- लद्दाख के लेह में बुधवार को बंद के दौरान हिंसा हो गई. इसमें 4 की मौत और 30 लोग घायल हो गए.
- इसके बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी.
- वह और अन्य कार्यकर्ता लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर अनशन पर थे.
leh Ladakh protest : लद्दाख के लेह शहर में आंदोलन हिंसक होने के बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी. लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर अनशन कर रहे वांगचुक ने हिंसा रोकने और शांति बनाए रखने की भी अपील की. पीटीआई के मुताबिक, हिंसक घटनाओं में 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 30 से ज्यादा घायल हैं.
बीजेपी कार्यालय को भी नहीं बख्शा
लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के बीच हिंसक भीड़ ने बीजेपी कार्यालय व हिल काउंसिल मुख्यालय को निशाना बनाया और कई वाहनों में आग लगा दी थी और पत्थरबाजी भी की. हालात काबू करने के लिए पुलिस ने आंसूगैस छोड़ी, लाठीचार्ज किया और फायरिंग भी करनी पड़ी. भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 163 के अंतर्गत निषेधाज्ञा लागू करके पांच या इससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक भी लगा दी गई है.
हिंसक भीड़ ने लेह में बीजेपी ऑफिस और हिल काउंसिल मुख्यालय में भी आग लगा दी. Photo Credit: PTI
वांगचुक बोले, युवाओं की हताशा जिम्मेदार
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लेह हिंसा पर दुख व्यक्त करते हुए इसके लिए युवाओं में पनप रही हताशा को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों में से 72 वर्षीय पुरुष और 62 वर्षीय महिला को मंगलवार को अस्पताल ले जाया गया था. हिंसक विरोध का संभवतः यही तात्कालिक कारण था. वांगचुक ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन से कोई नतीजा न निकलने के कारण युवाओं में निराशा बढ़ रही है.
क्यों बुलाया गया था लेह बंद?
ये हिंसा लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा की तरफ से बुलाए गए बंद के दौरान हुई. 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम बिगड़ने के बाद एकजुटता दिखाने के लिए यह बंद बुलाया गया था. मंगलवार को त्सेरिंग अंगचुक (72) और ताशी डोल्मा (60) की हालत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
अनशनकारियों की क्या है मांग?
अनशनकारियों की मांग है कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए और छठी अनुसूची का विस्तार किया जाए. संविधान की छठी अनुसूची शासन, राष्ट्रपति व राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के जरिए प्रयोग की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संदर्भ में विशेष प्रावधान करती है. छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों- त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए है.
लेह में बंद के आह्वान पर भारी संख्या में लोग जुटे थे. Photo Credit: PTI
गृह मंत्रालय और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच 6 अक्तूबर को वार्ता होनी है. लद्दाख के प्रतिनिधियों में एलएबी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य शामिल हैं. दोनों संगठन पिछले चार वर्षों से अपनी मांगों को लेकर संयुक्त रूप से आंदोलन कर रहे हैं. पहले भी इनकी सरकार के साथ कई दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं.
इस तरह से भड़की हिंसा
अधिकारियों ने बताया कि बंद के आह्वान पर लेह शहर में बाजार दुकानें बंद रहीं. बड़ी संख्या में लोग एनडीएस स्मारक मैदान में इकट्ठा हो गए. बाद में छठी अनुसूची और राज्य के समर्थन में नारे लगाते हुए शहर की सड़कों पर मार्च निकाला.
स्थिति तब बिगड़ गई, जब कुछ लोगों ने भाजपा और हिल काउंसिल के मुख्यालय पर पथराव कर दिया. कार्यालय परिसर और एक इमारत में मौजूद फर्नीचर और कागजात में आग लगा दी. एक ग्रुप ने कई वाहनों को भी फूंक दिया. हालात काबू करने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े. गोलीबारी भी करनी पड़ी. कई घंटों की भीषण झड़प के बाद स्थिति काबू में आई.
बीजेपी का कांग्रेस पर निशाना
बीजेपी के अमित मालवीय ने कांग्रेस के स्थानीय पार्षद पर भीड़ को उकसाने और हिंसा कराने का आरोप लगाया है. एक्स पर एक पोस्ट में मालवीय ने कुछ तस्वीरें पोस्ट करके लिखा कि लद्दाख में दंगा करने वाला यह शख्स अपर लेह वार्ड से कांग्रेस पार्षद फुंत्सोग स्टैनजिन त्सेपाग है, जिसे साफतौर से भीड़ को उकसाते और भाजपा कार्यालय व हिल काउंसिल पर हिंसा में हिस्सा लेते देखा जा सकता है. उन्होंने इसे लेकर राहुल गांधी पर भी निशाना साधा.