Analysis : हिमाचल से लेकर बिहार तक.... : कांग्रेस कैसे बचाए अपना बिखरता कुनबा?

राज्यसभा चुनाव में जमकर क्रॉस वोटिंग हुई. इससे साफ है कि बीजेपी ने दूसरे दलों में ठीकठाक सेंधमारी कराने में कामयाबी हासिल की है. इसका असर लोकसभा चुनावों पर भी पड़ने वाला है. ऐसे में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. आइए जानते हैं राज्यसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद INDIA अलायंस के साथ कितना बदल जाएगा कांग्रेस का हिसाब:-

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नई दिल्ली:

राज्यसभा की 56 सीटों में 41 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए थे. बाकी 3 राज्यों की 15 सीटों पर मंगलवार को चुनाव हुए. बीजेपी (BJP) को कुल 30 सीटों पर जीत मिली. 20 सदस्य निर्विरोध चुने गए और 10 को चुनाव के जरिए जीत मिली. उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 8 सीटों पर जीत मिली. हिमाचल प्रदेश की एकमात्र सीट भी बीजेपी ने कब्जा कर लिया. कर्नाटक में पार्टी ने एक सीट हासिल की है. राज्यसभा चुनाव में जमकर क्रॉस वोटिंग (Rajya Sabha Elections 2024 Cross Voting) हुई. इससे साफ है कि बीजेपी ने दूसरे दलों में ठीकठाक सेंधमारी कराने में कामयाबी हासिल की है. इसका असर लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) पर भी पड़ने वाला है. ऐसे में कांग्रेस (Congress) के लिए बड़ी चुनौती है. आइए जानते हैं राज्यसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद INDIA अलायंस के साथ कितना बदल जाएगा कांग्रेस का हिसाब:-

हिमाचल में बीजेपी ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह का उठाया फायदा
हिमाचल प्रदेश की कुल 68 सीटों में से कांग्रेस के पास 40 सीटें हैं. राज्यसभा की एक सीट पर सत्ताधारी कांग्रेस को जीत की पूरी उम्मीद थी, लेकिन पार्टी के 6 विधायकों ने बीजेपी के हर्ष महाजन के लिए क्रॉस वोटिंग की. 3 निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी का साथ दिया. दरअसल, बीजेपी को हिमाचल कांग्रेस के भीतर चल रहे अंदरूनी टकराव की खबर थी. पूर्व सीएम वीरभद्रव सिंह की पत्नि प्रतिभा सिंह और उनका परिवार सीएम सुक्खू के विरोध में था. विधायकों-मंत्रियों पर अफसर हावी होते जा रहे थे. बीजेपी ने इसी मौके का फायदा उठाया. 

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यूपी में भी चला दांव
उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों पर वोटिंग हुई. समाजवादी पार्टी ने 3 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे. सपा के 2 कैंडिडेट ने चुनाव जीता लेकिन क्रॉस वोटिंग की वजह से तीसरे उम्मीदवार की हार हो गई. बीजेपी ने 7 सीटों पर शुरुआत में कैंडिडेट उतारे थे. पार्टी को सातों सीटों पर जीत हासिल हुई है. बीजेपी ने आखिर वक्त में 8वां कैंडिडेट भी उतारा था. क्रॉस वोटिंग का सीधा फायदा 8वें कैंडिडेट संजय सेठ को हुआ और सपा को नुकसान झेलना पड़ा.

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सपा के नुकसान की कांग्रेस को करनी पड़ेगी भरपाई!
अखिलेश यादव इसे पैसे और दबाव का खेल बता रहे हैं, जबकि बागी विधायक प्रभु श्रीराम का हवाला दे रहे हैं. वैसे यूपी में बगावत भले सपा में हुई हो, इसकी मार कांग्रेस को भी झेलनी होगी. रायबरेली और अमेठी की लोकसभा सीटों तक इनका असर माना जा रहा है, जो INDIA गठबंधन के तहत अखिलेश ने कांग्रेस के लिए छोड़े हैं. 

