AAP-कांग्रेस गठबंधन की पहली परीक्षा, तीसरे चरण से तय होगी आगे की डगर; दिल्ली पर भी पड़ेगा असर!

ग्राउंड जीरो पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कैडर पंजाब, दिल्ली, गोवा और गुजरात में लंबे समय से आमने-सामने रहे हैं. ऐसे में पूरे देश की नजर गुजरात और गोवा के वोटिंग रुझान पर रहेगा. तीसरे फेज में हो रहे मतदान का असर दिल्ली और हरियाणा पर भी पड़ने की संभावना है.

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नई दिल्ली:

Lok Sabha elections 2024: तीसरे चरण के मतदान के लिए मंगलवार को वोट डाले जाएंगे. देश की 94 सीटों पर जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करेगी. इस चरण में 12 राज्यों में वोटिंग होने हैं. हालांकि सबकी नजर गुजरात की सभी 26 सीटों पर हो रहे मतदान पर है. वहीं गोवा की भी दोनों ही सीटों पर मंगलवार को ही वोट डाले जाएंगे. गोवा और गुजरात को लेकर सबसे अधिक चर्चा इस बात की है कि यह पहली बार होगा जब इन दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और कांग्रेस गठबंधन कर के मैदान में हैं. अपनी स्थापना के बाद से आप गोवा में लगातार वोट पाती रही है. हालांकि इस बार उसने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया है.

पिछले विधानसभा चुनाव में गुजरात में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था. आप को 5 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि पार्टी का वोट शेयर लगभग 13 प्रतिशत रहा था. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार 35 सीटों पर नंबर 2 पर रहे थे. 

गुजरात में AAP 2 और कांग्रेस 24 सीटों पर मैदान में
देश भर में हुए समझौते के तहत आम आदमी पार्टी गुजरात की 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस पार्टी ने 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारा है. आम आदमी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन से चौकाया था. इस बार भरूच और भावनगर से आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि इस गठबंधन का कितना फायदा कांग्रेस और आप को मिलता है. 

गोवा, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में AAP और कांग्रेस का है गठबंधन
इंडिया गठबंधन की कवायद के समय सबसे बड़ी चिंता कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन को लेकर जतायी जा रही थी. राजनीति के जानकारों का मानना था कि कांग्रेस के विरोध को लेकर हुए आंदोलन से उपजी पार्टी शायद कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी. 

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पंजाब को छोड़कर गोवा, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में दोनों ही दलों के बीच गठबंधन है. गोवा में दोनों ही सीटों पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को समर्थन किया है. वहीं दिल्ली में आप 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर मैदान में है. हरियाणा में गठबंधन के तहत आप को 1 सीट मिला है वहीं गुजरात में गठबंधन के तहत 2 सीटें आम आदमी पार्टी के खाते में है.

तीसरे फेज में क्यों है गठबंधन का लिटमस टेस्ट? 
तीसरे फेज को आप कांग्रेस गठबंधन का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. आम आदमी पार्टी ने जिन दो राज्यों में सरकार बनायी है वो दोनों ही राज्य उसने कांग्रेस से झटका है. ऐसे में यह गठबंधन सफल होगा या नहीं इसे लेकर तमाम तरह के सवाल खड़े होते रहे हैं. अब तक हुए 2 चरण के चुनावों में किसी भी सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नहीं थे या आप की मजबूत पकड़ नहीं मानी जा रही थी. यह पहला चुनाव होगा जब इंडिया गठबंधन को आम आदमी पार्टी के वोट बैंक पर नजर होगी और उसके ट्रांसफर होने की उम्मीद होगी. 

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क्या AAP और कांग्रेस की कम हो गयी हैं दूरियां? 
2010 और 2011 में अन्ना आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सरकार पर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जो उस समय राजनीति में नहीं थे ने गंभीर आरोप लगाया था. हालांकि बाद में कांग्रेस पार्टी के सहयोग से ही अरविंद केजरीवाल दिल्ली में पहली बार सीएम बने थे. हालांकि लंबे समय तक दोनों ही दलों के रिश्ते अच्छे नहीं रहे. आम आदमी पार्टी ने पंजाब में भी कांग्रेस को हरा कर सरकार बनाया.  पटना में हुए इंडिया गठबंधन की पहली बैठक में भी अरविंद केजरीवाल के नाराज होने की खबर आयी थी. हालांकि बाद के दिनों में दोनों ही दलों के रिश्तों में सुधार देखने को मिले. 

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अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में हुई रैली में कांग्रेस के बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया था. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल साथ मंच साझा करती हुईं दिखी थी. 

गुजरात और गोवा के वोटिंग पैटर्न का असर दिल्ली पर भी पड़ेगा
ग्राउंड जीरो पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कैडर पंजाब, दिल्ली, गोवा और गुजरात में लंबे समय से आमने-सामने रहे हैं. ऐसे में पूरे देश की नजर गुजरात और गोवा के वोटिंग रुझान पर रहेगा. अगर ग्राउंड जीरो पर दोनों ही दलों के कार्यकर्ता एक दूसरे को मदद करते हुए दिखेंगे तो इसका असर आने वाले चरण के मतदान पर भी होगा. दिल्ली की सभी 7 सीटों पर भी दोनों ही दलों को एक दूसरे से मदद की उम्मीद है. हाल ही में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात भी की थी.

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नॉर्थ गोवा और साउथ गोवा में गठबंधन का कितना असर? 
गोवा में दो लोकसभा सीटें हैं. साउथ गोवा और नॉर्थ गोवा. नॉर्थ गोवा पर पिछले 25 साल से बीजेपी का कब्जा रहा है. इसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है. वहीं साउथ गोवा में 16 चुनावों में से 10 बार कांग्रेस को जीत मिली है . साउथ गोवा की सीट पर 1999 और 2014 को छोड़कर बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली है.

गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में आप को बहुत अधिक सफलता नहीं मिली थी लेकिन पार्टी को लगभग 6 प्रतिशत वोट मिले थे. गठबंधन के तहत आप ने अपने उम्मीदवार को वापस लेकर कांग्रेस को समर्थन करने का ऐलान किया था. 

गोवा में क्या है चुनावी समीकरण? 
उत्तरी गोवा लोकसभा सीट पर भाजपा के मौजूदा सांसद श्रीपद नाइक का मुकाबला कांग्रेस के रमाकांत खलप से होगा जबकि दक्षिणी गोवा सीट पर सत्तारूढ़ दल की प्रत्याशी उद्यमी पल्लवी डेम्पो की टक्कर कांग्रेस उम्मीदवार और नौसैनिक से राजनेता बने विरिएटो फर्नांडिस से है. दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर वर्तमान में कांग्रेस के फ्रांसिस्को सरदिन्हा का कब्जा है. उत्तर और दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर आठ-आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. गोवा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 19 अप्रैल तक राज्य में 11,79,644 मतदाता हैं, जिनमें उत्तरी गोवा निर्वाचन क्षेत्र में 5,80,710 और दक्षिण गोवा निर्वाचन क्षेत्र में 5,98,934 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. 

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