केरल ने इस बार 2018 की गलती नहीं दोहराई है. 2018 की बाढ़ त्रासदी से सबक लेते हुए केरल ने इडुक्की जलाशय के चेरोथोनी बांध को खोलते समय पूरी सावधानी बरती है. बता दें कि यह बांध एशिया में सबसे बड़े बांधों में से एक है. सायरन ने लोगों को डाउनस्ट्रीम में चेतावनी दी, भले ही छोड़े गए पानी की मात्रा 100 क्यूमेक्स (घन मीटर प्रति सेकंड) रही. 2018 की तुलना में यह केवल 5 प्रतिशत तक ही सीमित था. निचले इलाकों से करीब 60 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
केरल राज्य बिजली बोर्ड के अध्यक्ष बी अशोक के अनुसार बांध को आखिरी बार 2018 की भारी बाढ़ के दौरान खोला गया था. तब स्पिल 2000 क्यूमेक्स तक भी था.
केरल में अत्यधिक बारिश से जूझ रहे इदमालयार, काक्की और शोलायर जैसे राज्य के कई बांधों के शटर कल से खोल दिए गए हैं.
सोमवार से कई जलाशय असामान्य तीव्र बारिश के बाद रेड अलर्ट के निशान पर पहुंच गए हैं. अक्टूबर के लिए अब तक अपेक्षित वर्षा लगभग 192.7 मिमी थी लेकिन केरल में इसके बजाय 453.5 मिमी बारिश हुई.
अक्टूबर में असामान्य तौर पर अधिक तीव्र बारिश अगले दो दिनों तक जारी रह सकती है. इसके लिए भविष्यवाणी भी की गई है. कन्नूर और कासरगोड को छोड़कर 12 जिले गुरुवार को भी ऑरेंज अलर्ट पर हैं. ऑरेंज अलर्ट दूसरा उच्चतम स्तर बहुत भारी वर्षा का संकेत देता है.
केएसईबी के अध्यक्ष बी अशोक ने कहा, "हमने 2018 की तुलना में पानी को बहुत मामूली रूप से छोड़ा है. 2018 के बाद केएसईबी बांध प्रबंधन आपातकालीन कार्य योजनाओं में बहुत कुछ बदल गया है."
पूरे केरल में लगभग 150 राहत शिविर चल रहे हैं जहां 4,000 परिवारों को रखा गया है. आंकड़ा बढ़ने की संभावना है.
राज्य में बारिश और उसके परिणामस्वरूप आई बाढ़ और भूस्खलन ने 27 लोगों की जान ले ली है. कोट्टायम जिले में 14, इडुक्की जिले में 10 और तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर और कोझीकोड जिलों में एक-एक लोगों की मौत हुई है.
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