लड्डुओं ने ही लगा दी नज़र, फडणवीस के सपनों को, सिर्फ 24 घंटे में

देवेंद्र फडणवीस की तीसरी बार महाराष्ट्र की गद्दी पर विराजमान होने की महत्वाकांक्षा के पंख तो BJP की ओर से आए संदेश ने ही कतर दिए थे, लेकिन इतना ही शायद काफी नहीं था, पार्टी यह भी चाहती थी कि वह उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम करें.

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उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद देवेंद्र फडणवीस की लड्डू खाते हुए फोटो सामने आ गई...
नई दिल्ली:

उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा दिया, और लगभग तुरंत ही देवेंद्र फडणवीस की लड्डू खाते हुए फोटो सामने आ गई. बदला मीठा होता है. चूंकि 2019 में उद्धव ने ही मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी जगह ली थी, सो, BJP नेता तभी से पूरी कोशिश कर रहे थे कि उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाए. सो, अब परसों रात अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से घिरे हुए और मुस्कुराते हुए देवेंद्र फडणवीस ने खुलकर जश्न मनाया.

लेकिन हो सकता है, लड्डुओं ने ही नज़र लगा दी, क्योंकि कल रात जो कुछ भी हुआ, वह शर्तिया वह नहीं था, जिसके लिए फडणवीस ने मेहनत की थी. सूत्रों का कहना है कि दोपहर 12 बजे BJP के प्रमुख नेता फडणवीस के आवास पर मिले थे, जहां BJP के महासचिव और महाराष्ट्र प्रभारी सी.टी. रवि ने बताया कि महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे होंगे, जो उद्धव ठाकरे की शिवसेना से बहुमत पाने लायक विधायकों को तोड़ लाए और नौ दिन तक चली महाभारत के सूत्रधार बने. अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गए उद्धव ने विश्वासमत से पहले ही इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उसमें वह हारने वाले थे.

देवेंद्र फडणवीस की तीसरी बार महाराष्ट्र की गद्दी पर विराजमान होने की महत्वाकांक्षा के पंख तो BJP की ओर से आए संदेश ने ही कतर दिए थे, लेकिन इतना ही शायद काफी नहीं था, पार्टी यह भी चाहती थी कि वह उपमुख्यमंत्री के तौर पर काम करें. उनके पिछले दर्जे और एकनाथ शिंदे के विद्रोह में बढ़-चढ़कर निभाई गई भूमिका के मद्देनज़र यह बड़ी पदावनति थी. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ उन्हें सिंहासन मिलने की उम्मीद थी, क्योंकि मीडिया भी सारे दिन यही सुर्खियां चलाता रहा था कि फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे और एकनाथ शिंदे उनके उपमुख्यमंत्री होंगे.

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देवेंद्र फडणवीस (दाएं) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की थी कि वह एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल नही होंगे...

सूत्रों के अनुसार, BJP के पास फडणवीस को उनकी पसंद का इनाम नहीं देने के बहुत-से कारण हैं. शिंदे को सरकार का नेता चुनकर पार्टी यह दावा कर सकती है कि उद्धव को हटाया जाना उनके फायदे के लिए नहीं था. इसके अलावा, इस कदम से अपने गुट को असली शिवसेना साबित करने में जुटे शिंदे को मदद मिलेगी, शिवसेना पर नियंत्रण के मामले में ठाकरे परिवार को नुकसान होगा, और शिवसेना के वे कार्यकर्ता, जो उद्धव के पिता बाल ठाकरे को श्रद्धेय मानते हैं, संभवतः एकनाथ शिंदे के प्रति वफादार हो जाएंगे. शिवसेना का नेतृत्व एक 'अजेय' नेता के हाथ से निकलकर ऐसे नेता के हाथ में आ जाएगा, जिसने कल रात ही सार्वजनिक रूप से BJP के प्रति आभार व्यक्त किया है.

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और फडणवीस के साथ किया गया व्यवहार BJP के हमेशा अपनाए जाने वाले रुख की पुष्टि भी करता है - उन नेताओं को उनकी जगह दिखाई जाए, जो दिए गए आदेश से बढ़कर काम करते हैं. फडणवीस की सार्वजनिक छवि, उनका संभवतः यह मानकर चलना कि गद्दी उन्हीं की है, लड्डू बांटने की तस्वीरें - हो सकता है, इन्हीं सब कारणों से फडणवीस को नुकसान हो गया.

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लेकिन शाम से कुछ पहले लगभग 4 बजे तक यह सब किसी को नहीं पता था. सो, यह बिल्कुल अचानक हुआ, जब शिंदे की बगल में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते फडणवीस ने 4 बजे घोषणा की कि मुख्यमंत्री शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ही होंगे. कुछ ही पल और वाक्यों के बाद उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह स्वयं सरकार का हिस्सा नहीं होंगे. उन्होंने ज़ोर देकर कहा था, 7:30 बजे के समारोह में शिदे अकेले ही शपथग्रहण करेंगे, और शेष मंत्री बाद में तय कर लिए जाएंगे.

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देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथग्रहण की...

यह घोषणाएं अभी ढंग से हज़म भी नहीं हुई थीं, जब शपथग्रहण कार्यक्रम के लिए शिंदे और फडणवीस पहुंचे. गति तो इस कहानी की शुरू से ही काफी तेज़ रही है. इसी बीच, BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने ट्वीट किया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से फडणवीस से अनुरोध किया है कि वह उपमुख्यमंत्री पद संभालें, तुरंत ही स्टेज पर एक और कुर्सी लाकर लगा दी गई, शिंदे के लिए रखी गई कुर्सी के साथ. उसके बाद गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया कि फडणवीस ने पार्टी का अनुरोध स्वीकार कर लिया है. और फिर, फडणवीस ने भी साफ कहा, ट्विटर पर भी, कि वह पार्टी के आदेश का सम्मान करते हैं.

BJP में बैठे सूत्रों का कहना है कि इसे समूचे घटनाक्रम को फडणवीस के पर कतरने की कवायद की तरह देखा जाना गलत होगा. सूत्रों के अनुसार, राज्य को चलाने में उनका व्यापक तजुर्बा नई सरकार के लिए भी ज़रूरी है. वह न सिर्फ शिंदे को काबू में रखने में काम आएंगे, बल्कि इस कदम से यह भी सुनिश्चित होगा कि सरकार के फैसलों पर BJP की मज़बूत पकड़ बनी रहे.

पार्टी का फैसला फडणवीस को कितना चुभा, यह इस सच्चाई से ही ज़ाहिर है कि उन्होंने शायद अपनी भूमिका को लेकर फैसला खुद ही कर लिया, जिसके उदाहरण BJP में नहीं मिलते हैं. खैर, उन्हें कितनी तेज़ी से रास्ते पर लाया गया, वह आमतौर पर BJP में होता ही है. उस पार्टी में, जहां मतभेदों को सार्वजनिक नहीं किया जाता, जहां नेता विरले मौकों पर ही शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बोलने की हिम्मत कर पाते हैं, वहां फडणवीस ने आचार संहिता का उल्लंघन किया. लगता है, लड्डुओं ने ही नज़र लगा दी...

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