1-खरगे का शिव Vs राम... कांग्रेस की मुश्किलें तमाम
छत्तीसगढ़ की एक जनसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शिव नाम वाले अपने प्रत्याशी की तारीफ करते हुए कह दिया कि उनका शिव, राम का मुकाबला करेगा. उन्होंने कहा, "शिव कुमार... बराबर ये राम का मुकाबला कर सकते हैं." अब राम और शिव तो एक-दूसरे को अपने देव मानते थे. खरगे के इसी बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता की अदालत में ले गए. पीएम मोदी ने एक जनसभा में कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बेहद गंभीर विषय छेड़ा है. भगवान शिव और राम को लेकर बेहद खतरनाक बयान दिया है. ये गलत इरादे से दिया गया बयान है है. हिंदू समाज को बांटने के लिए खेल खेला गया है. वह राम और शिव भक्तों में भेद देखते हैं, भेद करते हैं और भेद कर लड़ाना चाहते हैं. हजारों साल से चली आ रही हमारी महान परंपरा... राम हों, कृष्ण हों, शिव हों सभी हमारे आराध्य हैं. मुगल भी इस तोड़ नहीं पाए थे. अब कांग्रेस तोड़ना चाहती है.
2- अमेठी-रायबरेली पर लेटलतीफी
पिछले 4-5 दशक से अमेठी और रायबरेली नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ रहा है. ज्यादातर इन्हीं के परिवार के सदस्य यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन पिछली बार अमेठी से राहुल गांधी हार गए थे. ऐसे में कांग्रेस इस उलझन में घिरी रही कि आखिर इन सीटों पर क्या करे...? भाजपा के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने ट्वीट कर तंज कसा- राहुल गांधी कहते हैं कि डरो मत, लेकिन खुद ही अमेठी में डरे हुए हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि पर्चा भरने के आखिरी दिन तक उहापोह की स्थिति बनी रही. वहीं अमेठी से भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने कहा, "मेरे सामने अभी तक कोई उम्मीदवार ही नहीं है. लड़ाई तो तब होगी, जब सामने कोई आएगा." अमेठी-रायबरेली पर लेटलतीफी का असर सिर्फ इन सीटों पर ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के भविष्य पर भी पड़ सकता है. बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं और अमेठी से किशोरी लाल शर्मा चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस ने रायबरेली और अमेठी के लिए अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी शुक्रवार को जारी की.
3- अधीर रंजन चौधरी ने की बीजेपी की तरफदारी!
अधीर रंजन चौधरी को कांग्रेस ने पांच सालों तक लोकसभा में अपनी पार्टी का नेता बनाकर रखा, उनकी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से ऐसी अदावत है कि वह बीजेपी की पैरोकारी करने लगे. वही एक जनसभा में कहा रहे हैं, "टीएमसी को वोट देने से अच्छा है कि बीजेपी को वोट दिया जाए." हालांकि, अब वह वीडियो से छेड़छाड़ का आरोप लगा रहे हैं. ये वही, अधीर रंजन चौधरी हैं, जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर चुके हैं.
4- TMC नेता ने की बीजेपी की तारीफ
बंगाल वाले अधीर बाबू, बीजेपी को वोट दिलाने के लिए अधीर हो रहे हैं, तो उसी बंगाल में टीएमसी के महासचिव कृणाल घोष बीजेपी उम्मीदवारों की तारीफ करने लगे. वहीं, जिस शुभेंद्र अधिकारी ने ममता बनर्जी को हरा दिया था, उनकी भी तारीफ कर रहे थे. कृणाल घोष ने कहा, "वह शख्स (शुभेंदु अधिकारी) अपनी पार्टी ने रोजाना कैंपेन कर रहा है. हमारे लोकसभा नेता क्या कर रहे हैं...? हमारे नेताओं को शुभेंदु अधिकारी से सीखना चाहिए." बयान के बाद टीएमसी ने कृणाल घोष को महासचिव पद से हटा दिया है, लेकिन समस्या यह है कि टीएमसी, किस-किस को ठीक करे.
5- टीएमसी नेता का सांप्रदायिक बयान
पश्चिम बंगाल के भरतपुर से टीएमसी विधायक हुमायू कबीर ने जो बयान दिया है, वो चुनाव को ध्रुवीकरण की ओर ले जा सकता है. ये बयान भी विपक्षी गठबंधन पर उल्टा पड़ता नजर आ रहा है.
