कारम डैम लीकेज मामला: MP के सीएम शिवराज सिंह ने 8 अधिकारियों को किया सस्पेंड

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल संसाधन विभाग के सात अभियंता और एक एसडीओ को कर्तव्य में घोर लापरवाही के आरोप में निलंबित कर गया है.

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भोपाल:

मध्य प्रदेश के धार जिले में कारम नदी पर निर्माणाधीन बांध में 11 अगस्त को दरार आने के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल संसाधन विभाग के सात अभियंता और एक एसडीओ को कर्तव्य में घोर लापरवाही के आरोप में निलंबित कर गया है.

इससे पहले दिन में एमपी कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने सवाल किया था कि मामले में गठित जांच पैनल द्वारा किसे दोषी पाया गया है और जांच पैनल द्वारा आरोपित लोगों के खिलाफ एक पखवाड़े बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

इससे पहले डैम से जुड़ी दो कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था. सरकार ने ANS कंस्ट्रक्शन और सारथी कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट कर दिया है. साथ ही दोनों कंपनियों को नोटिस के साथ रजिस्ट्रेशन भी सस्पेंड कर दिया गया है. बांध निर्माण और सत्ता पक्ष खासकर गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और दोनों कंपनियों से उनके रिश्तों को लेकर विपक्ष ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे.

मध्यप्रदेश के धार जिले के कारम बांध के क्षतिग्रस्त होने की परिस्थितियां, कारण और जिम्मेदार अधिकारियों का उत्तरदायित्व तय करने और भविष्य में इस तरह की घटनाएं फिर से ना हो, इस संबंध में सुझाव के लिए जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था.

समिति में आशीष कुमार के अलावा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान भोपाल के वैज्ञानिक डॉ. राहुल कुमार जायसवाल, जल संसाधन विभाग ब्यूरो ऑफ डिजाइन एण्ड हायडल के मुख्य अभियंता दीपक सातपुते और बांध सुरक्षा बोधी के संचालक अनिल सिंह थे.

गौरतलब है कि एमपी के धार जिले में एक बड़ा डैम हादसा टल गया था. 11 अगस्त को डैम में लीकेज की खबर आई. इसके बाद दिन-रात ऑपरेशन कारम चलाकर बड़े हादसे को रोका गया. तीन दिनों तक मशीनें चलाकर पानी को नया रास्ता दिया गया. इस दौरान तीन कैबिनेट मंत्री, कलेक्टर, कमिश्नर, एसपी सहित पूरा प्रशासनिक अमला जुटा रहा. चट्टानों ने रास्ता रोका तो बारूद बिछाने की भी योजना थी.

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भोपाल में भी तमाम विभागों के आला अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी देर रात 2-3 बजे तक सिचुएशन रूम में बैठते, फिर तड़के से ही रणनीति बनती थी. प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को भी पल-पल की जानकारी भेजी जा रही थी, तय हुआ कि बांध के पानी को बाइपास बनाकर खाली किया जाएगा.

जो रणनीति बनी वो ये कि बांध को खाली करना चाहिए, एकदम से पानी वॉल तोड़कर निकाला जाता तो कई बांधों में तबाही मचा सकता था. इसलिए तय किया कि बाइपास चैनल बनाकर पानी निकाला जाए पहले पानी कम निकले फिर बढ़े तो ऐसा कि वॉल कटता जाए को बड़ा हिस्सा निकल जाएगा, गांव को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. 6 बजे से बाइपास का प्लान किया था, साढ़े 9 बजे पानी ने निकलना शुरू किया. कारम बांध की परिस्थिति से निकलना आपदा प्रबंधन का उच्चतम उदाहरण है.

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