लोकसभा चुनाव का दो-तिहाई सफर पूरा, कम वोटिंग से किसे नुकसान और ज्यादा मतदान किसके लिए खुशखबरी?

लोकसभा चुनाव में अब तक के 4 फेज की वोटिंग के बाद एक सवाल चर्चा में रहा. कम वोटिंग से किसे नुकसान है और ज्यादा वोटिंग से किस पार्टी को फायदा हो सकता है. NDTV ने एक्सपर्ट्स से जाना कि आखिर मतदान घटने और बढ़ने के क्या मायने हो सकते हैं.

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चौथे फेज के साथ ही देश के 22 राज्यों में लोकसभा चुनाव हो चुके हैं.

नई दिल्ली:

चौथे फेज की वोटिंग खत्म होने के साथ ही 18वीं लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) का दो-तिहाई सफ़र पूरा हो चुका है. चौथे दौर के लिए सोमवार (13 मई) को 10 राज्यों की 96 सीटों पर वोटिंग हुई. चौथे फेज में 62.09% वोटिंग हुई. सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में 76.02% और सबसे कम जम्मू-कश्मीर में 36.88% मतदान हुआ. वोटिंग के ये आंकड़े प्रोविजनल है. चुनाव आयोग (Election Commission) बाद में फाइनल वोटर टर्नआउट डेटा (Voter Turnout Data) जारी करेगा. अगर इस शुरुआती आंकड़े के हिसाब से देखें, तो मतदान 2019 और 2014 के मुकाबले 6.8% कम हुआ है. तब चौथे फेज में 69.1% लोगों ने वोट डाले थे. आइए समझते हैं कि चौथे फेज की वोटिंग के बाद किस पार्टी की क्या स्थिति है? कम वोटिंग से किसे नुकसान है और ज्यादा वोटिंग किस पार्टी के लिए खुशखबरी हो सकती है.

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चौथे फेज में आंध्र प्रदेश की 25, तेलंगाना की 17, उत्तर प्रदेश की 13, महाराष्ट्र की 11, पश्चिम बंगाल की 8, मध्य प्रदेश की 8, बिहार की 5, झारखंड की 4, ओडिशा की 4 और जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर सीट पर वोटिंग हुई. पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 76.02% मतदान हुआ है. सबसे कम मतदान जम्मू-कश्मीर में 36.7% दर्ज किया गया. बंगाल की बोलपुर सीट पर 77.8% वोटिंग दर्ज की गई. जबकि जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर सीट पर सबसे कम 35.8% मतदान हुआ. हालांकि, सही मायनों में जम्मू-कश्मीर के हिसाब से इसमें वोटर टर्नआउट में काफी सुधार आया है. 

पिछले 3 लोकसभा चुनावों में चौथे दौर का वोटिंग पर्सेंटेज    
2014 का लोकसभा चुनाव- 69.1%
2019 का लोकसभा चुनाव- 69.1%
2024 का लोकसभा चुनाव - 62.9%

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2019 के मुकाबले 2024 में कितना आया फर्क?
आंध्र प्रदेश में 2019 में 80.4% वोटिंग हुई थी. 2024 में 68.1% वोटिंग हुई. यानी वोटिंग में 12.3% की गिरावट दर्ज की गई है. बिहार की 5 सीटों दरभंगा, उजियापुर, समस्तीपुर, बेगुसराय और मुंगेर में 2019 में 59.3% वोटिंग हुई. लेकिन इन्हीं सीटों पर इस बार 55.9% मतदान हुआ. यानी वोटिंग पर्सेंटेज में 3.4% की गिरावट आई. जम्मू-कश्मीर की बात करें, तो 2019 के इलेक्शन में श्रीनगर सीट पर 14.4% वोटिंग दर्ज की गई थी, जो इस बार 22.3% बढ़कर 36.7% हो गई है. झारखंड की 4 सीटों पर पिछले चुनाव में 66.9% वोटिंग हुई. 2024 के इलेक्शन में इन्हीं सीटों पर 63.4% मतदान हुआ. महाराष्ट्र की जिन 11 सीटों पर चौथे फेज में वोटिंग हुई, उन सीटों पर 2019 में 61.6% वोटिंग दर्ज की गई थी. लेकिन इस बार इन सीटों पर 52.8% मतदान हुआ.

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मध्य प्रदेश की 9 सीटों पर 68.7% वोटिंग हुई. पिछले इलेक्शन में इन सीटों पर 75.7% वोटिंग हुई थी. ओडिशा की 4 सीटों पर पिछले चुनाव में 74.3% मतदान हुआ. इस बार इन्हीं सीटों पर 63.9% वोट डाले गए. तेलंगाना की सभी 17 सीटों पर 2019 में 62.7% वोटिंग हुई थी. इस बार 61.4% वोटिंग हुई है. यूपी की 13 सीटों पर चौथे फेज में वोट डाले गए. 2019 में इन्हीं सीटों पर 58.9% वोटर टर्नआउट रहा. इस बार इन सीटों पर 57.9% वोटिंग दर्ज की गई. जबकि पश्चिम बंगाल की 8 सीटों पर 2019 में 82.9% वोटिंग रिकॉर्ड हुई थी. इस बार इन सीटों पर 6.9% कम वोटिंग हुई है.

