भारतीय नौसेना में आज कलवरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागीर शामिल होने जा रही है. कलवरी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार एक समारोह में पनडुब्बी वागीर को नौसेना के बेड़े में शामिल करेंगे. फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप की मदद से बनी पनडुब्बी वागीर को मुंबई के मझगांव डॉक में बनाया गया है. आधुनिक तकनीकी से स्वदेश में बनी ये पनडुब्बी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ते कदम का परिचायक है. घातक हथियार और जासूसी तकनीकी से लैस वागीर 50 दिन तक पानी में रह सकती है और 50 फीट की गहराई तक जा सकती है.
इसके नौसेना के बेड़े में शामिल होने से नौसेना की मारक क्षमता में और भी इज़ाफ़ा होगा. ये इतनी ख़तरनाक है कि पानी के अंदर ही दुश्मन का खेल बिगाड़ सकती है. इसलिए इसे नाम दिया गया है 'वागीर'. वागीर फ़ारसी शब्द है जिसका अर्थ होता है ख़तरनाक शिकारी.
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अधिकारियों ने बताया कि भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण; मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से किया जा रहा है. कलवरी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है.
अधिकारियों ने बताया था कि पूर्व के वागीर को 01 नवंबर 1973 को 'कमीशन' किया गया था और इसने निवारक गश्त सहित कई परिचालन मिशन संचालित किये. लगभग तीन दशकों तक देश की सेवा करने के बाद 07 जनवरी 2001 को पनडुब्बी का सेवामुक्त किया गया. अपने नए अवतार में 12 नवंबर 20 को लॉन्च की गई 'वागीर' पनडुब्बी को अब तक की सभी स्वदेशी निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम निर्माण समय में पूरा होने का गौरव प्राप्त है. (भाषा इनपुट के साथ)