'वामपंथियों ने पेरिस ओलंपिक को हाईजैक किया' : उद्घाटन समारोह में नग्नता के प्रदर्शन पर बरसीं कंगना रनौत

अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत ने पेरिस ओलंपिक 2024 के उद्घाटन समारोह में हुए कला प्रदर्शन को अत्यधिक कामुक और ईशनिंदा वाला कृत्य बताया

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कंगना रनौत ने ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में हुए कला प्रदर्शन की आलोचना की है.
नई दिल्ली:

एक्ट्रेस और मंडी लोकसभा क्षेत्र की बीजेपी सांसद कंगना रनौत (Kangana Ranaut) अपने विचार बड़ी बेबाकी के साथ सार्वजनिक रूप से साझा करती हैं. उन्होंने शनिवार को एक टिप्पणी में पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics) के उद्घाटन समारोह में किए गए प्रदर्शन की तीखी आलोचना की. उन्होंने समारोह में हुए कला प्रदर्शन को अत्यधिक कामुक और ईशनिंदा वाला कृत्य बताया. उन्होंने कहा कि यह "वामपंथियों द्वारा ओलंपिक को हाईजैक किए जाने का नतीजा है. 

कंगना रनौत ने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी पोस्ट की जिसमें उन्होंने ओलंपिक के उदघाटन समारोह में हुए प्रदर्शनों की तस्वीरें पोस्ट कीं. उन्होंने पोस्ट में लिखा- "पेरिस ओलंपिक 'द लास्ट सपर' के अति कामुक, अपमानजनक रूपांतरण में एक बच्चे को शामिल करने के लिए निंदा का सामना कर रहा है.'' 

'ईसाई धर्म का मजाक उड़ाया'

उन्होंने कहा कि, ''प्रदर्शन के दौरान एक बच्चा ड्रैग क्वीन के साथ दिखाई दे रहा था. उन्होंने नग्न शरीर पर नीले रंग में यीशु को दिखाया और ईसाई धर्म का मजाक उड़ाया. वामपंथियों ने ओलंपिक 2024 को पूरी तरह से हाईजैक कर लिया है. यह शर्म की बात है."

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कंगना रनौत ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि, "फ्रांस ने इस तरीके से ओलंपिक 2024 में दुनिया का स्वागत किया. वह क्या संदेश देना चाह रहा है? शैतान की दुनिया में आपका स्वागत है? क्या उनका यही इरादा है?"

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ओलंपिक में समलैंगिकता को प्रोत्साहन

अभिनेत्री और बीजेपी की नेता कंगना रनौत ने ओलंपिक उद्घाटन समारोह की तस्वीरों का एक कोलाज भी शेयर किया. इसमें उन्होंने लिखा कि, "ओलंपिक का उद्घाटन समारोह समलैंगिकता को प्रोत्साहित करने के लिए था. मैं समलैंगिकता के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि ओलंपिक का किसी भी तरह के यौन व्यवहार से क्या संबंध है. मानव की उत्कृष्टता का उत्सव मनाने वाले इस वैश्विक आयोजन पर सेक्स की चर्चा की छाया क्यों है? सेक्स को निजता तक सीमित क्यों नहीं रहने दिया जाता? इसे राष्ट्रीय पहचान देने की क्या जरूरत है? यह अजीब है."

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रनौत की टिप्पणियों पर कई प्रतिक्रियाओं में भी कहा गया है कि इस प्रदर्शन से लगता है कि यह ईसाइयों का अपमान था. एलन मस्क ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इस प्रदर्शन को "ईसाइयों के लिए बेहद अपमानजनक" बताया. हालांकि, ओलंपिक के न तो किसी आयोजक ने, न ही किसी कलाकार ने अब तक यह कहा है कि इस प्रदर्शन में "द लास्ट सपर" का रूपांतरण किया गया था. 

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क्या है 'द लास्ट सपर'

'द लास्ट सपर' 15 वीं सदी में इटली के प्रसिद्ध चित्रकार लिओनार्दो दा विंची द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग है. यह तस्वीर मिलान शहर में सांता मारिया डेल ग्राजी चर्च में एक दीवार पर बनी है. कहा जाता है कि इसमें ईसा मसीह के अंतिम पवित्र भोज को चित्रित किया गया है. इसमें प्रतीकात्मक रूप से ईसाई समाज यीशु के साथ एकजुट है. भोज के बाद यीशु को धोखा दिया गया था और उन्हें गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया. यह दुनिया में सबसे प्रसिद्ध और सबसे अधिक अध्ययन की जाने वाली कलाकृतियों में से एक है.

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