लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है. 6 फेज की वोटिंग हो चुकी है. 1 जून को सातवें फेज के लिए वोट डाले जाएंगे. देश में लोकसभा की 48 सीटें ऐसी हैं, जहां मुसलमानों की 30% से ज्यादा आबादी है. पूरे देश की बात करें, हिंदुओं की आबादी 80% की है. जबकि मुस्लिम आबादी सिर्फ 14% है. इनमें से असम और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा मुसलमान आबादी (Muslim Vote Bank) है. इसके बाद केरल, यूपी और बिहार का नंबर आता है. लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दल फिर से गुणा-भाग करने और फॉर्मूला सेट करने में जुटे हुए हैं. इसमें बीजेपी भी पीछे नहीं है. आइए समझते हैं कि असम और बंगाल की मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी कैसे बाज़ी मारती है? जीत के लिए मुस्लिम वोट कितना बड़ा फैक्टर है.
पिछले 3 लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोट पर एक नजर
CSDS लोकनीति के आंकड़ों के मुताबिक, 2009 के इलेक्शन में बीजेपी को 4% मुस्लिम वोट मिले. कांग्रेस को 38% मुस्लिम वोट मिले. अन्य पार्टियों को 58% मुस्लिम वोटरों ने वोट दिया. 2014 के इलेक्शन के आंकड़े देखें, तो बीजेपी को 8% मुस्लिम वोट मिले. कांग्रेस को 38% और अन्य पार्टियों को 54% मुस्लिम वोट मिले. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हिस्से में 8% वोट गए. कांग्रेस को 33% वोट मिले और अन्य को 59% वोट मिले.
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किस राज्य में कितने हिंदू और कितने मुसलमान?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, असम में 62% हिंदू और 34% मुसलमान हैं. पश्चिम बंगाल में 71% हिंदू और 27% मुसलमान हैं. केरल में 55% हिंदू और 27% मुस्लिम आबादी है. उत्तर प्रदेश में 80% हिंदू और 19% मुसलमान हैं. बिहार में 82% हिंदू और 17% मुसलमान हैं. झारखंड में 68% हिंदू और 15% मुस्लिम आबादी है. कर्नाटक की बात करें, तो यहां 84% हिंदू और 13% मुस्लिम आबादी है. दिल्ली में 82% हिंदू और 13% मुसलमान हैं. तेलंगाना में 85% हिंदू वोट और 12% मुस्लिम वोट हैं. महाराष्ट्र में 80% हिंदू वोट हैं और 12% मुस्लिम वोट. गुजरात में 89% हिंदू और 10% मुस्लिम आबादी है.
48 मुस्लिम बहुल सीटों का नतीजा
2014 के चुनाव में बीजेपी ने 48 मुस्लिम बहुल सीटों में से 17 पर जीत हासिल की थी. 2019 के इलेक्शन में बीजेपी ने ऐसी 13 सीटों पर कब्जा जमाया. कांग्रेस ने 2014 के चुनाव में मुस्लिम बहुल 10 सीटें जीती थीं. 2019 में उसे 11 सीटें मिलीं. टीएमसी ने 2014 में मुस्लिम बहुल 5 सीटों पर जीत हासिल की. 2019 के इलेक्शन में उसके खाते में 7 सीटें गईं. बहुजन समाज पार्टी को 2014 में मुस्लिम बहुल एक भी सीट नहीं मिली. लेकिन 2019 के इलेक्शन में उसने 5 सीटें जीती. समाजवादी पार्टी ने 2014 में एक भी सीट नहीं जीती थी. लेकिन 2019 में उसने मुस्लिम बहुल 3 सीटें जीती. जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2019 में 3 सीटें मिलीं. 2014 के चुनाव में पार्टी एक भी मुस्लिम बहुल सीट नहीं जीत पाई थी. अन्य पार्टियों को 2014 के इलेक्शन में 16 सीटें और 2019 के इलेक्शन में 6 सीटें मिली थी.
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मुस्लिम उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट
पिछले 2 चुनावों पर गौर करें, तो मुस्लिम उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट कम रहा है. 2014 के इलेक्शन में 882 मुस्लिम उम्मीदवार थे. इनमें से सिर्फ 23 को जीत मिली. स्ट्राइक रेट 3% रहा. 2019 के इलेक्शन में 819 मुस्लिम उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. इनमें से महज 28 को जीत मिली. स्ट्राइक रेट 3% रहा.
2019 के चुनाव में बंगाल में किसे कितने वोट?