6- समाजवादी पार्टी नेता का वोट जेहाद वाला बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शिद की भतीजी मारिया आलम समाजवादी पार्टी की नेता हैं. वह फरुखाबाद में चुनाव प्रचार करने पहुंची, तो वोट जेहाद का राग अलापने लगीं. इस दौरान उन्होंने भाजपा पर जमकर हमला बोला और एक समुदाय विशेष को मिलकर एक ही पार्टी को वोट करने की अपील की. मारिया के इस बयान को धर्म के नाम पर मुस्लिम वोटरों को लामबंद करने वाला माना गया. इसके बाद जहां समाजवादी पार्टी मारिया का बचाव कर रही है, वहीं बीजेपी हमलावर है.
7- दिल्ली में AAP से गठबंधन, कांग्रेस में भगदड़
दिल्ली में आम आदमी पार्टी से हाथ मिलाना कांग्रेस को भारी पड़ रहा है. विरोध इतना बढ़ा कि प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दे दिया. वहीं, शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रहे, राजकुमार चौहान ने भी इस्तीफ दे दिया, जबकि नसीब सिंह और नीजर बसोया जैसे पूर्व विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी है. इस्तीफा देते हुए अरविंदर सिंह लवली ने कहा, "हम आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव जरूर लड़ रहे हैं, लेकिन हमने उन्हें कभी भी क्लीन चिट नहीं दी थी. हमने कभी नहीं माना कि उन्होंने दिल्ली के स्कूलों-अस्पतालों के सुधार किया है."
8- सूरत और इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवारों का पलटना
गुजरात से मध्य प्रदेश तक भाजपा से लड़ने की जिम्मेदारी कांग्रेस पर है. लेकिन गुजरात के सूरत से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी हों या मध्य प्रदेश के इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम... दोनों ही उम्मीदवारों ने ऐन मौके पर अपना नाम वापस ले लिया. ऐसे में कांग्रेस को इन सीटों पर दूसरा उम्मीदवार उतारने का मौका भी नहीं मिला. ऐसे में किसी ने सोशल मीडिया पर चुटकी ली, "किसी भी लावारिस कांग्रेसी को छूना मत, 'बम' हो सकता है.
9- राहुल गांधी का 'शक्ति' से लड़ने का बयान
राहुल गांधी ने यह बयान बहुत पहले दिया था कि वह हिंदू धर्म की शक्ति से लड़ना चाहते हैं. लेकिन चुनाव की सरगर्मी तेज हुई, तो प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दा बना दिया. राहुल गांधी ने कहा था, "हिंदू धर्म में एक शक्ति शब्द होता है, हम शक्ति से लड़ रहे हैं." राहुल गांधी के इस बयान को मुद्दा बनाते हुए पीएम मोदी ने एक सभा के दौरान कहा, "INDI अलायंस ने खुलेआम ये घोषणा की है कि हिंदू धर्म की जिस शक्ति में आस्था होती है, उन्हें इस शक्ति का विनाश करना है.
10- सैम पित्रोदा का 'विरासत टैक्स' वाला बयान पड़ा भारी
कांग्रेस के ओवरसीज विंग के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने अमेरिका में बैठकर वहां कि तरह भारत में 'विरासत टैक्स' लगाने की बात की थी. लेकिन वो भारत में कांग्रेस के लिए घात बन गई. उन्होंने कहा था, "अमेरिका में 55 फीसदी विरासत कर लगता है. सरकार किसी की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का 55 फीसदी हिस्सा ले लेती है. संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए. अगर किसी व्यक्ति के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है, तो उसके मरने के बाद 45 फीसदी संपत्ति उसके बच्चों को और 55 फीसदी संपत्ति सरकार की हो जाती है." इनहेरिटेंस टैक्स की पैरवी करते हुए पित्रोदा ने कहा कि भारत में ऐसा कानून नहीं है. ऐसे मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और वे ऐसी नीतियों की बात कर रहे हैं, जो लोगों के हित में हो ना कि सिर्फ अमीरों के हित में.
इसी विरासत टैक्स वाले बयान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा माहौल बनाया कि हाथ का बटन दबाना... अपनी संपत्ति से भी हाथ धोना हो सकता है.
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