबसे ऊपर कुंवर सर्वेश कुमार सिंह का ही नाम चल रहा है. पूर्व बीजेपी एक बार फिर उन पर दांव चल सकती है. जफर इस्लाम का नाम भी लिस्ट में है, वो राज्य सभा सांसद रहे हैं और बीजेपी के जाने-माने प्रवक्ता भी रह चुके हैं. 

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कांग्रेस-सपा का गठबंधन किसे देगा मौका?
माना जा रहा है कांग्रेस-सपा का गठबंधन यहां से मौजूदा सांसद एसटी हसन का नाम एक बार फिर पक्का कर सकता है. हालांकि, ये अभी कंफर्म नहीं हुआ है. कमाल अख़्तर का नाम भी चर्चा में चल रहा है. ये मुरादाबाद की कांठ विधानसभा से विधायक हैं. राज्य सभा के पूर्व सांसद भी रह चुके हैं. इन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पढ़ाई की थी. पेशे से वकील भी हैं. माना जा रहा है कि मुरादाबाद में सीधा मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी का होगा

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नगीना सीट (पश्चिमी यूपी)
गीना लोक सभा सीट पहले बिजनौर में आती थी, लेकिन 2008 में इसे अलग कर दिया गया था. ये एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. यहां की 50 फीसदी से ज्यादा की आबादी मुस्लिम है. यूपी की 17 आरक्षित सीटों में एक नगीना भी है. यहां के मौजूदा सांसद बीएसपी से हैं.

2019 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चंद्रा ने बीजेपी के यशवंत सिंह को हराया था. 2019 में यहां कुल 10,09,785 वोट पड़े थे. गिरीश चंद्रा को 5,68,378 वोट मिले, जबकि बीजेपी के यशवंत सिंह के खाते में 4,01,546 वोट गए. माना जा रहा है कि नगीना से कई बड़े चेहरे चुनावी रण में उतर सकते हैं. 

बीजेपी किसे बनाएगी उम्मीदवार?
नगीना सीट पर बीजेपी की ओर साध्वी प्राची का चर्चा में है. वो विश्व हिंदू परिषद की सदस्य रही हैं. संघ की महिला विंग की कार्यकर्ता रही हैं. अक्सर अपने भाषणों के चलते विवादों में है. साध्वी प्राची के अलावा ओम कुमार का नाम भी है. ओम कुमार नहटौर विधान सभा से 2012 में विधायक रह चुके हैं. 

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नगीना सीट पर बीजेपी की लिस्ट में यशवंत सिंह का नाम भी है. वो इसी सीट से पहले सांसद रह चुके हैं. 2019 में बीएसपी के गिरीश चंद्र से हार गए थे. रविदासाचार्य सुरेश राठौर का नाम भी चर्चा में आ रहा है. ये उत्तराखंड के ज्वालापुर से विधायक रह चुके हैं. बीजेपी से रचना पाल का नाम भी चर्चा में आ रहा है. इनके पिता मुंशी रामपाल, बिजनौर से पूर्व सांसद रह चुके हैं. अनिल सूद की दावेदारी पर भी विचार किया जा रहा है. ये बीजेपी के राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं. मध्य प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी हैं.

सपा किसपर जताएगी भरोसा?
नगीना से समाजवादी पार्टी की ओर से मनोज कुमार के नाम की चर्चा है. ये अपर ज़िला जज रह चुके हैं. बिजनौर कोर्ट से वीआरएस लेकर राजनीति में आए. अब सपा के उम्मीदवार की लिस्ट में सबसे पहले हैं. यहां से भीम आर्मी भी अपना उम्मीदवार उतार सकती है. भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आज़ाद का नाम भी चर्चा में है.  

ये कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर आजाद अगर नगीना से चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो समाजवादी पार्टी अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी. वहीं, बहुजन समाज पार्टी किसी गठबंधन में शामिल होगा या उसका कौन उम्मीदवार होगा, ये भी तय नहीं हुआ है.