कर्नाटक के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में तीन और उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की शनिवार को वकालत की. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस आलाकमान के साथ इस बारे में चर्चा करेंगे. उन्होंने वीरशैव-लिंगायत, अनुसूचित जाति-जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों के नेताओं को उपमुख्यमंत्री पद दिए जाने की वकालत की. फिलहाल वोक्कालिगा समुदाय से संबंधित डीके शिवकुमार सिद्धारमैया के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री हैं. शिवकुमार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं.
राजन्ना ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव नजदीक है, हम देख रहे हैं और सभी दल चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. हमारी इच्छा है कि कांग्रेस को कर्नाटक में अधिकतम सीट पर जीतना चाहिए. हमें अपनी जीत पर भरोसा है.'' मंत्री ने कहा कि उपमुख्यमंत्री का एक पद अनुसूचित जाति-जनजाति, एक पद अल्पसंख्यक समुदाय और एक पद वीरशैव समुदाय के नेता को दिया जाना चाहिए.
मंत्री ने अपने इस विचार को व्यक्तिगत राय बताते हुए कहा कि वह इस मसले पर आला कमान के साथ चर्चा करेंगे. यह पूछे जाने पर कि किसे उपमुख्यमंत्री बनाना चाहिए, इस सवाल के जवाब में अनुसूचित जनजाति के नेता राजन्ना ने कहा कि इसका फैसला आला कमान करेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उपमुख्यमंत्री पद नहीं चाहता, लेकिन आला कमान को इन समुदायों के नेताओं को यह पद देना चाहिए. आला कमान का निर्णय हम सबका निर्णय होगा.''
राजन्ना के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आईटी/बीटी मंत्री प्रियंक खरगे ने कहा, ‘‘कोई भी कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष अपनी राय रख सकता है...लेकिन मुझे नहीं लगता कि आलाकमान के समक्ष इस तरह (एक से अधिक उपमुख्यमंत्री) का कोई प्रस्ताव है.''
एक समाचार चैनल पर शुक्रवार को तीन और उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से संबंधित राजन्ना के बयान पर शिवकुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की है. लेकिन शिवकुमार के भाई और सांसद डी के सुरेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आपको इसके बारे में राजन्ना से पूछना चाहिए...वह सरकार चलाने में शामिल हैं.''
कांग्रेस के भीतर एक वर्ग की राय है कि राजन्ना का बयान सिद्धरमैया के खेमे द्वारा शिवकुमार को नियंत्रण में रखने और सरकार तथा पार्टी दोनों में उनके प्रभाव को कम करने की योजना का हिस्सा है, क्योंकि इस बात की चर्चा है कि इस सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के बाद शिवकुमार मुख्यमंत्री पद की मांग कर सकते हैं. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के अंदर अलग-अलग आवाज उठती रही हैं.
हाल ही में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और एमएलसी बी के हरिप्रसाद ने कहा था कि या तो दलित नेता और सबसे लंबे समय तक केपीसीसी अध्यक्ष रहे जी परमेश्वर (अब गृह मंत्री) को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था या कम से कम उपमुख्यमंत्री पद के लिए उनके नाम पर विचार किया जाना चाहिए था, क्योंकि वह पहले भी उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि अनुसूचित जनजाति समुदाय के सतीश जारकीहोली (लोक निर्माण मंत्री) को उपमुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था.
राजन्ना के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गृह मंत्री परमेश्वर ने आज कहा, ‘‘उनके बयान में कुछ भी गलत नहीं है. उन्हें यह बात मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष को बतानी होगी. उन्होंने कहा है कि वह इस संबंध में पत्र लिखेंगे और आलाकमान से मिलेंगे. यह उनकी निजी राय है, जिसे उन्होंने इसे व्यक्त किया है.''
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