2019 के इलेक्शन में टीएमसी को 22 सीटों पर जीत मिली. वोट शेयर 43% रहा. बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत हासिल की. वोट शेयर 40% रहा. कांग्रेस ने 2 सीटों पर जीत हासिल की और वोट शेयर 6% रहा. लेफ्ट को एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 7% रहा. बंगाल में बीजेपी को 57% हिंदू और 4% मुस्लिम वोट मिले. इसी तरह टीएमसी को 32% हिंदू वोट और 70% मुस्लिम वोट मिले.
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2019 के चुनाव में असम में किसे कितने वोट?
2019 के लोकसभा चुनाव में BJP+ ने 9 सीटें जीती. वोट शेयर 47% रहा. कांग्रेस ने 3 सीटें जीतीं और वोट शेयर 35% रहा. AIUDF ने एक सीट जीती थी. उसका वोट शेयर 8% था. एक सीट अन्य के खाते में गई थी. वोट शेयर 10% था. कांग्रेस को 16% हिंदू और 70% मुस्लिम वोट मिले थे. बीजेपी को 70% हिंदू वोट और 7% मुसलमान वोट मिले.
2019 में हिंदू-मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण
असम में बीजेपी के 70% हिंदू वोट मिले. जबकि कांग्रेस को 70% मुस्लिम वोट मिले. गुजरात में 67% हिंदू वोट मिले 70% वोट कांग्रेस के खाते में गए. बिहार में भी वोटों का ध्रुवीकरण हुआ. यहां 54% हिंदू वोट बीजेपी के खाते में गए. 77% वोट आरजेडी प्लस को मिले. महाराष्ट्र में 63% हिंदू वोट बीजेपी को मिले, जबकि 86% मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिले. यूपी में 60% हिंदू वोट बीजेपी के खाते में गए, जबकि 73% मुस्लिम वोट सपा-बसपा में बंटे. कर्नाटक में 58% हिंदू वोट बीजेपी को मिले और 73% मुस्लिम वोट कांग्रेस प्लस के खाते में गए. पश्चिम बंगाल में 57% हिंदू वोटों ने बीजेपी का साथ दिया. 70% मुस्लिम वोटरों ने टीएमसी को चुना.
मुस्लिम वोट कितना बड़ा फैक्टर?
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "पिछले 2 चुनावों को हम देखें, तो मुस्लिम वोटर काफी न्यूट्रिलाइज होता जा रहा है. यानी मुस्लिम वोट की अहमियत कम होती जा रही है. उसकी बड़ी वजह भी है. 2014 में बीजेपी या पीएम मोदी के सीन में आते ही हिंदू वोटर कॉन्सोलिटेड (समेकित) हो रहा है. हिंदू वोटर राष्ट्रीयता, हिंदुत्व और राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी के पक्ष में है. करीब 44% हिंदू वोटर ने 2019 के इलेक्शन में बीजेपी को वोट किया. दूसरी ओर मुस्लिम वोटरों का इंफ्लूएंस 48 सीटों पर ही है. उसके बाद भी मुस्लिम वोटरों के एकमुश्त वोटों की बात करें, तो अगर 5-6 बड़े राज्यों को छोड़ दिया जाए तो उनका वोट कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों में बंटता है. नंबर के हिसाब से देखें, तो 10 सालों में मुस्लिम वोटरों का प्रभाव कम होता जा रहा. यानी चुनाव में अब वो बड़ा फैक्टर नहीं रहे."
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क्या असम-बंगाल में फिर दिखेगा ध्रुवीकरण?
लोकनीति CSDS के को-डायरेक्टर संजय कुमार कहते हैं, "2024 के इलेक्शन में इन दोनों राज्यों में फिर से हिंदू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की संभावना है. जिस तरह से लोकसभा चुनाव में CAA, NRC उठाया गया है. उसका असर तो दिखेगा. बंगाल में इन मुद्दों की आहट सुनाई पड़ी है. ऐसे में कहीं न कहीं मतदाताओं का ध्रुवीकरण धर्म के आधार पर होना है. असम में भी ऐसी ही संभावना बन रही है."
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "असम में 2014 से पहले मुस्लिम वोट एकत्रित हो जाता था. हिंदू वोट जाति के आधार पर बिखर जाता था. इसकी वजह से असम जैसे राज्यों और यहां तक कि यूपी बिहार जैसे राज्यों में बीजेपी को कम सीटें मिलती थी. अब 2014 और 2019 दोनों चुनावों को देखें, तो असम में हिंदू वोटर बीजेपी के पक्ष में एकजुट हुआ है. पिछले चुनाव में 9 सीटें बीजेपी को मिली थी. जब ध्रुवीकरण होता है तो उसका दोनों तरफ पर असर पड़ता है. जाहिर तौर पर असम में भी ध्रुवीकरण की संभावना है. बीजेपी बहुसंख्यक बहुल सीटों पर अच्छा करती है. अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर वोट बिखरता है."
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