कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूब चैनल को दी सलाह, 'पहले आप जाएं हाईकोर्ट'

ये मामला तब सामने आया, जब कई मीडिया संस्थानों ने एक सफाई कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों की रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उसने दावा किया था कि उसने धर्मस्थल में कई शवों को दफनाया है.

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  • यूट्यूब चैनल थर्ड आई ने धर्मस्थल मंदिर मामले में निचली अदालत के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी
  • सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका की सुनवाई से इनकार कर पहले हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है
  • सफाई कर्मचारी ने FIR दर्ज कराई थी जिसमें मंदिर में महिलाओं और बच्चों के शव दफनाने का खुलासा किया गया था
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यूट्यूब चैनल थर्ड आई ने धर्मस्थल मंदिर में दफनाने मामले में बेंगलुरु की सिविल और सत्र अदालत के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था. इस याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करने से मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि पहले आप हाईकोर्ट जाएं. इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से CJI बीआर गवई से जल्द सुनवाई की मांग की गई थी.

सफाई कर्मचारी ने FIR में किया था बड़ा खुलासा

दरअसल एक सफाई कर्मचारी ने FIR दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि, साल 1995 से 2014 के बीच धर्मस्थल मंदिर में बच्चों और महिलाओं के शवों को दफनाया गया है, जिसके बाद बेंगलुरु की सिविल और सत्र अदालत ने मीडिया संस्थानों और यूट्यूब चैनलों को धर्मस्थल के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के भाई हर्षेंद्र कुमार डी के खिलाफ कोई भी अपमानजनक सामग्री प्रसारित करने से रोक दिया गया.

यूट्यूब चैनल ने कहा, 'जांच में आएगी बाधा'

यूट्यूब चैनल थर्ड आई ने फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की, जिसमें कहा गया कि ये फैसला धर्मस्थल मंदिर से जुड़े गंभीर अपराधों के आरोपों की उच्च-स्तरीय राज्य आपराधिक जांच में सीधे तौर पर बाधा डालता है.

सुप्रीम कोर्ट ने दी सलाह 

याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ' पहले आप हाईकोर्ट जाइए, फिर यहां आइए, हम अपने हाईकोर्ट को हतोत्साहित नहीं कर सकते हैं.'

दरअसल ये मामला तब सामने आया, जब कई मीडिया संस्थानों ने एक सफाई कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों की रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उसने दावा किया था कि उसने धर्मस्थल में कई शवों को दफनाया है. इसके बाद मामले में धर्मस्थल के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के भाई हर्षेंद्र कुमार डी का नाम सामने आया था.

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