कर्नाटक चुनाव: CM की कुर्सी के लिए पार्टियों के बड़े नेताओं के सामने है बड़ी चुनौतियां

कर्नाटक चुनाव में इस बार कई बड़ी सीटों पर रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है. इन सीटों पर कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस जैसी पार्टी के कद्दावर नेता मैदान में हैं. जिनमें से कई पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हो सकते हैं.

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नई दिल्ली:

कर्नाटक चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियों की तैयारियां आखिर दौर में है. भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और जेडीएस ने अपने-अपने उम्मीदवारों की कई सूची भी जारी कर दी है. कई सीटों पर तो उम्मीदवार अपना नामांकन भी भर चुके हैं. इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच माना जा रहा है, हालांकि जेडीएस भी गेम चेंजर बन सकती है. बता दें कि राज्य में 10 मई को मतदान होंने हैं जबकि नतीजे 13 मई को आएंगे. चुनाव से पहले मतदाओं के बीच किन मुद्दों को लेकर जाया जाए और आने वाले समय में पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री कौन होगा ये अब तमाम पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है. साथ ही साथ पार्टी के बड़े नेताओं के सामने दूसरी पार्टी ने जिन नेताओं को मैदान में उतारा है वो भी मुकाबले का बड़ा रोमांचक बना सकता है. 

कांग्रेस पार्टी में दिख रहे हैं दो दावेदार 

कर्नाटक चुनाव में बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने का असर पार्टी को मिलने वाले वोट प्रतिशत पर पड़ सकता है. पार्टी इसे अपने लिए फायदेमंद मानकर चल रही है. लेकिन कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी के लिए इस चुनाव में मुख्यमंत्री पद के तौर पर किसी एक नेता का चुनाव करना असान नहीं है. पार्टी सूत्रों के अनुसार इस बार सीएम पद के दो उम्मीदवार हैं. मुख्य टक्कर डी के शिवकुमार और सिद्धरमैया के बीच बताई जा रही है. मुख्यमंत्री पद के दावेदार और कोरबा समाज के ओबीसी नेता सिद्धारमैय्या को पार्टी ने वरुणा से टिकट दिया है. 

हालांकि, वो इस बार वरुणा के साथ-साथ कोलार से भी चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन पार्टी ने उन्हें सिर्फ वरुणा से टिकट दिया है. वरुणा से बीजेपी ने लिंगायत नेता वी सोमनन्ना को मैदान में उतारा है. उधर, कांग्रेस ने कनकपुरा सीट से डीके शिवकुमार को टिकट दिया है. इस सीट से डी शिवकुमार की राह आसान लग रही है. डी शिवकुमार के खिलाफ बीजेपी ने अपने बड़े नेता आर अशोक को मैदान में उतारा है. इस सीट पर 2008 से पहले जनता परिवार और 2008 के  बाद कांग्रेस के डी के शिवाकुमार जीतते रहे हैं. 

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मौजूदा सीएम के साथ सत्ता विरोधी लहर का डर

बीजेपी शासित इस प्रदेश के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई 2 सीटों से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें टिकट सिर्फ उनकी पुरानी सीट शिग्गाव से दी गई है. जहां से वो 2008 से लगातार जीतते आए हैं. लेकिन जीत का मार्जिन कभी भी 15000 वोट्स से ज्यादा नही रहा है. इस बार बसवराज बोम्मई का सामना है कभी उनके भरोसेमंद रहे मंजूनाथ कुन्नूर से जो सांसद रह चुके हैं और अब कांग्रेस टिकट पर उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. सत्ता विरोधी लहर और भ्रष्टाचार का आरोप से घिरे मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं. 

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जेडीएस कुमारस्वामी की टक्कर सीपी योगेश्वर से

जेडीएस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कुमारस्वामी के लिए भी इस बार का चुनाव बीते कई चुनाव से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है. इस बार उनकी टक्कर बीजेपी के सी पी योगेश्वर से हैं. 51 फीसदी वोक्कालिगा वोटर्स वाले इस विधानसभा क्षेत्र से कुमारस्वामी मौजूदा विधायक हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में किसानों मुख्य मतदाता हैं. पहली बार मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने किसानों का कर्जा माफ किया था और दूसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर किसानों का ब्याज भी माफ कर दिया था. इन सब की वजह से उनकी छवि एक ऐसे बेहतर नेता की है जिससे कोई भी आसानी से मिल सकता है. उम्मीद जताई जा रही है उनके इस छवि का उन्हें फायदा हो सकता है. 

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