महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के दौरान दो गठबंधन तो आमने-सामने हैं ही, साथ ही साथ दो शिवसेनाओं के बीच भी मुकाबला है. दो साल पहले पार्टी में बगावत होने के बाद ये पहला ऐसा मौका है, जब एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के गुट चुनाव में भिड़ रहे हैं. महाराष्ट्र में हो रहे लोकसभा चुनाव के नतीजों में कई सवालों के जवाब छुपे हैं. इसमें एक बड़ा सवाल ये है कि असली शिवसेना किसकी? उद्धव ठाकरे की या एकनाथ शिंदे की?
दोनों ही गुट अपने आप को असली शिवसेना बताते हैं, लेकिन असली शिवसेना कौन सी है, ये इस लोकसभा चुनाव के नतीजे से साफ हो जाएगा. महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 13 सीटें ऐसी हैं जिन पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के उम्मीदवार एक दूसरे के आमने-सामने हैं.
- मुंबई दक्षिण की सीट जहां ठाकरे सेना से दो बार सांसद रहे अरविंद सावंत का मुकाबला यामिनी जाधव से है.
- मुंबई दक्षिण मध्य की सीट जहां मुकाबला शिंदे सेना के राहुल शेवाले और ठाकरे सेना के अनिल देसाई के बीच है.
- मुंबई उत्तर पश्चिम की सीट जहां ठाकरे सेना के अमोल कीर्तिकार और शिंदे सेना के रविन्द्र वायकर सामने सामने हैं.
- नासिक की सीट जहां दो बार से सांसद रहे हेमंत गोडसे का मुकाबला ठाकरे सेना के राजाभाउ वाजे से है.
- औरंगाबाद की सीट जहां ठाकरे सेवा के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे का मुकाबला शिंदे सेवा के संदीपान भुमरे से है.
- ठाणे की सीट पर जीत हासिल करना मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए नाक का सवाल है. यहां मुकाबला ठाकरे सेना से दो बार सांसद रहे राजन विचारे और शिंदे सेना के नरेश मस्के के बीच है.
- कल्याण की सीट मुख्यमंत्री के बेटे और मौजूदा सांसद श्रीकांत शिंदे का मुकाबला ठाकरे सेना की उम्मीदवार वैशाली दरेकर राणे के बीच है.
जून 2022 में जब शिवसेना में बगावत हुई तो ज्यादातर विधायक और सांसद एकनाथ शिंदे के खेमे में चले गए. इसके बाद चुनाव आयोग ने और फिर महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने भी एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को ही असली शिवसेना के तौर पर मान्यता दी, शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष बाण भी एकनाथ शिंदे को ही मिला.
उद्धव ठाकरे की पार्टी को अब अपने नाम के आगे ब्रैकेट में उद्धव बालासाहेब ठाकरे लगाना पड़ता है. उनकी पार्टी को नया चुनाव चिन्ह मशाल मिला है. एक तरफ जहां एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को महायुति में शामिल सबसे बड़ी सत्ताधारी पार्टी बीजेपी का साथ मिला, तो वहीं दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे उस महा विकास आघाड़ी के सदस्य हैं, जिसमें कांग्रेस और शरद पवार वाली एनसीपी शामिल हैं. ठाकरे सेना को उम्मीद है कि जिस तरह से पार्टी में बगावत हुई है, वो लोगों के बीच उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति है और इसका फायदा चुनाव में उसे मिल सकता है.
महाराष्ट्र में अंतिम चरण का चुनाव 20 मई को होगा और दोनों शिवसेना के बीच टकराव वाली ज्यादातर सीटें इसी चरण में हैं. ऐसे में 4 जून को आने वाले नतीजे में साफ हो जाएगा कि दो गुटों में से जनता असली शिवसेना किसे मानती है.