नकदी बरामदगी मामला: CJI ने जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव शुरू करने की सिफारिश की- सूत्र

नकदी बरामदगी मामले में समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख भी शामिल थे.

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नई दिल्ली:

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाए जाने की सिफारिश की है. प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से जुड़े मामले में उच्चतम न्यायालय समिति की रिपोर्ट साझा की है. जिसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच की है.  सूत्रों के मुताबिक, इसमें न्यायमूर्ति  वर्मा को हटाए जाने की सिफारिश की गई है.

⁠तीन सदस्यीच पैनल की रिपोर्ट के आधार पर ये चिट्ठी भेजी गई है. सीजेआई ने पैनल की रिपोर्ट के साथ न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ साझा किया है.

पैनल ने रविवार को सीजेआई को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. सीजेआई ने जस्टिस वर्मा से रिपोर्ट पर जवाब मांगा था. रिपोर्ट के निष्कर्ष अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं.

उच्चतम न्यायालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश ने आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें तीन सदस्यीय समिति की तीन मई की रिपोर्ट की प्रति तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा से प्राप्त छह मई के पत्र/प्रतिक्रिया की प्रति संलग्न है.''

ऐसा माना जा रहा है कि प्रधान न्यायाधीश ने पहले समिति की रिपोर्ट न्यायमूर्ति वर्मा को भेजी थी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए उनसे जवाब मांगा था.

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरमन की तीन सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपी थी.

समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख भी शामिल थे. दोनों अधिकारी 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे. न्यायमूर्ति वर्मा उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे.

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