अयोध्या में आखिर क्यों हार गई बीजेपी? अखिलेश का क्या फार्मूला चल गया, वोट से लेकर ग्राउंड तक, पूरी पिक्चर समझिए

फैजाबाद लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम कई नए ऐतिहासिक रिकॉर्ड के लिए भी याद किया जाएगा. इस सीट से जीतकर संसद पहुंचने वाले अवधेश प्रसाद 1957 के बाद पहले ऐसे सांसद हैं जो अनुसूचित जाति से आते हैं.

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नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद केंद्र में एक बार फिर नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनने जा रही है. आठ जून को नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार पीएम पद की शपथ ले सकते हैं. मोदी 3.0 के सत्ता में आने से पहले अब कई सीटों पर बीजेपी की हार को लेकर मंथन शुरू हो गया है. इन्हीं सीटों में से एक सीट है फैजाबाद की. आपको बता दें कि फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत ही अयोध्या शहर आता है. वही अयोध्या जहां राम मंदिर का निर्माण कराने के साथ बीजेपी को उम्मीद थी कि वह इस बार इस सीट पर बडे़ अंतर से जीत दर्ज करेगी. पर ऐसा हुआ नहीं. इस सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश  प्रसाद ने बीजेपी के उस समय के मौजूदा सांसद लल्लू सिंह को हराया है. सोशल मीडिया पर अब इस हार को लेकर तरह-तरह के कटाक्ष किए जा रहे हैं. आज हम आपको इस हार के पीछे के कारणों के बारे बताने जा रहे हैं. 

अब ऐसे में बीजेपी के अंदर ये एक बड़ी बहस बनती दिख रही है कि आखिर राम की नगरी में पार्टी को हार मिली कैसे. खासकर तब जब चुनाव से पहले राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर बीजेपी ने देश भर में अभियान भी चलाया था. आपको बता दें कि बीजेपी को फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर हार का सामना करना पड़ा है. अयोध्या भी इसी में से एक है. 

समाजवादी पार्टी ने खेला बड़ा 'जुआ'

फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के हार के पीछे समाजवादी की रणनीति को भी एक बड़ी वजह माना जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने अपनी पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) रणनीति को इस सीट पर भी मूर्तरूप दिया, यही वजह थी पार्टी ने अवधेश प्रसाद को यहां से टिकट दिया. अवधेश प्रसाद अनुसूचित जाति के पासी समुदाय से आते हैं. अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को 55 हजार वोट से हराया है. इस परिणाम में लल्लू सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का होना भी एक बड़ा फैक्टर साबित हुआ है. 

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1957 के बाद पहली बार मिला कोई SC उम्मीदवार बना सांसद

फैजाबाद लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम कई नए ऐतिहासिक रिकॉर्ड के लिए भी याद किया जाएगा. इस सीट से जीतकर संसद पहुंचने वाले अवधेश प्रसाद 1957 के बाद पहले ऐसे सांसद हैं जो अनुसूचित जाति से आते हैं. इस चुनाव में बीजेपी ने खासतौर पर फैजादाबाद में राम मंदिर के नाम पर वोट मांगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन इसके बावजूद भी जनता ने उसे नकार दिया. 

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अयोध्या में विकास का मुद्दा भी नहीं आया काम

भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी यूपी के साथ-साथ समूचे उत्तर भारत में राम मंदिर और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ी. लेकिन अगर खास तौर फैजाबाद की बात करें तो यहां पार्टी ने राम मंदिर को लेकर अयोध्या में जो विकास कार्य किए उसे मुद्दा बनाया. वहीं, समाजवादी पार्टी अपने पीडीए वाली रणनीति के साथ इस सीट पर जनता के बीच गई. और जनता ने उन्हें अपना आशीर्वाद भी दी. 

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इस 'विकास' से खुश नहीं थे स्थानीय लोग

अयोध्या में जिस तरह से विकास कार्य किए गए उसे लेकर भले देश-दुनिया में ये छवि बनी हो कि राम की नगरी में जो आज तक नहीं हुआ वो अब हो रहा है. लेकिन अगर आप अयोध्या में रहने वाले स्थानीय लोगों से पूछेंगे तो आपको जवाब कुछ और मिलेगा. दरअसल, स्थानीय लोग ये तो मानते हैं कि विकास हुआ है लेकिन इस विकास के लिए उन्हें रोजाना जो कीमत चुकानी पड़ रही है, वो उन्हें शायद बर्दास्त नहीं था.

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स्थानीय लोगों के अनुसार राम मंदिर के बनने के बाद पूरे अयोध्या शहर में जिस तरह से जगह-जगह पर बैरिकेडिंग, पुलिस बंदोबस्त, रूट डायवर्जन और वीआईपी कल्चर से काफी परेशान दिखे.

फैजाबाद में भूमि सबसे कीमती संपत्ति बनने के साथ, स्थानीय प्रशासन और विकास प्राधिकरण शहर में संपत्ति लेनदेन को विनियमित कर रहे हैं और आगे के विस्तार के लिए बाहरी इलाके में कृषि भूमि के अधिग्रहण को अधिसूचित कर रहे हैं. इन तमामा चीजों से स्थानीय लोग ज्यादा खुश नहीं दिखे. बीजेपी की स्थानीय इकाई को इस बात भनक भी पहले लग चुकी थी. 

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