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मतदान घटने और बढ़ने के क्या हैं मायने?
लोकसभा चुनाव में अब तक के 4 फेज की वोटिंग के बाद एक सवाल चर्चा में रहा. कम वोटिंग से किसे नुकसान है और ज्यादा वोटिंग से किस पार्टी को फायदा हो सकता है. NDTV ने एक्सपर्ट्स से जाना कि आखिर मतदान घटने और बढ़ने के क्या मायने हो सकते हैं. 

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वोटर टर्नआउट का इलेक्टोरल रिजल्ट का स्ट्रॉन्ग रिलेशन नहीं
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी कहते हैं, "चौथे फेज में अब तक का प्रोविजनल मतदान भी पिछले चुनाव के चौथे फेज के मुकाबले 2 या 3 फीसदी कम है. लेकिन वोटर टर्नआउट का इलेक्टोरल रिजल्ट के साथ कोई खास रिलेशन नहीं होता. अगर 1957 से लेकर 2019 के इलेक्शन की बात करें, तो 16 चुनावों में 10 बार टर्नआउट बढ़ा है. 6 बार टर्नआउट घटा है. जब 10 बार वोटर टर्नआउट बढ़ा है, तो 6 बार सरकार वापस आई है. 6 बार जब टर्नआउट घटा है, तो उस वक्त 2 बार सरकार वापस आई है. यानी वोटर टर्नआउट का इलेक्टोरल रिजल्ट के साथ कोई मजबूत रिलेशन नहीं है. क्योंकि हमने देखा जब टर्नआउट बढ़ा तभी सरकारें रिपीट हुई और गईं. जब घटी है तब भी सरकार रिपीट हुई है. ऐसे में हम कोई खास ट्रेंड नहीं निकाल सकते. हमें रिजल्ट स्टेट बाय स्टेट देखना पड़ेगा. कई बार नतीजे सीट बाय सीट भी आते हैं."

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क्या चौथे फेज में BJP ने सुधारा प्रदर्शन?
इस सवाल का जवाब देते हुए सीनियर जर्नलिस्ट राम कृपाल सिंह कहते हैं, "बॉडी लैंग्वेज की बात करें, तो बीजेपी के लोग अब 400 पार की बात नहीं कर रहे हैं. पटना में पीएम मोदी की रैली के बाद से सत्ता पक्ष में जो थोड़ी बहुत निराशा थी, वो खत्म हो गई है. सबकुछ नैरेटिव पर निर्भर करता है. लीडरशिप पर निर्भर करता है. लीडर कितना कॉन्फिडेंट है. कहां बोलता है और क्या बोलता है... बिहार की रैली अपने आप में बड़ा मैसेज थी. कहा जाता है कि बिहार एक ऐसा स्टेट है, जहां से लोकतंत्र के परिवर्तन की शुरुआत होती है. बेशक चौथे फेज की वोटिंग के बाद BJP का परफॉर्मेंस सुधरने की उम्मीद है."

2019 का स्ट्राइक रेट सुधरा या बिगड़ा?
इसके जवाब में राजनीतिक विश्लेषक अदिति फडणीस कहती हैं, "बीजेपी के स्ट्राइक रेट में सुधार का संकेत पीएम मोदी ने ही दिया था. पीएम मोदी ने इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के नतीजे अप्रत्याशित होंगे." आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी का जादू या मोदी-नायडू की जोड़ी चलेगी? इसका जवाब देते हुए अदिति फडणीस कहती हैं, "राज्य में जगन मोहन रेड्डी ने काम तो अच्छा किया है. लेकिन जमीनी स्तर पर मेरे ख्याल से जगन मोहन के काम सभी लोगों तक नहीं पहुंचे हैं. इस काम में बीजेपी बहुत माहिर है. कुल मिलाकर योजनाओं को आखिरी आदमी तक पहुंचाने में जगन मोहन फेल रहे हैं. इसका फायदा बीजेपी उठा सकती है."

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यूपी में चौथे फेज की वोटिंग से मिल रहे क्या संकेत?
यूपी में चौथे फेज में 13 सीटों पर वोटिंग हुई. शाम 6 बजे तक 58.9% वोटिंग हुई है. खीरी में सबसे ज्यादा 64.73 फीसदी वोटिंग रिकॉर्ड हुई. सबसे कम कानपुर में 53.06 फीसदी वोटिंग हुई. 2019 में इन्हीं 19 सीटों पर बीजेपी को 53.4% वोट मिले थे. BSP+SP को  35.2% वोट मिले. कांग्रेस को 8.3% और अन्य को 3.2% वोट मिले थे. ऐसे में इस बार भी बीजेपी को अच्छे वोट पर्सेंटेज की उम्मीद है.
     
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