Kolkata Rape Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर की घटना के बाद, डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा तथा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक नेशनल प्रोटोकॉल डेवलेप करने के लिए मंगलवार को 14 सदस्यीय टास्कफोर्स का गठन किया है. यह कार्यबल तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट सौंपेगा. इस दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को फटकार लगाई और कहा कि देश एक और बलात्कार की घटना का इंतजार नहीं कर सकता है.
डॉक्टरों की रक्षा करना राष्ट्रीय हित का मामला
अदालत ने कहा कि कामकाजी परिस्थितियों ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा का खतरा बढ़ा दिया है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महिला चिकित्सकों की रक्षा करना राष्ट्रीय हित का मामला है और समानता का सिद्धांत इससे कम की अपेक्षा नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमीनी स्तर पर चीजें बदलने के लिए देश एक और दुष्कर्म की घटना का इंतजार नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून हैं, लेकिन उनमें व्यवस्थागत मुद्दों का समाधान नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित टास्कफोर्स के 14 सदस्यों में सर्जन वाइस एडमिरल आर के सरियां, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी के प्रबंध निदेशक डॉ. रेड्डी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, निमहंस, बेंगलुरु की डॉ. प्रतिमा मूर्ति शामिल हैं.
1. वाइस एडमिरल आरके सरीन
2. डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी
3. डॉ. एम श्रीनिवास
4. डॉ. प्रतिमा मूर्ति
5. डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी
6. डॉ. सौमित्र रावत
7. प्रोफेसर अनीता सक्सेना
8. प्रोफेसर पल्लवी सप्रे
9. डॉ. पद्मा श्रीवास्तव
10. केंद्रीय कैबिनेट सचिव
11. केंद्रीय गृह सचिव
12. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव
13. नेशनल मेडिसिन कमीशन के अध्यक्ष
14. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनर्स के अध्यक्ष
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव और गृह सचिव राष्ट्रीय कार्यबल के पदेन सदस्य होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में डॉक्टरों के बलात्कार-हत्या मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को अपनी जांच पर 22 अगस्त तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और पश्चिम बंगाल को आरजी कर अस्पताल में भीड़ के हमले की जांच की प्रगति पर 22 अगस्त तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में परास्नातक चिकित्सक के बलात्कार और हत्या की घटना के विरोध में देशभर में जारी चिकित्सकों की हड़ताल के बीच इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है.
CJI ने कई घटनाओं का दिया उदाहरण
CJI ने हैदराबाद समेत कई जगहों पर हुई घटनाओं को हवाला दिया और कहा कि चिकित्सा पेशेवर हिंसा के प्रति संवेदनशील हो गए हैं. जड़ जमाए हुए पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रहों के कारण महिला डॉक्टरों को अधिक निशाना बनाया जाता है. मेडिकल प्रोफेशनल को कई तरह की हिंसा का सामना करना पड़ता है. वे चौबीसों घंटे काम करते हैं. काम की परिस्थितियों ने उन्हें हिंसा के प्रति संवेदनशील बना दिया है. मई 2024 में पश्चिम बंगाल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों पर हमला किया गया, जिनकी बाद में मौत हो गई. बिहार में एक नर्स को मरीज के परिजनों ने धक्का दिया. हैदराबाद में एक और डॉक्टर पर हमला हुआ. यह डॉक्टरों की कार्य स्थितियों के लिए एक बड़ी विफलता और व्यवस्थागत विफलता का संकेत हैं. पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रहों के कारण, मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा महिला डॉक्टरों पर हमला करने की संभावना अधिक होती है. और वे यौन हिंसा के प्रति भी अधिक संवेदनशील होती हैं और अरुणा शानबाग का मामला इसका एक उदाहरण है. लैंगिक हिंसा व्यवस्था में महिलाओं के लिए सुरक्षा की कमी को दर्शाती है.
(आईएएनएस इनपुट के साथ...)
ये भी पढ़ें :- कोलकाता रेप-मर्डर केस- सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया