केंद्र संग बातचीत से पहले सोनम वांगचुक ने दी 'आमरण अनशन' की धमकी, लद्दाख के लिए ये है मांग

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित सोनम वांगचुक ने कहा, "हम 24 फरवरी की उप-समिति की बैठक और 25 फरवरी को लेह में हमारे नेताओं की वापसी तक इंतजार करेंगे. सार्वजनिक सभा में तय होगा 'आमरण अनशन' करना है या नहीं.

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नई दिल्ली:

सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे समते अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन (Sonam Wangchuk Fast Unto Death) कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते केंद्र के साथ होने वाली बातचीत के बाद यह तय किया जाएगा. सोनम वांगचुक ने एक बार फिर से "आमरण अनशन" की चेतावनी दी है. वांगचुक का 'आमरण अनशन' पहले से प्रस्तावित है. सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों के लिए एक अभियान चला रहे हैं. उन्होंने कहा, "हम 26 फरवरी को लेह में एक बहुत बड़ी सार्वजनिक सभा बुलाएंगे. उन्होंने 'पीटीआई' से कहा कि सभा में या तो लद्दाख के लोगों की मांगों को मानने के लिए सरकार को धन्यवाद देंगे या फिर बातचीत विफल होने की स्थिति में आमरण अनशन करेंगे." अपनी मांगों के समर्थन में उन्होंने मंगलवार से आमरण अनशन शुरू करने की चेतावनी दी है.

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"केंद्र लद्दाख समेत इन मांगों पर चर्चा के लिए सहमत"

फिलहाल राजधानी लेह में मौजूद लद्दाख नेतृत्व ने सोमवार को केंद्र सरकार के साथ नए दौर की बातचीत के बाद विकास को जरूरी बताते हुए "आमरण अनशन" कार्यक्रम को अस्थायी रूप से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र लद्दाख को राज्य का दर्जा, केंद्र शासित प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र के लिए एक विशेष लोक सेवा आयोग की स्थापना की मांगों पर चर्चा करने के लिए सहमत हो गया है. 

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केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में लद्दाख के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) और लेह के शीर्ष निकाय (एबीएल) और  केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के बीच एक बैठक के दौरान समझौते पर सहमति बनी. बैठक में मांगों की डिटेल पर विचार करने की कवायद को आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त उप-समिति गठित करने का भी फैसला लिया गया. 

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"या तो सरकार को धन्यवाद देंगे या अनशन करेंगे"

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित सोनम वांगचुक ने कहा, "हम 24 फरवरी की उप-समिति की बैठक और 25 फरवरी को लेह में हमारे नेताओं की वापसी तक इंतजार करेंगे. हम अगले दिन लेह में एक बहुत बड़ी सार्वजनिक सभा बुलाएंगे, या तो हमारी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया जाएगा या फिर बातचीत विफल होने की स्थिति में हम आमरण अनशन शुरू करेंगे."

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