आम आदमी पार्टी के हाथ से दिल्ली हज कमेटी का नियंत्रण निकल गया है. कौसर जहां दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष बन गई हैं. बीते महीने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बिना निर्वाचित सरकार से सलाह मशवरा किए दिल्ली हज कमेटी के सदस्य नियुक्त कर दिए. दिल्ली हज कमेटी अध्यक्ष के लिए आज चुनाव हुआ, जिसमें 3-2 के बहुमत से बीजेपी कार्यकर्ता कौसर जहां दिल्ली हज कमेटी के अध्यक्ष चुनी गईं.
कौसर जहां को भाजपा का समर्थन था. चुनाव में तीन ही वोट पड़े. दो सदस्यों, गौतम गंभीर, मोहम्मद साद और ख़ुद कौसर जहां ने इनके लिए वोट किया. दो सदस्यों आप विधायकों अब्दुल रहमान और हाजी यूनुस ने बायकाट किया, जबकि कांग्रेस की पार्षद सदस्य नाजिया दानिश उपलब्ध नहीं रहीं.
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कई जगह खबर देखी कि आम आदमी पार्टी को झटका, भाजपा कार्यकर्ता हज कमेटी का चुनाव जीत गई. हमने तो कभी हज कमेटी के चुनाव का भी नहीं सुना था, ये सिर्फ 6 सदस्यों के बीच चुनाव होता है. चुनी हुई सरकार सदस्यों को भेजती थी, उसमें से आपसी सहमति से अध्यक्ष चुना जाता था. लेकिन उपराज्यपाल ने बेईमानी करके खुद सदस्यों के नाम भेज दिये.
उन्होंने कहा कि भाजपा के पास कोई मुस्लिम विधायक नहीं था, तो आम आदमी पार्टी के विधायक अब्दुल रहमान और हाजी यूनूस का नाम भेजा. हो सकता है कि अगले चुनाव में भाजपा अपने किसी विधायक का धर्म परिवर्तन करवा दें. एक सांसद के रूप में गौतम गंभीर को भेजा, उपराज्यपाल ने बेईमानी से कांग्रेस की एक पार्षद नाजिया दानिश का नाम भेज दिया और कौसर जहां, जो इनकी तारीफ करती थीं उनका नाम और एक स्कॉलर जिसके पास डिग्री भी नहीं थी उनका नाम भेजा. उपराज्यपाल ने बेईमानी से हज कमेटी का नाम बदल दिया, जबकि उनको कोई अधिकार नहीं है, उपराज्यपाल ने दिल्ली को शर्मिंदा किया है.