विरासत की सियासत: क्या BJP को चाहिए 2024 में क्षेत्रीय महारथियों के नाम का सहारा?

विरासत की सियासत में बीजेपी की नजर महाराष्ट्र में बाल ठाकरे, बिहार में रामविलास पासवान और झारखंड में शिबू सोरेन की राजनीतिक जमीन पर है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) को लेकर जारी तैयारी के बीच पिछले 24 घंटों में तीन राज्यों में बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हुए हैं जो बीजेपी की रणनीति के एक खास पहलू की झलक दिखा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र, बिहार और झारखंड की. पिछले 24 घंटों में राज ठाकरे दिल्ली आ कर गृह मंत्री अमित शाह से मिले. बीजेपी ने बिहार में लोजपा के खाते की सारी सीटें चिराग पासवान (Chirag Paswan) को दे दी और नाराज पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.  वहीं झारखंड में जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन ने आज पार्टी और विधायकी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया. यह तीनों ही घटनाक्रम बता रहे हैं कि बीजेपी किस तरह क्षेत्रीय नेताओं के नाम को लेकर आगे बढ़ना चाहती है. 

बीजेपी की रणनीति- राज ठाकरे+ चिराग पासवान+सीता सोरेन
महाराष्ट्र में बाल ठाकरे की विरासत पर उद्धव और राज ठाकरे दोनों का दावा है. शिवसेना में फूट के बाद एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ आए. अब राज ठाकरे भी एनडीए का हिस्सा बनने जा रहे हैं. बिहार में रामविलास पासवान की विरासत पर चिराग और पशुपति दोनों ने दावा किया. एलजेपी में टूट हुई, बीजेपी ने पहले पशुपति को आगे बढ़ाया, चिराग को किनारे किया. अब रामविलास पासवान की विरासत चिराग को सौंपते हुए पशुपति से पल्ला झाड़ लिया है. झारखंड में शिबू सोरेन ने अपनी सत्ता बेटे हेमंत सोरेन को सौंपी. लेकिन उनके दूसरे बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन भी दावा करती आई हैं.अब सीता सोरेन बीजेपी के साथ आ गईं.

शिंदे के बाद अब राज ठाकरे, बाल ठाकरे की विरासत पर नजर
महाराष्ट्र की राजनीति में बाल ठाकरे की विरासत पर बीजेपी की लंबे समय से नजर रही है. बीजेपी ने इसी कड़ी में पहले एकनाथ शिंदे को अपने खेमें में लिया. लेकिन महाराष्ट्र से आए कई सर्वे के बाद बीजेपी को यह ऐहसास हुआ कि शिंदे गुट के साथ उतने वोटर नहीं हैं जितने होने चाहिए. ऐसे में अब राज ठाकरे ने अमित शाह से मुलाकात की है. राज ठाकरे, बाल ठाकरे के भतीजे हैं और लंबे समय तक यह माना जाता रहा था कि वही बाल ठाकरे के उत्तराधिकारी होंगे. हालांकि बाद में बाल ठाकरे ने उद्धव को अपनी विरासत सौंप दी. 

Advertisement
पिछले विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी को एक ही सीट मिली थी लेकिन उनकी पार्टी एमएनएस को 2.25 प्रतिशत वोट मिले थे. ऐसे में बीजेपी चाहती है कि ये वोट परसेंट एनडीए के साथ आ जाए. इसके साथ ही दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट से बीजेपी उद्धव ठाकरे की पार्टी के खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार देना चाहती है. ऐसे में बीजेपी को एमएनएस की जरूरत हो रही है.

झारखंड में आदिवासी वोट बैंक पर बीजेपी की नजर
झारखंड में भी पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. आदिवासी बहुल सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. साथ ही पिछले कुछ दिनों में ऐसा माना जा रहा था कि आदिवासी वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा जेएमएम के पक्ष में गोलबंद हो रहा है. बीजेपी की तरफ से इसे रोकने के लिए ही यह रणनीति बनायी. साथ ही सोरेन परिवार के विवाद का भी इसमें अहम भूमिका रही है. जेएमएम में शिबू सोरेन की विरासत लगभग हेमंत सोरेन और उनके ही परिवार के आसपास दिखता है. ऐसे में सीता सोरेन भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित थी. सीता सोरेन अपनी बेटियों को भी चुनावी मैदान में उतारना चाहती हैं. सोरेन परिवार की इस फूट में बीजेपी को एक रास्ता दिखा है. 

Advertisement

उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी को बीजेपी ने अपने पाले में किया
विरासत की राजनीति को साधने के लिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में चौधरी चरण सिंह के पोते जंयत चौधरी को अपने साथ लाया. जंयत चौधरी की पार्टी के एक विधायक को राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया. बीजेपी ने लोकसभा की 2 सीटें उनकी पार्टी के लिए छोड़ा है. अभी जंयत चौधरी के पास लोकसभा में एक भी सांसद नहीं हैं. 

Advertisement

कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा की पार्टी से समझौता
कर्नाटक में बीजेपी ने जेडीएस से समझौता कर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की विरासत को साधने की कोशिश की है. विधानसभा चुनाव में एचडी देवगौड़ा की पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था. पिछले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया था लेकिन बीजेपी ने इस बार साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया.  गठबंधन के तहत जेडीएस को तीन लोकसभा सीट मिलने की संभावना है. 

Advertisement

तमिलनाडु में जयललिता की विरासत पर टकराव
तमिलनाडु की राजनीति में भी बीजेपी की तरफ से कई बार एमजीआर और जयललिता की विरासत को अपने हिस्से में करने के प्रयास हुए हैं. हाल ही में इसे लेकर एआईएडीएमके के नेताओं ने बीजेपी पर निशाना भी साधा था.  

एके एंटनी के पुत्र बीजेपी में हुए शामिल
मनमोहन सिंह की सरकार में रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी को बीजेपी में शामिल करवाया गया. एके एंटनी की छवि एक ईमानदार नेता की रही है. यूपीए सरकार के दौरान एंटनी एक बड़े चेहरे के तौर पर देखे जाते थे.

प्रणब मुखर्जी की बेटी को भी बीजेपी ने साधा
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की भी नजदीकी हाल के दिनों में बीजेपी के साथ रही है. हालांकि उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर कहा था कि नहीं, मैं शामिल नहीं हो रही. मैंने राजनीति छोड़ दी है. ऐसे में मुझे बीजेपी या किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने में कोई दिलचस्पी नहीं है. हालांकि जानकारों का मानना है कि बीजेपी के नेताओं के साथ उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं. 

ये भी पढ़े-:

Featured Video Of The Day
Chhattisgarh के Kanker में नक्सली मुठभेड़ का तीसरा दिन, सुरक्षाबल ने नक्सलियों का बड़ा ग्रुप घेरा
Topics mentioned in this article