ED-CBI का डर, टेरर फंडिंग के झूठे आरोप... रिटायर्ड बैंककर्मी को 'डिजिटल अरेस्‍ट' कर ऐंठ लिए 23 करोड़ रुपये

Digital Arrest: ये सिलसिला 1 अगस्त को शुरू हुआ जब नरेश मल्होत्रा ​​को एक मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर होने का दावा करने वाले व्यक्ति का फोन आया. कॉलर ने आरोप लगाया कि उनका आधार कार्ड मुंबई में इस्तेमाल किया गया था और इसमें टेरर फंडिंग से जुड़े एक कनेक्शन को एक्टिवेट किया गया था.

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Digital Arrest Cyber Fraud: जीवन भर की जमा पूंजी, करीब 23 करोड़ रुपये, एक महीने में साफ! ऐसा नहीं कि सारे पैसे एक महीने में खर्च किए गए हों, बल्कि ये मामला साइबर फ्रॉड का है. दिल्ली के 78 साल के एक पूर्व बैंककर्मी के साथ ये फ्रॉड हुआ है. बदमाशों ने उन्‍हें ईडी और सीबीआई का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्‍ट (Digital Arrest) किया और उन पर आतंकवाद से जुड़े झूठे आरोप की धमकी देकर करोड़ों रुपये ऐंठ लिए. पुलिस ने इसे 'डिजिटल अरेस्ट' का एक बेहद जटिल मामला बताया जा रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, ये सिलसिला 1 अगस्त को शुरू हुआ जब नरेश मल्होत्रा ​​को एक मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर होने का दावा करने वाले व्यक्ति का फोन आया. कॉलर ने आरोप लगाया कि उनका आधार कार्ड मुंबई में इस्तेमाल किया गया था और इसमें टेरर फंडिंग से जुड़े एक कनेक्शन को एक्टिवेट किया गया था. उन्‍होंने समाचार एजेंसी PTI को पूरी कहानी बताई.

टेरर फंडिंग और आतंकी कनेकशन का आरोप

नरेश मल्होत्रा ने बताया, 'मुझे फोन पर उन लोगों ने धमकाया कि इस मामले में मुंबई पुलिस से बात करनी होगी और अगर वे मंजूरी देते हैं तो कनेक्शन चलता रहेगा, नहीं तो इसे बंद कर दिया जाएगा और मामला दर्ज कर लिया जाएगा.' इसके बाद फोन तुरंत मुंबई पुलिस के अधिकारी होने का दावा करने वाले लोगों को ट्रांसफर कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि जैसे ही फोन कथित पुलिस अधिकारियों को ट्रांसफर हुआ, उन्होंने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया और कहा कि उनका आधार कार्ड 'टेरर फंडिंग, आतंकी गतिविधियों और कई अन्य गंभीर अपराधों' में इस्‍तेमाल हुआ है.

और फिर कर लिया डिजिटल अरेस्‍ट

रिपोर्ट के अनुसार, ठगों ने रिटायर्ड बैंकर से कहा कि वह 'डिजिटल अरेस्ट' में है और उसे घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा. उन्हें हर दो घंटे में वीडियो कॉल पर जुड़ने और इस मामले में चुप रहने का निर्देश दिया गया. उन्होंने उनके पासपोर्ट को जब्त करने और विदेश यात्रा पर रोक लगाने की भी धमकी दी.

मल्होत्रा ​​ने कहा, 'वे जानना चाहते थे कि मेरे बैंक अकाउंट में कितना पैसा है. मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास लगभग 14 लाख रुपये हैं. उन्होंने मुझसे पैसे अपने अकाउंट में ट्रांसफर करने को कहा और कहा कि यह सिर्फ वेरिफिकेशन के लिए है.'

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3 बैंक खातों से निकाल लिए 23 करोड़ रुपये

1 अगस्त से 4 सितंबर के बीच, उन्होंने पहले उनकी जमा पूंजी के बारे में पूछताछ करने के बाद उनके तीन बैंक खातों से 20 ट्रांजैक्शन के जरिए 23 करोड़ रुपये निकाल लिए. रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने यह भी दावा किया कि वे बाकी की जांच करने से पहले उसकी संपत्ति का एक चौथाई हिस्सा देखेंगे और चेतावनी दी कि इनकार करने पर उसका परिवार टेरर से जुड़े अपराधों में सह-आरोपी बन सकता है.

अपराधी खुद को ईडी और सीबीआई का सीनियर अधिकारी बताते रहे. अपराधियों ने दावा कि किया सुप्रीम कोर्ट इस 'जांच' पर नजर रख रहा है. मल्होत्रा ​​ने कहा, 'मैंने पैसे भेजने से मना कर दिया और उनसे कहा कि मैं यह रकम सीधे सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दूंगा. मैंने ये भी कहा कि मैं हॉज खास पुलिस स्टेशन जाकर सरेंडर कर दूंगा.'

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मल्‍होत्रा ने कहा, 'मैंने अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी अपने बुढ़ापे के लिए बचा कर रखा था. एक महीने में ही यह सब खत्म हो गया क्योंकि मैंने गलत लोगों पर भरोसा कर लिया. मुझे उम्मीद है कि मेरी कहानी दूसरों को सबक देगी.' ​​

पुलिस में दर्ज कराया मामला

मल्होत्रा ​​ने 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस में मामला दर्ज कराया. जांच कर रही टीम के एक अधिकारी ने कहा कि वे चुराई गई रकम में से 2.67 करोड़ रुपये पहले ही फ्रीज कर चुके हैं. मनी ट्रेल से पता चला कि फंड को कई अकाउंट में डिस्ट्रिब्‍यूट कर दिया गया था और जांच से बचने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से इसे निकाला गया. फंड को निकालने के लिए 4,000 से ज्‍यादा लेयर्ड अकाउंट इस्तेमाल किए गए. नरेश मल्‍होत्रा ने कहा, 'मैं चाहता हूं मेरी ये कहानी दूसरों को ऐसे स्कैम से सावधान करे.'

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