अमेरिकी महिला की दिल्ली में हुई सर्जरी, आंख से निकाले गए 3 जिंदा कीड़े, विदेश में नहीं हो सका था इलाज

उसने अमेरिका में डॉक्टरों से परामर्श किया था, लेकिन मायियासिस (बॉटफ्लाई) को हटाया नहीं जा सका.

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अस्पताल के अधिकारियों ने सोमवार को दावा किया कि एक अमेरिकी महिला (American woman), जिसने हाल ही में अमेज़ॅन के जंगलों (Amazon forests) का दौरा किया था, उसकी आंख में एक प्रकार का ऊतक संक्रमण का एक दुर्लभ मामला मायियासिस (myiasis) पाया गया,  जिसके बाद यहां उसकी एक सफल सर्जरी की गई. उन्होंने कहा, ऑपरेशन के दौरान, 32 वर्षीय महिला की आंख से "तीन जीवित कीड़े (Botfly) लगभग 2 सेमी आकार की" निकाले गए.

मायियासिस मानव ऊतक में एक मक्खी लार्वा (मैगॉट) का संक्रमण है. यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में होता है. रोगी ने लालपन के साथ दाहिनी ऊपरी पलक में सूजन की शिकायत के लेकर आपातकालीन विभाग पहुंची थी. फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज ने एक बयान में कहा, कि उसने यह भी खुलासा किया कि वह पिछले 4-6 हफ्तों से अपनी पलकों के अंदर कुछ महसूस कर रही थी.

उसने कहा, कि उसने अमेरिका में डॉक्टरों से परामर्श किया था, लेकिन मायियासिस (बॉटफ्लाई) को हटाया नहीं जा सका और डॉक्टरों ने उसे केवल कुछ रोगसूचक राहत दवाओं ही दीं थीं. अस्पताल में सलाहकार और आपातकालीन विभाग के प्रमुख डॉ मोहम्मद नदीम ने कहा, "यह मायियासिस का एक बहुत ही दुर्लभ मामला था. इसलिए, इन मामलों का तत्काल विस्तार से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है".

"अमेरिकी नागरिक एक यात्री है और दो महीने पहले अमेज़ॅन जंगल का दौरा करने का ये इतिहास था. उन्होंने कहा, उसके यात्रा के इतिहास से जानकारी मिलने पर विदेशी शरीर पर संदेह किया और उसकी त्वचा के अंदर हलचल को देखकर निदान किया गया था."

बयान में कहा गया है कि सर्जरी विभाग के डॉ नरोला यंगर ने सक्रिय रूप से "लगभग 2 सेंटीमीटर आकार की तीन जीवित मानव बॉटफ्लाइज़ को हटाने में कामयाबी हासिल की - एक दाहिनी ऊपरी पलक से, दूसरी उसकी गर्दन के पीछे से और तीसरी उसके दाहिने अग्रभाग से."

सर्जरी बिना किसी एनेस्थीसिया के सभी सड़न रोकने वाली सावधानियों के साथ 10-15 मिनट में पूरी की गई. महिला को आपातकालीन विभाग से रोगसूचक निर्धारित दवाओं पर छुट्टी दे दी गई.

मायियासिस नाजुक झिल्लियों में दब जाता है और अंतर्निहित संरचनाओं पर फ़ीड करता है. बयान में कहा गया है कि इस तरह के मामले पहले भी मध्य और दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका जैसे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों से सामने आए हैं.

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यह दावा किया गया है, कि भारत में, ऐसे मामले ज्यादातर ग्रामीण इलाकों से सामने आए हैं, खासकर बच्चों में जहां बॉटफ्लाइज ने या तो नाक के या मस्कुलोस्केलेटल त्वचा के घावों के माध्यम से प्रवेश किया है.

अगर मायियासिस को हटाया नहीं गया होता, तो यह ऊतकों का काफी विनाश कर सकता था, जिसके परिणामस्वरूप नाक, चेहरे और कक्षा का व्यापक क्षरण जैसी जटिलताएं हो सकती थीं. डॉक्टरों ने दावा किया कि इससे दुर्लभ मैनिंजाइटिस और मौत भी हो सकती है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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