Jagannath Mandir Story: जगन्नाथ मंदिर के 4 दरवाजों की कहानी और 22 सीढ़ियों का रहस्य क्या है?

जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के सभी चारों दरवाजों का श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है. इस खास मौके पर नए सीएम मोहन चरण माझी ने मंदिर में पूजा अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद लिया. ओडिशा की नई सरकार ने बुधवार को जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वारों को खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, आज उसको अमल में लाया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
जगन्नाथ मंदिर के 4 दरवाजों और 22 सीढ़ियों का रहस्य.
नई दिल्ली:

जगन्नाथ धाम यानी कि धरती का बैकुंठ. ओडिशा में सरकार बनते ही बीजेपी सरकार ने अपना बड़ा चुनावी वादा पूरा करते हुए जगन्नाथ धाम (Odisha Jagannath Puri Temple) के चारों द्वार खुलवा दिए. CM मोहन चरण माझी ने बुधवार को इसका ऐलान किया. कोरोना महामारी के बाद से श्रद्धालुओं को एक ही द्वार से मंदिर में प्रवेश करना पड़ता था, जिससे भीड़ और परेशानी होती थी. अब भक्त सभी चर द्वार से मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं. इससे भीड़ से दो चार नहीं होना पड़ेगा. जगन्नाथ मंदिर के ये चार द्वार कौन से हैं और इनके महत्व से जुड़ी कहानी भी जानिए.

जगन्नाथ मंदिर के 4 द्वार कौन-कौन से?

जगन्नाथ मंदिर के बाहरी दीवार पर पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी चार द्वार हैं. पहले द्वार का नाम सिंहद्वार (शेर का द्वार), दूसरे द्वार का नाम व्याघ्र द्वार (बाघ का द्वार),  तीसरे द्वार का नाम हस्ति द्वार (हाथी का द्वार) और चौथे द्वारा का नाम  अश्व द्वार (घोड़े का द्वार) है. इन सभी को धर्म, ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है. 

Advertisement

जगन्नाथ मंदिर का द्वार

जगन्नाथ मंदिर के 4 द्वारों का महत्व?

मंदिर का पूर्वी द्वार सिंहद्वार: यह जगन्नाथ मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है. इस द्वार पर झुकी हुई मुद्रा में दो शेरों की प्रतिमाएं हैं. माना जाता है कि इस द्वार से मंदिर में प्रवेश करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

Advertisement

मंदिर का पश्चिमी द्वार व्याघ्र द्वार: जगन्नाथ मंदिर के इस प्रवेश द्वार पर बाघ की प्रतिमा मौजूद है. यह हर पल धर्म के पालन करने की शिक्षा देता है. बाघ को इच्छा का प्रतीक भी माना जाता है. विशेष भक्त और संत इसी द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं.

Advertisement

मंदिर का उत्तरी द्वार हस्ति द्वार: मंदिर के इस द्वार के दोनों तरफ हाथियों की प्रतिमाएं लगी हैं. हाथी को माता लक्ष्मी का वाहन माना जाता है. कहा जाता है कि मुगलों ने आक्रमण कर हाथी की इन मूर्तियों को क्षति-विकृत कर दिया था.  बाद में इनकी मरम्मत कर मूर्तियों को मंदिर उत्तरी द्वार पर रख दिया गया. कहा जाता है कि ये द्वार ऋषियों के प्रवेश के लिए है. 

Advertisement

मंदिर का दक्षिणी द्वार अश्व द्वार: मंदिर के इस द्वार के दोनों तरफ घोड़ों की मूर्तियां लगी हुई हैं. खास बात यह है कि घोड़ों की पीठ पर भगवान जगन्नाथ और बालभद्र युद्ध की महिमा में सवार हैं. इस द्वार को विजय के रूप में जाना जाता है.  


जगन्नाथ मंदिर की 22 सीढ़ियां 'बैसी पहाचा'

पुरी के जगन्नाथ धाम मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं. ये सभी सीढ़ियां मानव जीवन की बाईस कमजोरियों का प्रतीक हैं. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, ये सभी सीढ़ियां बहुत ही रहस्यमयी हैं.  जो भी भक्त इन सीढ़ियों से होकर गुजरता है, तो तीसरी सीढ़ी का खास ध्यान रखना होता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखना होता. तीसरी पीढ़ी यम शिला कही जाती है. अगर इस पर पैर रख दिया तो समझो कि सारे पुण्य धुल गए और फिर बैकुंठ की जगह यमलोक जाना पड़ेगा. यही वजह है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए जाते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर न रखने की सलाह दी जाती है.

मान्यता के मुताबिक, मंदिर में 22 सीढ़ियां हैं लेकिन वर्तमान में 18 सीढ़ियां ही दिखाई देती हैं. अनादा बाजार की तरफ की दो सीढ़ियों को जोड़ दें तो ये इनकी संख्या 20 है. 21 और 22वीं सीढ़ी मंदिर की रसोई की तरफ हैं. इन सभी सीढ़ियों की ऊंचाई और चौड़ाई 6 फीट और बात अगर लंबाई की करें तो यह 70 फीट है. मंदिर की कुछ सीढ़ियां 15 फीट चौड़ी भी हैं. वहीं कुछ 6 फीट से भी कम हैं. भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए इन सभी सीढ़ियों को पार करना पड़ता है. 

जगन्नाथ मंदिर की 22 सीढ़ियों के नाम

टिबरा2कुमदबतीमंदाचंदोबतीदयाबतीरंजनीरतिकारौद्राक्रोधाबद्रिकाप्रसारिणी
ब्रतीमार्जनीख्यातिरक्तासंदीपनीअजापानीमदांतीरोहिणीराम्याउग्राक्षोरिने

तीसरी सीढ़ी पर पैर रखते ही यमलोक जाओगे!

माना जाता है कि इन सीढ़ियों पर कदम रखने से इंसान के भीतर की बुराइयां दूर हो जाती हैं. लेकिन भगवान के दर्शन कर वापस लौटते समय तीसरी सीढ़ी से बचने की सलाह दी गई है. पुराणों में तीसरी सीढ़ी को 'यम शिला' कहा गया है. कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ ने तीसरी सीढ़ी यमराज को देते हुए कहा था कि जब भी कोई भक्त दर्शन से लौटते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर रखेगा, तो उसके सभी पुण्य खत्म हो जाएंगे और वह बैकुंठ की बजाय यमलोक जाएगा.
 

ये भी पढ़ें-जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खुले, सत्ता में आते ही सीएम माझी ने पूरा किया वादा

Featured Video Of The Day
The Sabarmati Report देखने पहुंचे CM Yogi Adityanath, Vikrant Massey और Raashii Khanna रहे मौजूद