देश से वामपंथी उग्रवाद का दो वर्ष में पूरी तरह हो जाएगा सफाया : अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि दो वर्ष में देश से वामपंथी उग्रवाद (LWE) का पूरी तरह सफाया हो जाएगा. शाह ने इसके साथ ही नक्सल मुक्त क्षेत्रों में लगातार निगरानी की जरूरत पर बल दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां यह दोबारा न पनपे.

वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए अमित शाह ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने 2014 से वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाई है. उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2022 में पिछले चार दशकों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा और मौतों की सबसे कम घटनाएं हुईं.

उन्होंने कहा कि दो वर्ष में देश से वामपंथी उग्रवाद का पूरी तरह सफाया हो जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘नक्सलवाद मानवता के लिए अभिशाप है और हम इसे इसके सभी स्वरूपों में उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध हैं.''

समीक्षा बैठक में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी बैठक में भाग लिया. इनके अलावा ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व राज्य के मंत्रियों ने किया.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि विकास योजनाओं के कारण राज्य में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति बेहतर हो रही है. मुंबई में मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, शिंदे ने कहा कि शहरी नक्सलवाद इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया जा रहा है और इसे रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र बनाने की आवश्यकता है.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी समस्या से निपटने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती जारी रखने की वकालत की. उन्होंने नक्सल रोधी अभियानों में निरंतरता बनाए रखने के लिए राज्य में प्रतिनियुक्त केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिरीक्षक (आईजी) का कार्यकाल कम से कम तीन साल तय करने की भी मांग की.

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आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने शुक्रवार को पुष्टि की कि राज्य में वामपंथी उग्रवाद कम हो रहा है और माओवादी गतिविधियां केवल कुछ इलाकों तक ही सीमित हैं.

गृह मंत्री शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के वित्तीय समर्थन के नेटवर्क को खत्म करने के लिए सभी प्रभावित राज्यों को नागरिक और पुलिस प्रशासन की एक संयुक्त टीम बनाकर प्रयास करने की जरूरत है. शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के वित्तपोषण पर हमला करने के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) राज्य की सभी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बात पर भी नजर रखने की जरूरत है कि जिन इलाकों से यह समस्या खत्म हो गई है, वहां के नक्सली दूसरे राज्यों में आश्रय न लें.

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और सभी प्रभावित राज्यों के सहयोग से पिछले कुछ वर्षों में वामपंथी उग्रवाद पर अंकुश लगाने में सफलता मिली है और अब यह लड़ाई निर्णायक चरण में पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि 2019 से प्रभावित क्षेत्र सिकुड़ रहे हैं क्योंकि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के 195 नए शिविर स्थापित किए गए हैं, जबकि 44 और नए शिविर स्थापित किए जाएंगे.

शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ सीएपीएफ की तैनाती, विकास को तर्कसंगत बनाना और प्रभावित क्षेत्रों में शिविर स्थापित करना मोदी सरकार की प्राथमिकताएं हैं.

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उन्होंने कहा कि 2005 से 2014 के बीच की अवधि की तुलना में 2014 से 2023 के दौरान वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में 52 प्रतिशत से अधिक, मौतों में 69 प्रतिशत, सुरक्षा बल कर्मियों की मौतों में 72 प्रतिशत और नागरिकों की मौतों में 68 प्रतिशत की गिरावट आई है.

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2017 में वामपंथी हिंसा के पीड़ितों के लिए अनुग्रह राशि 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी थी, अब इसे और बढ़ाकर 40 लाख रुपये कर दिया गया है.

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गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में विकास को गति देने के लिए कई कदम उठा रही है. उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण, दूरसंचार, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में विकास को गति देने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना के तहत 14,000 से अधिक परियोजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और योजना के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 3,296 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि विशेष बुनियादी ढांचा योजना (एसआईएस) के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था वाले पुलिस थानों के निर्माण, राज्य खुफिया शाखाओं और विशेष बलों को मजबूत करने के लिए 992 करोड़ रुपये की परियोजनाएं मंजूर की गई हैं.

पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार ने सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) पहले की तुलना में दोगुना से भी अधिक कर दिया है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े के अनुसार, हिंसा की कुल घटनाओं में 52 प्रतिशत की गिरावट आई है - जो 14,862 (मई 2005 से अप्रैल 2014 के दौरान) से कम होकर 7,128 (मई 2014 से अप्रैल 2023 के दौरान); वामपंथी उग्रवाद से संबंधित मौतों में 69 प्रतिशत की कमी- 6,035 (मई 2005-अप्रैल 2014) से कम होकर 1,868 (मई 2014-अप्रैल 2023) और सुरक्षा कर्मियों की मृत्यु में 72 प्रतिशत की गिरावट आई - 1,750 (मई 2005-अप्रैल 2014) से कम होकर 485 (मई 2014-अप्रैल 2023).

इसके अनुसार नागरिकों की मृत्यु के मामले में, 68 प्रतिशत की गिरावट आई है - 4,285 (मई 2005-अप्रैल 2023) से कम होकर 1,383 (मई 2016-अप्रैल 2023); हिंसा की रिपोर्ट करने वाले जिलों में 53 प्रतिशत की गिरावट आयी है - 96 (2010) से कम होकर 45 (2022) और हिंसा की रिपोर्ट करने वाले पुलिस थानों में 62 प्रतिशत की गिरावट आई है- जो 465 (2010) से कम होकर 176 (2022) हो गए हैं.

बैठक में कई केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक, केंद्र सरकार के सचिव, राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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