बात 1997 की है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीजेपी और बीएसपी की गठबंधन सरकार (BJP-BSP Alliance Government) चल रही थी. बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी में छह-छह महीने का मुख्यमंत्री बनने पर डील हुई थी. डील के मुताबिक मायावती (Mayawati) को सितंबर में अपनी सरकार के छह महीने पूरे होने के बाद सत्ता बीजेपी को हस्तांतरित करनी थी लेकिन ऐन मौके पर मायावती ने ऐसा करने से मना कर दिया. हालांकि, सियासी दबाव में मायावती को कुर्सी छोड़नी पड़ी और तब कल्याण सिंह (Kalyan Singh) मुख्यमंत्री बने.
कुछ ही महीनों में मायावती ने बीजेपी से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया, और तब यूपी की सत्ता में राजा भैया की एंट्री होती है. राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक थे. उन्होंने तब मायावती की पार्टी बीएसपी और कांग्रेस के कुछ विधायकों को तोड़कर और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कल्याण सिंह की सरकार बचाने में मदद की थी. कल्याण सिंह ने फिर राजा भैया को अपनी सरकार में मंत्री बनाया था.
फिर यहीं से शुरू होती है मायावती और राजा भैया के बीच राजनीतिक अदावत की कहानी. साल 2002 में जब फिर से बीजेपी और बीएसपी की सरकार बनी तो गठबंधन सरकार फिर हिचकोले खाने लगी. इसी बीच मायावती ने पांच साल पुरानी सियासी रंजिश का बदला राजा भैया से ले लिया. कहा जाता है कि बीजेपी की तरफ से नाम देने के बावजूद मायावती ने 2002 में राजा भैया को मंत्री नहीं बनाया था और उसी साल मायावती ने बीजेपी विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर 2 नवंबर, 2002 को तड़के सुबह करीब 4 बजे राजा भैया को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (POTA) के तहत गिरफ्तार करवाकर जेल में डलवा दिया.
रघुराज प्रताप सिंह की भदरी रियासत की हवेली में भी मायावती ने पुलिस का छापा डलवा दिया था. कहा जाता है कि इस छापे में हवेली से कई हथियार बरामद हुए थे. इसी के बाद राजा भैया पर पोटा लगाया गया था. उनके साथ उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी अपहरण और धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
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मायावती ने साल 2003 में राजा भैया के प्रतापगढ़ स्थित भदरी रियासत की कोठी के पीछे 600 एकड़ में फैले बेंती तालाब को भी खुदवा दिया था. कहा जाता है कि खुदाई में इस तालाब से नरकंकाल मिले थे, जिसके बारे में कई कहानियां हैं. इस तालाब के बारे में ऐसी चर्चा थी कि राजा भैया ने इसमें घड़ियाल पाल रखे हैं और अपने दुश्मनों को इसी तालाब में फेंकवा दिया करते हैं. हालांकि, राजा भैया ने इसका खंडन किया था.
मायावती ने 16 जुलाई 2003 को इस तालाब को सरकारी कब्जे में ले लिया था और इसे भीमराव अंबेडकर पक्षी विहार घोषित कर दिया था. तालाब की चहारदिवारी के पास ही एक गेस्ट हाउस भी बनवा दिया. इसके बाद राजा भैया 10 महीनों तक अलग-अलग जेलों में रहे. जब अगस्त 2003 में मायावती की सरकार गिरी और मुलायम सिंह यादव की सरकार बनी तब मुलायम ने शपथ ग्रहण करने के 25 मिनट के अंदर राजा भैया की रिहाई के आदेश पर दस्तखत कर दिए थे. फिर राजा भैया ने जेल से रिहा होकर न केवल पहली बार अपने जुड़वां बेटों का मुंह देखा बल्कि मुलायम सिंह सरकार में मंत्री भी बने. मुलायम सिंह ने इस तालाब के पक्षी विहार में तब्दील करने के मायावती सरकार के फैसले को भी पलट दिया था.
2007 के विधानसभा चुनावों में मायावती ने नई सोशल इंजीनियरिंग कर फिर से यूपी की सत्ता पर कब्जा जमाया. इस बार वह बिना बैसाखी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार की मुखिया थी. लिहाजा, उन्होंने अपने सियासी दुश्मनों से एक-एक कर बदला लेना शुरू कर दिया. राजा भैया की बारी जल्दी ही आ गई. मायावती ने फिर से उस तालाब को पक्षी विहार बनवा दिया और 2010 के पंचायत चुनाव में एक प्रत्याशी की हत्या के आरोप में फिर से राजा भैया को गिरफ्तार कर लिया गया.
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