केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका, यूपी सरकार ने किया विरोध

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है

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केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन मथुरा की जेल में बंद हैं (फाइल फोटो).
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यूपी सरकार ने कहा- कप्पन धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का हिस्सा
SFI के वित्तीय शोधनकर्ता रऊफ शरीफ के साथ साजिश रच रहा था
सुप्रीम कोर्ट नौ सितंबर को जमानत याचिका का निपटारा करेगा
नई दिल्ली:

केरल (Kerala) के पत्रकार सिद्दीक कप्पन (Siddique Kappan) की जमानत की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. यूपी सरकार (UP government) ने कप्पन की जमानत का विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में सरकार ने कहा है कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है. सिद्दीकी कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है. 

यूपी सरकार ने कहा है कि, कप्पन CAA-NRC और बाबरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले व हाथरस की घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का बड़ा हिस्सा है. वह SFI के वित्तीय शोधनकर्ता, रऊफ शरीफ के साथ साजिश रच रहा था. साल  2010 में  PFI कैडर (पहले सिमी) ने बेरहमी से न्यूमैन कॉलेज के क्रिश्चियन लेक्चरर टीजे थॉमस के हाथ काट दिए थे. साल 2013 में PFI समर्थित हथियार प्रशिक्षण आतंकवादी शिविर पर केरल पुलिस ने नारथ में छापा मारा था, जिसकी NIA ने जांच शुरू की थी. 

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था. पांच सितंबर तक जवाब मांगा गया था. सुप्रीम कोर्ट नौ सितंबर को जमानत याचिका का निपटारा करेगा. यूपी सरकार ने नोटिस स्वीकार किया था. मामले की सुनवाई CJI यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट की बेंच कर रही है.  

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कप्पन की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा था कि सिर्फ 45 हजार रुपये बैंक में जमा कराने का आरोप है. PFI कोई बैन या आतंकी संगठन नहीं बनाया गया है. वह अक्टूबर 2020 से जेल में है. वह पत्रकार है और हाथरस की घटना की कवेरज़ के लिए जा रहा था. 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई है. 

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केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. तीन अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस में दलित लड़की के साथ सामूहिक रेप तथा हत्या के मामले में माहौल में तनाव होने के बाद भी वहां जाने के प्रयास करने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन को राहत नहीं दी थी. 

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कप्पन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम ( UAPA) का मामला दर्ज करने के बाद उनको जेल भेजा गया था. कप्पन मथुरा जिला जेल में बंद है. यह आदेश जस्टिस कृष्ण पहल की एकल पीठ ने सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया.

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इसके पूर्व अदालत ने दो अगस्त को अभियुक्त तथा सरकार की ओर से पेश वकीलों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. 

मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीक कप्पन को अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था. कप्पन उस समय हाथरस जिले में 19 वर्ष की एक दलित लड़की की सामूहिक दुष्कर्म क बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे. उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे. कप्पन के खिलाफ यूएपीए (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया था. 

कानून की बात : जेल से छूटेंगे सिद्दीक कप्पन? सुप्रीम कोर्ट ने कहा - जमानत पर करेंगे फैसला

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