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बिहार में भी कांग्रेस की बढ़ेंगी मुश्किलें
कांग्रेस के लिए परेशान करने वाला तीसरा राज्य बिहार है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ही विपक्ष को एकजुट करने की जिम्मेदारी उठाई थी. उन्हें INDIA अलायंस का सूत्रधार कहा जा सकता है. लेकिन नीतीश कुमार INDIA को छोड़ NDA में शामिल हो चुके हैं. बिहार में 6 राज्यसभा सीटों के लिए निर्विरोध चुनाव हो गए. साथ ही पालाबदल भी हो गया.

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प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने 2 कांग्रेस विधायकों मुरारीलाल गौतम और सिद्धार्थ सौरभ को बीजेपी में शामिल करा लिया. कांग्रेस ने इन दोनों विधायकों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष को अर्ज़ी भी दी है. आरजेडी की विधायक संगीता देवी भी बीजेपी में जा चुकी हैं. इसके पहले विश्वास मत के दौरान 3 आरजेडी विधायकों नीलम देवी, प्रह्लाद यादव और चेतन आनंद ने पाला बदला था. आरजेडी ने इनके खिलाफ कार्रवाई तक की मांग नहीं की.

कर्नाटक और गुजरात में भी परेशानी
बेशक, कर्नाटक में कांग्रेस अपना घर बचाने में भी कामयाब रही. बीजेपी के एक विधायक ने कांग्रेस के लिए क्रॉस वोटिंग भी करा दी. लेकिन ये अपवाद है. बीजेपी से ज़्यादातर जगहों पर कांग्रेस को चुनौती मिल रही है. गुजरात से सांसद नारण राठौड़ भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. वो पांच बार लोकसभा सांसद रहे. यूपीए सरकार में मंत्री भी रहे हैं.

असम, केरल और महाराष्ट्र में भी बिखराव
कांग्रेस को इसके अलावा असम, केरल और महाराष्ट्र में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. असम में सीटों के बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पा रही. केरल में कांग्रेस को पिनराई विजयन की पार्टी से चुनौती मिल रही है. दूसरी ओर, महाराष्ट्र में भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है. बीते कुछ अरसे में कांग्रेस के कई बड़े नेता बीजेपी या एनडीए का दामन थाम चुके हैं. इनमें अशोक चव्हाण और मिलिंद देवड़ा बिल्कुल हाल के नाम हैं. 

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ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं. क्या कांग्रेस अपना बिखरता घर बचा पाएगी? हिमाचल के स्थानीय नेता आलाकमान को टूट का ज़िम्मेदार मान रहे हैं- क्या आलाकमान ज़िम्मेदारी लेगा? क्या राहुल की भारत जोड़ो न्याय यात्रा कोई राजनीतिक बदलाव कर पाएगी?

वरिष्ठ पत्रकार जावेद अंसारी ने NDTV से कहा, "अब हद पार हो गई है. कहीं भी कोई पार्टी लाइन, कोई नैतिकता और नियम नहीं रह गए हैं. ये हर पार्टी की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान है."

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अनुराग वर्मा कहते हैं, "जोड़-तोड़, दबाव और प्रलोभन, दलगत राजनीति आज से नहीं है. इसे आप देखने का नजरिया बदलना कह सकते हैं. पहले ऐसे चीजें कम होती होंगी, अब ज्यादा होती हैं. प्रलोभन की राजनीति हिमाचल में साफ देखी जा सकती है. जिस समय कांग्रेस यहां जीती थी, तब प्रतिभा सिंह को दरकिनार करके सुक्खू को सीएम बनाया गया. ये रणनीति तब कारगर साबित होती है, जब केंद्रीय नेतृत्व मजबूत होता है. लेकिन हिमाचल में ऐसा नहीं था. इसलिए दूसरे दल हावी हुए."

राज्यसभा में बहुमत से 4 सीट दूर NDA
इसी के साथ बीजेपी ने संसद के उच्च सदन में बहुमत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए राज्यसभा में बहुमत से सिर्फ 4 सीटें दूर है. ऐसे में कांग्रेस और INDIA अलायंस के पास अपने बिखरते कुनबे को बचाने की चुनौती है. इस समय राज्यसभा में बीजेपी के पास 97 सीटें हो गई हैं. यानी संसद के उच्च सदन में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. हालांकि, एनडीए अभी भी बहुमत में नहीं है. राज्यसभा में बहुमत के लिए एनडीए को 121 सीटें चाहिए. लेकिन उसके पास अभी 117 सीटें हैं. 

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