Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की तरफ से तैयारी तेज कर दी गयी है. भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) भी मिशन साउथ में लगी है. बीजपी दक्षिण भारत के 131 सीटों में से 84 सीटों पर फोकस कर रही है. नए साल की शुरुआत प्रधानमंत्री दक्षिण भारत के दौरे के साथ करने जा रहे हैं. 2 और 3 जनवरी को तमिलनाडु, केरल और लक्षद्वीप की यात्रा पर पीएम मोदी होंगे. अमित शाह भी बंगाल के बाद सीधे तेलंगाना पहुंचने वाले हैं.
दक्षिण भारत के राज्यों का क्या है गणित?
दक्षिण भारत के 131 सीटों की अगर बात करें तो तमिलनाडु में 39, कर्नाटक में 28 और आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा की सीटें हैं. वहीं केरल में 20, तेलंगाना में 17 और लक्षद्वीप और पुदुचेरी में 1-1 लोकसभा की सीटें हैं. बीजेपी उन 84 सीटों पर फोकस कर रही है जहां इतिहास में कभी भी बीजेपी को जीत नहीं मिली है. इन राज्यों में पीएम मोदी की सभाओं में अच्छी भीड़ होती रही है लेकिन चुनावों में बीजेपी को वोट अधिक नहीं मिलता रहा है.
बीजेपी की तैयारियों को लेकर एनडीटीवी से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार संदीप शास्त्री ने कहा कि साल 2014 में बीजेपी का फोकस उत्तर भारत और पश्चिम भारत पर रहा था. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी ने पूर्वी भारत में अपनी पकड़ को मजबूत बनायी. 2024 में उम्मीद है कि बीजेपी दक्षिण भारत की तरफ भी फोकस करेगी. बीजेपी की तेलंगाना और कर्नाटक में अच्छी पकड़ है.
तमिलनाडु और केरल से बीजेपी को है कितनी उम्मीद?
वहीं तेलंगाना की अगर बात करें तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बीआरएस और कांग्रेस के लिए खाली मैदान छोड़ दिया लेकिन शायद लोकसभा में पार्टी अपने हालत में सुधार करेगी. तमिलनाडु और केरल की करें तो बीजेपी का लक्ष्य शायद 2024 नहीं है बीजेपी 2029 को टारगेट कर के काम कर रही है. इस चुनाव में बीजेपी को शायद ही अधिक फायदा हो पाए.
पीएम मोदी फैक्टर
साउथ इंडिया में जहां बीजेपी की बहुत अधिक पकड़ नहीं देखने को मिल रही है. वहीं पीएम मोदी की लोकप्रियता दक्षिण भारत में काफी अधिक रही है. संभावना यह है कि पीएम मोदी साउथ इंडिया के किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. इसका एक बड़ा असर चुनाव पर हो सकता है.
कई दलों से गठबंधन को लेकर भी चल रही है बातचीत
दक्षिण भारत में बीजेपी को 2 नए सहयोगी भी मिल सकते हैं. एआएडीएमके और जेडीएस से बात चल रही है साथ ही टीडीपी के साथ भी गठबंधन की चर्चा चल रही है. बीजेपी के पास दक्षिण के कई राज्यों में कुछ भी खोने के लिए नहीं है. यही कारण है कि समय-समय पर पार्टी की तरफ से आक्रामक प्रचार अभियान चलाया गया है. तमिलनाडु में प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के नेतृत्व में बीजेपी ने जमकर मेहनत किया है. हालांकि के. अन्नामलाई को लेकर बीजेपी की सहयोगी रही AIADMK सहज नहीं रही थी और बाद में उसने गठबंधन से अलग होने का भी फैसला ले लिया.
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