कर्नाटक बीजेपी ने सरकार को नौकरी आरक्षण विधेयक पेश करने की दी चुनौती

विजयेंद्र ने पोस्ट किया, "कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियों को आरक्षित करने वाले विधेयक को मौजूदा सत्र में ही पेश किया जाना चाहिए, नहीं तो कन्नड़ लोगों के गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहें."

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बेंगलुरु:

कर्नाटक में भाजपा ने गुरुवार को सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को चेतावनी दी कि अगर वह मौजूदा विधानसभा सत्र में स्थानीय लोगों के लिए नौकरी आरक्षण पर विधेयक पेश करने में विफल रही तो उसे कन्नड़ लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ेगा. भाजपा के प्रदेश प्रमुख बी.वाई. विजयेंद्र ने पोस्ट किया, "कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियों को आरक्षित करने वाले विधेयक को मौजूदा सत्र में ही पेश किया जाना चाहिए, नहीं तो कन्नड़ लोगों के गुस्से का सामना करने के लिए तैयार रहें. इस विधेयक ने ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों बेरोजगारों के लिए आशा की किरण जगाई है."

विजयेंद्र ने आगे चेतावनी देते हुए कहा, "अगर कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री ने कन्नड़ लोगों के लिए इस विधेयक को रोक दिया तो राज्य के लोग कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेंगे. सरकार घोटालों की जांच को भटकाने और जनता को विचलित करने की साजिश कर सकती है."

उन्होंने कहा, "कन्नड़ लोगों को नौकरी देने वाला विधेयक क्यों पेश किया गया? इसे क्यों रोका गया? आप कन्नड़ लोगों के जीवन से क्यों खेलना चाहते हैं? क्या आपने कन्नड़ लोगों का अपमान किया? कर्नाटक के सभी लोगों की ओर से मैं मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कायरतापूर्ण निर्णय की निंदा करता हूं, जिसने कन्नड़ और कर्नाटक का अपमान किया है. उसने कन्नड़ लोगों को नौकरी देने वाले विधेयक को अचानक रोक दिया है."

विजयेंद्र ने कहा, "कन्नड़ सीखने वाले और यहां रहने वाले सभी लोगों को कन्नड़ मानते हुए सरकार ने नौकरी के अधिकारों की रक्षा के लिए ये कदम उठाया था. उन्होंने एक दिन के भीतर अचानक इसे वापस क्यों ले लिया?" उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री के तीन 'यू-टर्न' के बाद विधेयक पेश न करने का कायरतापूर्ण निर्णय, कर्नाटक विरोधी ताकतों से प्रभावित प्रतीत होता है, जिन्होंने राज्य के स्वाभिमान, कन्नड़ लोगों के गौरव और कन्नड़ पहचान को कमजोर किया है."

उन्होंने आलोचना करते हुए कहा, "जो मंत्री और कांग्रेस नेता कुछ समय पहले ही मीडिया में इस विधेयक के बारे में गर्व से बात कर रहे थे, उन्होंने अब ऐतिहासिक विधेयक को वापस लेने के बाद कन्नड़ लोगों के सामने बोलने का नैतिक अधिकार खो दिया है."

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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