- लेफ्टिनेंट जनरल के जे एस ढिल्लों की किताब ऑपरेशन सिंदूर में भारत के गहरे सैन्य हमले का विस्तृत वर्णन है.
- ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम हमले के बाद किया गया था, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ मिसाइल हमले किए थे.
- किताब में बताया गया है कि पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को चार दिन में ध्वस्त किया गया था.
लेफ्टिनेंट जनरल के जे एस ढिल्लों (सेवानिवृत्त) की नई किताब 'ऑपरेशन सिंदूर: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ इंडिया डीप स्ट्राइक इनसाइड पाकिस्तान' का सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी द्वारा विमोचन किया गया. इस अवसर पर जनरल ढिल्लों ने NDTV से खास बातचीत में किताब के कई अहम पहलुओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के बाद अंजाम दिया गया था और मीडिया ने इसे अच्छी तरह कवर किया. हालांकि, बैटल ऑफ लाइन ऑफ कंट्रोल जैसी अहम लड़ाई को अपेक्षित ध्यान नहीं मिला, जिसका विस्तार से उल्लेख इस किताब में किया गया है.
जनरल ढिल्लों ने कहा कि इस किताब में बैटल ऑफ नॉरेटिव पर भी चर्चा की गई है. कैसे एक न्यूक्लियर पावर देश को मात्र चार दिनों में ध्वस्त किया गया. भारत ने मिसाइल हमले किए और पाकिस्तान एक भी मिसाइल को इंटरसेप्ट नहीं कर सका. इसके बाद शुरू हुआ "हमारा सच, उनका झूठ" का दौर, जिसे किताब में प्रमाणिक रूप से प्रस्तुत किया गया है.
उन्होंने बताया कि शुरुआती 15 दिनों की रणनीतिक तैयारी का भी विस्तार से जिक्र है. भारत ने बिना कोई शोर किए, गहराई से तैयारी की और 15 दिन में न्यूक्लियर पावर के खिलाफ जंग छेड़ने की क्षमता दिखाई. ऑपरेशन को खींचने का कोई इरादा नहीं था. लक्ष्य केवल 23 मिनट में पूरा कर लिया गया.
जनरल ढिल्लों ने कहा कि इस ऑपरेशन से पहले वॉर गेमिंग की गई थी, दुश्मन की ताकत का विश्लेषण किया गया और सुरक्षा सुनिश्चित की गई. किसी को भनक तक नहीं लगी कि भारत क्या करने जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान को चार दिन में पस्त कर दिया गया, उसका एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त हो गया और भारत ने 300 किलोमीटर अंदर जाकर उसके हवाई प्लेटफॉर्म को नष्ट किया. यह लड़ाई अब मिलिट्री हिस्ट्री का विषय बन चुकी है.
किताब में 1971 के बाद पहली बार पंजाब में हुए हमले का भी जिक्र है, जो पूरी तरह से सरप्राइज था. जनरल मुनीर के बयानों और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को भी विस्तार से शामिल किया गया है.
जनरल ढिल्लों ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है. अगर पाकिस्तान फिर कोई हरकत करता है, तो उससे भी कड़ा जवाब दिया जाएगा. अब आतंकवाद को समर्थन देने वालों को भी उसी नजर से देखा जाएगा.
उन्होंने कहा, “सेना को खुली छूट दी गई थी. न्यूक्लियर पावर को चार दिन में ध्वस्त करना आसान नहीं होता, इसके लिए रणनीतिक और सामरिक स्तर पर गहन तैयारी की जरूरत होती है. इस ऑपरेशन से जो सीख मिली है, उस पर भी किताब में एक पूरा अध्याय है.”