केरल: वन विभाग ने चावल खाने वाले हाथी को पकड़ने की कवायद शुरू की

हाथी को पकड़ने और उसे स्थानांतरित करने के अभियान के लिए वन विभाग, केएसईबी, दमकल एवं बचाव विभाग और स्वास्थ्य विभाग के 100 से अधिक अधिकारियों को तैनात किया गया है.

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हाथी को पकड़ने के बाद उसे उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत स्थानांतरित किया जाएगा.
इडुक्की:

केरल सरकार ने एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद शुक्रवार को ‘अरिकोम्बन' (हाथी) को पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया. चावल खाने वाला यह हाथी दशकों से यहां चिन्नकनाल और संथानपारा के लोगों के लिए पेरशानी का कारण बना हुआ है. यह हाथी चावल की तलाश में राशन की दुकानों और घरों पर हमला कर देता है.

मुख्य वन संरक्षक आर. एस. अरुण के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल शुक्रवार सुबह से ही हाथी का पता लगाने की कोशिश कर रहा है. हाथी को पकड़ने और उसे स्थानांतरित करने के अभियान के लिए वन विभाग, केएसईबी, दमकल एवं बचाव विभाग और स्वास्थ्य विभाग के 100 से अधिक अधिकारियों को तैनात किया गया है.

एक बार हाथी का पता लगने के बाद मुख्य पशु चिकित्सक अधिकारी अरुण जकरियाह के नेतृत्व में एक टीम द्वारा उसे इंजेक्शन देकर शांत करने की कोशिश किए जाने की उम्मीद है.

वन मंत्री ए.के. ससींद्रन ने सुबह पत्रकारों से कहा कि वन अधिकारी ‘अरिकोम्बन' को झुंड से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं.

ससींद्रन ने कहा, ‘‘ एक बार जब वह अलग हो जाएगा तो उसे एक ऐसे उपयुक्त स्थान पर लाने की कोशिश की जाएगी जहां उसे (इंजेक्शन देकर) शांत किया जा सके ताकि उसे वाहन में लाकर स्थानांतरित किया जा सके.''

मंत्री ने कहा कि निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद लोग हाथी को देखने के लिए क्षेत्र में आ रहे हैं. हाथी को पकड़ने के बाद उसे उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत स्थानांतरित किया जाएगा.

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केरल उच्च न्यायालय ने 19 अप्रैल को उसके द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ पैनल और राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह तीन मई तक वन विभाग द्वारा ‘अरिकोम्बन' को स्थानांतरित करने के लिए वैकल्पिक स्थान पर अंतिम फैसला करे.

उच्च न्यायालय का यह निर्देश वन विभाग द्वारा यह कहे जाने के बाद आया कि उसके पास वैकल्पिक स्थान है और वह इसे उसके द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की समिति (सीओई) के समक्ष रखेगा ताकि ‘अरिकोम्बन' को स्थानांतरित करने पर फैसला किया जा सके.

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अदालत ने दो पशु अधिकार समूहों ‘पीपुल फॉर एनिमल्स' (पीएफए) की त्रिवेंद्रम शाखा और ‘वॉकिंग आई फाउंडेशन फॉर एनिमल एडवोकेसी' की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया था. याचिका में हाथी को कैद में रखने और उसे एक ‘कुमकी' हाथी बनने के लिए प्रशिक्षण देने का विरोध किया गया था.

‘कुमकी' शब्द का इस्तेमाल प्रशिक्षित बंदी एशियाई हाथियों के लिए किया जाता है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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