खान मार्केट ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कालाबाजारी मामले में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आयात करने वाली कंपनी मैट्रिक्स सेलुलर ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मैट्रिक्स कंपनी की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. मैट्रिक्स कंपनी ने अपनी अर्जी में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को दिल्ली पुलिस ने सीज कर रखा है उसको रिलीज किया जाए. कंपनी की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि कॉन्सेंट्रेटर्स की कीमत तय करने वाला कोई कानून नहीं है. हाई कोर्ट कह रहा है कि मैंने ऊंचे दाम पर बेचा है, जबकि एफआईआर 5 मई की है जब कोई कीमत तय नहीं हुई थी.
उन्होंने कहा कि पूरा मामला यह है कि मैं शुल्क देकर आयात कर रहा हूं और मैं GST के साथ बेच रहा हूं. साथ ही सभी करों का भुगतान किया गया है. हाईकोर्ट का आदेश भावनाओं और परिस्थितियों पर है, कीमत होने पर ही आप जमाखोरी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट मे मेरे खिलाफ निष्कर्ष दिए हैं. भले ही मेरे खिलाफ सामग्री को निचली अदालत ने खारिज कर दिया हो, उन्होंने कोर्ट को बताया कि 3.5 करोड़ से अधिक के मेरे कंसंट्रेटर अस्पतालों और कोविड देखभाल केंद्रों को दिए गए हैं, मेरा पैसा चला गया है. उन्होंने पूछा कि एफआईआर कैसे बनाए योग्य है?
याचिकाकर्ता ने पूछा कि हाईकोर्ट ने जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है लेकिन जमाखोरी कहां हुई है? मैट्रिक्स सेल्युलर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मैट्रिक्स सेलुलर सर्विसेज को राहत देने से इनकार करते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त ऑक्सीजन कंसंट्रेटर वापस लौटाने का आदेश देने से इनकार कर दिया था. कंपनी की मांग को ठुकराते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा हकि मामले की जांच आरंभिक चरण में है, ऐसे में जब्त किए गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को वापस करने का आदेश अभी नहीं दिया जा सकता है.
दिल्ली पुलिस ने जमाखोरी व कालाबाजारी के आरोप में कंपनी के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त किए हैं. जस्टिस योगेश खन्ना ने अपने फैसले में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली पुलिस द्वारा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त करने में कानून की अवहेलना नहीं की गई है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने यह कार्रवाई तब की जब महामारी के दौरान राज्य में ऑक्सीजन की भारी किल्लत थी और जरूरतमंद लोग अपने मरीजों की जान बचाने की खातिर इसके लिए दर-दर भटक रहे थे. हाईकोर्ट ने कहा कि पहली नजर में याचिकाकर्ता कंपनी केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल जून में जारी उस आदेश की अनदेखी कर रही थी जिसमें इस कंपनी या इसके जैसी अन्य कंपनियों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कीमत नहीं बढ़ाने के निर्देश दिए थे.
कोर्ट ने कहा कि यदि जब्त ऑक्सीजन कंसंट्रेटर याचिकाकर्ता को वापस करने का आदेश दिया जाता है तो यह दो जजों की बेंच के आदेश की भी अवहेलना होगी. दो जजों की बेंच ने पुलिस व जिला अधिकारियों से कालाबाजारी में जब्त ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व अन्य चिकित्सा उपकरणों को जरूरतमंद मरीजों के लिए इस्तेमाल करने का आदेश दिया था. कंपनी ने हाईकोर्ट को बताया था कि उसने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन कर और सीमा शुल्क और जीएसटी का भुगतान करते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का आयात किया है. यह दलील देते हुए कंपनी ने पुलिस द्वारा जब्त किए गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को वापस लौटाने की मांग की थी.
मैट्रिक्स सेलुलर सर्विसेज कंपनी ने हाईकोर्ट से दिल्ली पुलिस द्वारा 419 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जब्त किए जाने को अवैध ठहराने और इसे वापस करने का आदेश देने की मांग की थी. दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि कंपनी पूरी ही गोपनीयता के साथ कम दरों पर आयात किए गए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से काफी अधिक दरों पर लोगों को बेच रही थी.