BJP बनाम 'INDIA' : मुस्लिम बहुल श्रावस्ती सीट पर दिलचस्प लड़ाई, जानें- कौन मारेगा बाजी

श्रावस्ती लोकसभा सीट पर पर बीजेपी के साकेत मिश्रा और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार राम शिरोमणि वर्मा के बीच चुनावी मुकाबला होगा. बीजेपी उम्मीदवार साकेत मिश्रा यहां प्रधानों को समझा रहे हैं कि अगर वो सांसद बनते हैं तो बड़े विजन के साथ यहां के पिछड़ेपन को दूर करेंगे.

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श्रावस्ती लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री के करीबी रहे नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं उनके सामने निवर्तमान सांसद राम शिरोमणि वर्मा हाथी का साथ छोड़कर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं. उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब ज़िलों में से एक श्रावस्ती पर क्यों लगी हैं सबकी निगाहें और यहां के क्या हैं मुद्दे? आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.

साकेत मिश्रा पहले IPS बने, फिर सालों तक सिंगापुर में बैंकिंग सेक्टर का अनुभव लिया. अब श्रावस्ती लोकसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार है. उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े कस्बे सिरसिया में वो प्रधानों से मिल रहे हैं. नीति आयोग की लेंस से देखेंगे तो श्रावस्ती का नाम गरीबी इंडेक्स में अव्वल नंबर पर है. लिहाजा साकेत मिश्रा यहां प्रधानों को समझा रहे हैं कि अगर वो सांसद बनते हैं तो बड़े विजन के साथ यहां के पिछड़ेपन को दूर करेंगे.

बीजेपी उम्मीदवार साकेत मिश्रा ने कहा कि इस क्षेत्र का विकास करना मेरी प्राथमिकताओं में हैं. मैं संसद पहुंच बड़े विकास का काम करुंगा. यहां शिक्षा का हाल बहुत खराब है. यहां रोजगार और उद्योग के लिए काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मोदी जी का संदेश और योगी जी का काम जनता तक पहुंचाना है.

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साकेत मिश्रा लोकसभा का अपना पहला चुनाव इंडिया गठबंधन के अनुभवी उम्मीदवार और निवर्तमान सांसद राम शिरोमणि वर्मा से है. राम शिरोमणि वर्मा ने अभी हाल में ही श्रावस्ती के कटरा में से आलीशान कोठी तैयार करवाई है. ताकि उनपर बाहरी होने का ठप्पा न लगे. मूलरुप से अंबेडकर नगर के रहने वाले और 2019 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते रामशिरोमणि वर्मा अब बीएसपी और अंबेडकर नगर दोनों छोड़ चुके हैं.

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आप पर बाहरी का आरोप लगता है और कहा जाता है कि चुनाव जीतने के बाद आप यहां नहीं रुके? इस सवाल के जवाब में राम शिरोमणि वर्मा  ने कहा कि यहां सबसे ज़्यादा रहा हूं. किराए पर रहता था और लोगों के बीच आता जाता था.

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उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब जिला भले ही श्रावस्ती हो. लेकिन इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पूरी दुनिया में है. गौतमबुद्ध ने सबसे ज्यादा दिन तक यहां वर्षा वास करके लोगों को अपने उपदेश दिए, जिसके ऐतिहासिक आधार यहां बिखरे हुए हैं. श्रावस्ती में ढाई हज़ार साल पुराना पीपल का वृक्ष हैं, जिसको खुद महात्मा बुद्ध ने लगाया था. इसको पूजने के लिए देश-दुनिया के लोग आते हैं.

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बीजेपी उम्मीदवार साकेत मिश्रा ने कहा कि इस क्षेत्र का विकास करना मेरी प्राथमिकताओं में हैं. मैं संसद पहुंच बड़े विकास का काम करुंगा. यहां शिक्षा का हाल बहुत खराब है. यहां रोजगार और उद्योग के लिए काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मोदी जी का संदेश और यागी जी का काम जनता तक पहुंचाना है.

श्रावस्ती के पिछड़ेपन की कहानी बहुत दर्दनाक है. श्रावस्ती में एयरपोर्ट, सड़कों का जाल और केंद्रीय विद्यालय विद्यालय खुले हैं. लेकिन कई ऐसे इलाक़े हैं जहां विकास की रोशनी अब तक नहीं पहुंची है. रानियां नदी के किनारे का ये ऐसा इलाक़ा है जहां हजारों लोगों के लिए कारिका का पुल अब तक नहीं बना है. बीते तीस साल से ग्रामीण अपने खर्चे पर इस तरह लकड़ी का पुल बनाते हैं और जान हथेली पर रखकर यहाँ से निकलते हैं. श्रावस्ती में पांच लाख से ज़्यादा मुस्लिम, दो लाख से ज़्यादा कुर्मी वोटर और ढाई लाख ब्राह्मण मतदाताओं के चलते इस सीट पर दिलचस्प सियासी मुक़ाबला है.

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