कर्नाटक चुनाव : भाषण के दौरान मर्यादा का रखें ख्याल, चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टियों को दी सलाह

आयोग ने कहा कि इस तरह के भाषणों की वजह से संबंधित पार्टी को लेकर जनता के बीच भी सही छवि नहीं बनती है. ऐसे में हमें चाहिए हम ऐसे बयानों से बचें. 

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चुनाव आयोग ने प्रचार के दौरान गिरते भाषा के स्तर पर जताया एतराज
नई दिल्ली:

कर्नाटक चुनाव को लेकर प्रचार के लिए अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में मतदान की तारीख को नजदीक आता देख राजनीतिक पार्टियों के बीच तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे ने पीएम को लेकर टिप्पणी की थी. जिसका बाद में बीजेपी ने जमकर विरोध किया था. चुनावी भाषण में इस तरह के बयान को लेकर अब चुनाव आयोग ने भी आपत्ति जताई है. मंगलवार को आयोग ने कहा कि हमें चुनावी भाषण के दौरान हमेशा मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए. 

चुनाव आयोग ने प्रचार अभियान के दौरान इस तरह की भाषा के इस्तेमाल पर कड़ा एतराज जताया है. आयोग ने कहा कि चुनाव में सभी पार्टी अपने स्टार कैंपेनर को ही प्रचार के लिए भेज रहे हैं. लेकिन किसी स्टार कैंपेनर से इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कहीं से भी सही नहीं है. आयोग ने कहा कि इस तरह के भाषणों की वजह से संबंधित पार्टी को लेकर जनता के बीच भी सही छवि नहीं बनती है. ऐसे में हमें चाहिए हम ऐसे बयानों से बचें. 

बीजेपी अध्यक्ष ने भी जताया था विरोध

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को कहा था कि ऐसे लोग जो पीएम मोदी को लेकर इस तरह का बयान देते हैं वो मानसिक दिवालियापन के शिकार हैं. नड्डा ने पत्रकारों से कहा था कि कांग्रेस पार्टी ही इन दिनों मानसिक दिवालियापन का शिकार हो चुकी है. और इसके नेता गांधी परिवार को फॉलो करते हुए पीएम को लेकर गलत भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. वो अपने वरिष्ठ नेताओं को खुश करने के लिए इस तरह का बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस राज्य में पहले ही चुनाव हार चुकी है. यही वजह है कि उनके नेता अब इस तरह का बयान दे रहे हैं. लेकिन आम जनता इस तरह के बयान को नहीं स्वीकार करेगी और पीएम को लेकर उनका प्यार दिन पर दिन और बढ़ेगा ही. 

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अमित मालवीय ने भी घेरा

बीजेपी अध्यक्ष नड्डा से पहले बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के बेटे प्रियांक को लेकर कहा था कि सोचिए अगर वो मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे नहीं होते तो क्या कर रहे होते. ये सोचने की बात जरूरी है. कोई अपने पिता के नाम पर ही तो आज सब कुछ है. 

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