प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को भी छूट देने से किया इनकार... PM और CM को हटाने वाले बिल पर किरेन रिजिजू

रिजिजू ने कहा कि कैबिनेट बैठक के दौरान यह सुझाव आया कि प्रधानमंत्री को इस प्रावधान से बाहर रखा जाए. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस सिफारिश को अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कैबिनेट से कहा कि उन्हें इस विधेयक से बाहर रखने की सिफारिश की गई है. लेकिन उन्होंने इससे असहमति जताई.

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  • PM मोदी ने प्रस्तावित विधेयक से खुद को छूट देने के सुझाव को कैबिनेट में स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया.
  • रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि वे भी सामान्य नागरिक हैं और उन्हें कोई विशेष सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए
  • सरकार ने 3 विधेयक संसद में पेश किए हैं जिनमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के अधिकारों में संशोधन शामिल हैं.
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नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक प्रस्तावित विधेयक में खुद को छूट देने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया. यह विधेयक उन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान करता है जो गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहते हैं.

'सुझाव आया कि प्रधानमंत्री को इस प्रावधान से बाहर रखा जाए'
रिजिजू ने कहा कि कैबिनेट बैठक के दौरान यह सुझाव आया कि प्रधानमंत्री को इस प्रावधान से बाहर रखा जाए. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस सिफारिश को अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कैबिनेट से कहा कि उन्हें इस विधेयक से बाहर रखने की सिफारिश की गई है. लेकिन उन्होंने इससे असहमति जताई. प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे भी एक नागरिक हैं और उन्हें कोई विशेष सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए.

रिजिजू ने आगे कहा कि हमारी पार्टी के अधिकांश मुख्यमंत्री हैं. अगर हमारे लोग गलती करते हैं, तो उन्हें अपने पद छोड़ने होंगे. नैतिकता का भी कुछ मतलब होना चाहिए. अगर विपक्ष ने नैतिकता को केंद्र में रखा होता, तो वे इस विधेयक का स्वागत करते.

यह बयान उस समय आया जब केंद्र सरकार ने तीन अहम विधेयक संसद में पेश किए. केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025. इन विधेयकों के अनुसार, यदि प्रधानमंत्री, कोई केंद्रीय मंत्री या राज्य का मुख्यमंत्री किसी ऐसे अपराध में गिरफ्तार होता है जिसमें न्यूनतम सजा पांच वर्ष है और वह लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन वह स्वत ही अपने पद से हट जाएगा.

लोकसभा ने इन विधेयकों की समीक्षा के लिए 31 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया है, जिसमें 21 सदस्य लोकसभा से और 10 राज्यसभा से होंगे. समिति को अपनी रिपोर्ट नवंबर के तीसरे सप्ताह में प्रस्तावित शीतकालीन सत्र के दौरान प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है. राज्यसभा ने भी गुरुवार को अपने 10 प्रतिनिधियों के नामांकन को मंजूरी दे दी.

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