ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर कर्नाटक में सख्ती, विदेश से आने वाले यात्रियों को गुजरना होगा इन पड़ावों से

कोरोना पॉजिटिव आने पर अस्पताल और नेगेटिव आने पर 7 दिनों का होम क्वारंटाइन होगा. 5वें दिन दोबारा आरटीपीसीआर टेस्ट की भी बात है. इसके साथ ही महाराष्ट्र और केरल से लगते इलाकों में निगरानी और टेस्टिंग बढ़ा दिये गये हैं.

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विदेश से आने वाले यात्रियों को एयरपोर्ट पर आरटीपीसीआर टेस्ट करवाना होगा. (फाइल फोटो)
बेंगलुरु:

कोविड-19 के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के खतरे को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं. विदेश से यहां आने वाले सभी यात्रियों को एयरपोर्ट पर आरटीपीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) करवाना होगा. जिन देशों में ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया है वहां से आने वालों को एयरपोर्ट पर तब तक रहना होगा, जब तक आरटीपीसीआर (RT-PCR) की रिपोर्ट नहीं आ जाती है, और इसके लिए 800 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक देने पड़ेंगे. ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाये गए कदमों की झलक बेंगलुरु के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर साफ दिख रही है.

विदेशों से यहां रोज आने वाले तकरीबन ढाई हजार लोगों का आरटीपीसीआर टेस्ट किया जा रहा है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि, "विदेश से आए हुए सभी लोग कहां टेस्ट कर रहे हैं? चाहे वह कहीं से भी आए हों, साथ ही उनके होम क्वारंटाइन की भी निगरानी की जा रही है. हमने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि वह केरल से आने वाले लोगों का छात्रों का टेस्ट सुनिश्चित करें." राज्य में कोरोना के नए वैरिएंट के खतरे को देखते हुए रिस्क वाले देशों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को आरटीपीसीआर कि टेस्ट रिपोर्ट आने तक एयरपोर्ट पर ही रोका जा रहा है. हालांकि, रिपोर्ट आने में 1 से लेकर 6 घंटे तक लग रहे हैं. रैपिड टेस्ट, आरटीपीसीआर और नॉर्मल आरटीपीसीआर के अलग-अलग चार्जेस हैं.

कोरोना पॉजिटिव आने पर अस्पताल और नेगेटिव आने पर 7 दिनों का होम क्वारंटाइन होगा. 5वें दिन दोबारा आरटीपीसीआर टेस्ट की भी बात है. इसके साथ ही महाराष्ट्र और केरल से लगते इलाकों में निगरानी और टेस्टिंग बढ़ा दिये गये हैं. बेलगावी में कर्नाटक, महाराष्ट्र सीमा पर आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट की जांच की जा रही है, तो वहीं चामराजनगर उन जांच पॉइंट्स में से एक है, जो कर्नाटक को केरल से जोड़ते हैं.

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वहीं, जीनोमिक सर्विस समिति के विशाल राव का कहना है कि, "कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर से अब हम लोग ट्रांसमिशन एप्रोप्रियेट बिहेवियर के फेस में दाखिल हो रहे हैं. ट्रांसमिशन एप्रोप्रियेट बिहेवियर का मतलब है वैक्सीन का दोनों डोज लेना और इसके साथ कोविड-19 एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करना. जैसे हैंड सैनिटाइजिंग, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता, तभी हम इस वैरिएंट को फैलने से रोक सकते हैं." बता दें कि, ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है. लेकिन जरूरी है कि हम सभी इसके साथ जुड़े, ताकि कोविड-19 के संक्रमण के दूसरे वेव में जिस तरह के हालात पैदा हुए थे, वैसे हालात दोबारा पैदा न हो.

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