कश्मीरी पंडितों का विरोध प्रदर्शन, टारगेट किलिंग के बाद घाटी छोड़ने की दी धमकी

पिछले महीने बडगाम में मजिस्ट्रेट कार्यालय के अंदर एक कश्मीरी पंडित राहुल भट की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद से वहां के अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

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कश्मीरी पंडितों का प्रदर्शन

श्रीनगर:

सैकड़ों कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) ने गुरुवार को श्रीनगर में टारगेट किलिंग (Target Killing) के विरोध में प्रदर्शन किया. उनमें से कई, विशेष रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारी, घाटी छोड़ चुके हैं और बाकी ने जम्मू में पलायन करने की धमकी दी है. इससे उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौकरी पैकेज की योजना विफल होने का खतरा है.

प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ने की बात कही है. उन्होंने कहा कि कुलगाम में राजस्थान के एक बैंक मैनेजर की आतंकवादी ने गोली मारकर हत्या कर दी, ये पिछले तीन दिनों में हिंदुओं पर दूसरा टारगेट हमला है. तीन सप्ताह से श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे अमित कौल ने श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग से एक तस्वीर साझा की. उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि वह रामबन जिले के रामसू को पार कर आज शाम जम्मू पहुंचे हैं. उन्हें जाने से रोकने के लिए, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने बैरिकेड्स लगा दिए थे और ट्रांजिट कैंपों के गेट बंद कर दिए थे.

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पिछले महीने बडगाम में मजिस्ट्रेट कार्यालय के अंदर एक कश्मीरी पंडित राहुल भट की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद से वहां के अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं श्रीनगर एयरपोर्ट ने उस अफवाह को गलत बताया है कि जिसमें कहा गया है कि कश्मीरी पंडित बड़ी संख्या में बाहर जा रहे हैं.

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एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया, "हम इस अफवाह का जोरदार खंडन करते हैं. हम रोजाना 16,000 से 18,000 यात्रियों को संभालते हैं. आज भी यात्रियों की संख्या औसत है. अफवाह की तरह यहां अल्पसंख्यक समुदाय की ऐसी कोई भारी भीड़ नहीं है. कृपया इस तरह की अफवाहें न फैलाएं."

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इधर कश्मीर में स्थिति की समीक्षा के लिए दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है. शाह ने केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को भी बैठक के लिए दिल्ली बुलाया है. गृह मंत्री के उनसे पूछने की संभावना है कि केंद्र के इतने प्रयासों के बावजूद, प्रशासन घाटी में हिंदू समुदाय को सुरक्षा का आश्वासन क्यों नहीं दे पाया है.

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