Explainer: संसद में जस्टिस यशवंत वर्मा पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी, जानिए कैसे लाया जाता है महाभियोग

महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में पेश किया जा सकता है. लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

भारतीय संसद के आगामी मॉनसून सत्र में देश की न्यायिक व्यवस्था के इतिहास में एक और अहम अध्याय जुड़ सकता है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस सिलसिले में विपक्षी दलों से भी बातचीत करेंगे. आइए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम के हर पहलू को विस्तार से:

महाभियोग क्या है?

महाभियोग यानी Impeachment भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) और 124(5) में उल्लिखित है. यह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उनके पद से हटाने की एक संवैधानिक प्रक्रिया है.

महाभियोग सिर्फ दो आधारों पर लाया जा सकता है:

  • दुर्व्यवहार (Misbehaviour)
  • कार्य करने में अक्षमता (Incapacity)


पूरा महाभियोग प्रोसेस क्या होता है?

प्रस्ताव का प्रारंभ

महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में पेश किया जा सकता है. लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं.

पीठासीन अधिकारी की स्वीकृति

प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव की वैधता की जांच करते हैं. जांच समिति का गठन. अगर पीठासीन अधिकारी संतुष्ट होते हैं, तो तीन सदस्यीय जांच समिति गठित होती है जिसमें:

  • एक सुप्रीम कोर्ट का जज
  • एक हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस
  • एक प्रख्यात न्यायविद शामिल होते हैं.

जांच और रिपोर्ट

समिति आरोपों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करती है. अगर समिति आरोपों को सही पाती है तो संसद में प्रस्ताव लाया जाता है.

संसद में मतदान

संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव पर बहस होती है. प्रस्ताव पास होने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत आवश्यक होता है.

Advertisement

राष्ट्रपति की स्वीकृति

संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति इस पर अंतिम फैसला देते हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट दे चुकी है. सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ गम्भीर टिप्पणियां की गई हैं. इसी रिपोर्ट को महाभियोग प्रस्ताव का आधार बनाया जा सकता है. इसलिए अलग से संसदीय जांच समिति गठित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.


सरकार की क्या है रणनीति है?

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे. सूत्र बताते हैं कि सरकार विपक्ष के सहयोग की उम्मीद कर रही है क्योंकि प्रस्ताव को पास कराने के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत जरूरी है. हालांकि विपक्ष पहले से लंबित जस्टिस शेखर यादव महाभियोग प्रस्ताव का हवाला देकर दबाव बना सकता है.

Advertisement

आपराधिक कार्रवाई महाभियोग के बाद ही संभव

जब तक जस्टिस वर्मा अपने पद पर बने रहते हैं, तब तक उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू नहीं हो सकती.संविधान में न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह प्रावधान है कि पदस्थ न्यायाधीशों पर आपराधिक मुकदमे उनके पद से हटने के बाद ही चल सकते हैं. महाभियोग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकेगी.

पहले भारत में कब-कब आया है महाभियोग प्रस्ताव?

महाभियोग की प्रक्रिया भारत में अब तक केवल गिनी-चुनी बार ही हुई है

जस्टिस वी. रमास्वामी (1993)
सुप्रीम कोर्ट के जज वी. रमास्वामी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में लोकसभा में प्रस्ताव लाया गया था.
प्रस्ताव मतदान तक पहुंचा लेकिन कांग्रेस के सांसदों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते प्रस्ताव गिर गया. ये भारत में पहला और इकलौता मौका था जब महाभियोग प्रस्ताव संसद में वोटिंग तक पहुमचा.

Advertisement

जस्टिस सौमित्र सेन (2011)

कोलकाता हाई कोर्ट के जज सौमित्र सेन पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे. राज्यसभा में प्रस्ताव पारित हो गया था. लेकिन लोकसभा में वोटिंग से पहले ही जस्टिस सेन ने इस्तीफा दे दिया.

जस्टिस पी.डी. दिनाकरण (2011)

मद्रास हाई कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश पर भी महाभियोग की कार्यवाही शुरू हुई थी. जांच समिति गठित हुई, लेकिन उन्होंने जांच प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया.

Advertisement

जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ असफल प्रयास (2018)

सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दलों ने प्रस्ताव पेश किया था. उपराष्ट्रपति ने इस प्रस्ताव को प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया था.

संसद में क्या है सियासी गणित

सरकार के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है. राज्यसभा में हालांकि सरकार को विपक्षी समर्थन की जरूरत पड़ सकती है. विपक्षी पार्टियां फिलहाल इस प्रस्ताव पर अपने रुख पर मंथन कर रही हैं. हालांकि विपक्ष के कई सांसद पहले से ही महाभियोग प्रस्ताव के समर्थन में रहे हैं. हालांकि पार्टी के स्तर पर क्या फैसले होते हैं यह देखना रोचक होगा. 

Featured Video Of The Day
Bihar Elections: आ गया NDA का Seat Sharing Formula, किस पार्टी को कितनी सीटें?
Topics mentioned in this article