कोलकाता की RG कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की IMA ने निलंबित की सदस्यता

आरजी कर हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी के बाद प्रिंसिपल रहे संदीप घोष पर सवाल उठ रहे हैं.

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नई दिल्ली:

कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर मामले में जांच के साथ ही अब कार्रवाईयों का दौर भी शुरू हो गया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की सदस्यता निलंबित कर दिया है. यह कदम इस महीने की शुरुआत में कोलकाता स्थित इस संस्थान में एक जूनियर डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या की सीबीआई जांच के बीच उठाया गया है.

एसोसिएशन की कोलकाता शाखा के उपाध्यक्ष घोष की सदस्यता के निलंबन का फैसला आईएमए की अनुशासन समिति द्वारा लिया गया.

आईएमए ने एक आदेश में कहा कि संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन द्वारा बुधवार को गठित समिति ने स्नातकोत्तर रेजिडेंट डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले तथा आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में उसके बाद के घटनाक्रम पर स्वत: संज्ञान लेते हुए विचार किया.

इसमें कहा गया है कि आईएमए महासचिव ने अशोकन के साथ मृत चिकित्सक के माता-पिता से उनके घर पर मुलाकात की थी.

आदेश में कहा गया, “उन्होंने स्थिति से निपटने में आपके (घोष) खिलाफ अपनी शिकायतें रखीं, साथ ही उनके साथ अपने व्यवहार में अपनी जिम्मेदारी के अनुरूप उचित तरीके से मुद्दे को संभालने में सहानुभूति और संवेदनशीलता की कमी के बारे में भी बताया.”

इसमें कहा गया, “आईएमए बंगाल राज्य शाखा के साथ-साथ डॉक्टरों के कुछ संघों ने भी आपके द्वारा पूरे पेशे को बदनाम करने की प्रकृति का हवाला देते हुए कार्रवाई की मांग की है.”

आदेश में कहा गया है कि आईएमए की अनुशासन समिति ने “सर्वसम्मति से आपको इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की सदस्यता से तत्काल निलंबित करने का निर्णय लिया है.”

इससे पहले आईएमए को लिखे एक पत्र में फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) ने घोष के संगठन के साथ जुड़े रहने पर चिंता व्यक्त करते हुए उनकी सदस्यता रद्द किये जाने की मांग की थी.

सीबीआई ने डॉक्टर से रेप और हत्या मामले में संदीप घोष से पूछताछ की है, साथ ही लाइ-डिटेक्टर टेस्ट भी किया है.

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घोष पर मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है. महिला डॉक्टर का बुरी हालत में शव मिलने के बाद भी समय पर पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई गई.

संदीप घोष पर डॉक्टर की हत्या के संबंध में कोई आरोप नहीं है, लेकिन उन्हें गैर-जमानती भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है.

एक पूर्व कर्मचारी ने डॉ. घोष पर शवों और बायोमेडिकल कचरे की तस्करी का आरोप लगाया है.

सीबीआई ने घोष के कोलकाता स्थित घर की 11 घंटे तक तलाशी भी ली और ढेर सारे सबूत जब्त करने का दावा किया था. साथ ही डॉ. घोष से अब तक लगभग 90 घंटे की पूछताछ हो चुकी है.

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घटना से कुछ दिनों के बाद डॉक्टर संदीप घोष ने नैतिक ज़िम्मेदारी का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था, लेकिन कुछ ही घंटों के भीतर बंगाल सरकार ने उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया.

इस कदम के कारण सीएनएमसी कर्मचारियों के साथ-साथ डॉक्टर की हत्या का विरोध करने वालों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया और कलकत्ता उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा, और उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया गया.

अदालत ने नियुक्ति पर भी सवाल उठाए, जिसके कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आलोचकों और प्रदर्शनकारियों के समूहों ने दावा किया कि राज्य सरकार डॉ. घोष को बचा रही है.

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