- उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के एक गांव में यादव जाति के कथावाचक के साथ मारपीट की गई.
- कथावाचक ने आरोप लगाया कि यादव होने की वजह से ब्राह्मणों उनके और उनके साथियों से मारपीट की.
- काशी विद्वत परिषद ने कहा है कि भागवत कथा कहने का अधिकार सभी हिंदुओं को है.
- ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य का कहना है कि सभी जातियों को कथा सुनाने का अधिकार केवल ब्राह्मणों को है.
देश में इन दिनों उत्तर प्रदेश के इटावा में एक कथावाचक के साथ हुई अमानवीय हरकत की चर्चा है. कथावाचक का आरोप है कि जाति या यादव होने की वजह से ब्राह्मण जाति के लोगों ने उसके और उसके साथियों के साथ मारपीट और अमानवीय हरकत की. इस घटना के बाद देश में इस बात को लेकर बहस चल पड़ी है कि भागवत कथा या धार्मिक प्रवचन करने का अधिकार किसके पास है. इसको लेकर तरह-तरह की राय सामने आ रही है. इस बीच काशी विद्वत परिषद का कहना है कि भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिंदुओं को है. वही ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि शास्त्रों के मुताबिक कथा सुनाने के लिए ब्राह्मण ही उपयुक्त हैं.
कथा कहने के अधिकार को लेकर बहस की शुरूआत उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दंदारपुर गांव में इसी हफ्ते हुए एक घटना के बाद हुई है. भागवत कथा करने वाले मुकुट मणि यादव और उनके सहयोगी संत सिंह यादव ने आरोप लगाया है कि उस गांव में वो कथा कहने गए थे. वहां पर उनकी जाति जानने के बाद ब्राह्मण जाति के आयोजकों ने उनका मुंडन कर अपमानित किया और मारपीट की. दोनों कथावाचकों ने उनके शरीर पर मूत्र छिड़कने का भी आरोप लगाया है.
किसके पास है कथा कहने का अधिकार
इस घटना के सामने आने के बाद वाराणसी की मशहूर काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा है कि भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिन्दुओं को है. उन्होंने कहा,''हमारी सनातन परंपरा में ऐसे तमाम गैर ब्राह्मण लोग हुए हैं, जिनकी गणना ऋषि के रूप में की गई है. इनमें चाहे महर्षि वाल्मीकि, वेदव्यास हों या रविदास हों, सनातन परंपरा में सभी को सम्मान और आदर प्राप्त हुआ है.''
उन्होंने कहा,''भागवत कथा करने का अधिकार सभी हिंदुओं को है और किसी भी हिन्दू को इससे रोका नहीं जा सकता.जो शास्त्रों को जानते हैं, भक्ति भाव, सत्यनिष्ठ, ज्ञानवान और जानकार हैं, उन्हें कथा कहने का अधिकार है, जो ज्ञानी है, वही पंडित या ब्राह्मण कहलाने का अधिकारी हैं.'' उन्होंने कहा कि कुछ लोग राजनितिक लाभ के लिए हिंदुओं को आपस में लड़ाना चाहते हैं. हिंदुओं को इस बात को समझना चाहिए और आगे इस तरह की गलती नहीं दोहराई जानी चाहिए. द्विवेदी ने यह भी कहा कि इटावा में जिस तरह से कानून का उल्लंघन किया गया, अगर यह सत्य है तो प्रशासन को निष्पक्ष जांच कर संवैधानिक तरीके से काम करना चाहिए और दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
क्या कोई भी योग्य व्यक्ति कर सकता है कथा वाचन
इटावा की घटना को लेकर गुरुवार को काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई. इसमें सर्वसम्मति से इटावा की घटना की निंदा की गई. यादव होने के कारण कथावाचक के साथ हुई घटना को लेकर बैठक में कहा गया कि भागवत कथा का हर हिंदू को अधिकार है, लेकिन असत्य से बचना चाहिए. इस तरह की घटनाओं के बाद किसी भी व्यक्ति को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.
वहीं संपूर्णनंद संस्कृत विविद्यालय के कुलपति प्रोफसर बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि कथावाचन के लिए शास्त्रों में जाति के आधार पर कोई भेद नहीं है. उन्होंने कहा कि कोई भी योग्य व्यक्ति कथा वाचन कर सकता है और ज्ञान का जाति के आधार पर कोई भेद नहीं है. शर्मा ने कहा,''ज्ञान सबको एक समान देखता है. सभी में ईश्वर का वास है, इसलिए सभी एक समान है. किसी में कोई भेद नहीं है. जिनका आचरण शुद्ध है, जिन्हें शास्त्रों का ज्ञान है,वे सभी ब्राह्मण हैं.''
वहीं ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि कोई भी अपने घर में अपनों को,अपनी जाति के लोगों को भागवत कथा सुना सकता है. यदि सभी जाति के लोगों को कथा सुनानी हो तो वो अधिकार केवल ब्राह्मणों को है. उससे किसी भी जाति के लोगों को आपत्ति नहीं होगी.सभी जातियों के लोग बैठकर कथा सुन सकेंगे.
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