- जस्टिस सूर्य कांत 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और बीआर गवई की जगह लेंगे
- सूर्य कांत हरियाणा के पेटवाड़ गांव के रहने वाले हैं, उनके परिवार और गांववालों ने उनसे जुड़ी बातें साझा कीं
- उनके बड़े भाई ऋषि कांत ने बताया कि सूर्य कांत पढ़ाई में तेज थे और उन्होंने किसान-मजदूर दोनों का जीवन देखा है
जस्टिस सूर्य कांत अब 24 नवंबर को देश के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) के तौर पर शपथ लेंगे. वो देश के 53 वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. जस्टिस सूर्य कांत मौजूदा CJI बीआर गवई की जगह लेंगे. NDTV हरियाणा स्थित जस्टिस सूर्य कांत के गांव पहुंचा और परिजनों व गांववालों से भी बातचीत की. चलिए आपको इस खास बातचीत के अहम अंशों से आपके रूबरू कराते हैं.
जस्टिस सूर्य कांत के बड़े भाई हैं मास्टर
जस्टिस सूर्य कांत के गांव पहुंचने पर हमने उनके बड़े भाई ऋषि कांत से खासतौर पर बातचीत की. उन्होंने NDTV को बताया कि उनते पिता संयुक्त पंजाब में संस्कृत के शिक्षक थे. वो चार भाई हैं और सूर्य कांत सबसे छोटे हैं. सूर्य कांत शुरुआत से ही पढ़ाई में होशियार थे और वो खेल कूद में ज्यादा नहीं थे. उन्होंने बताया कि सूर्य कांत में उन्होंने किसान भी देखा है और मजदूर भी. वो आज भी अपने गांव के पुराने लोगों की जानकारी मांगते हैं .
ऋषि कांत के मुताबिक सूर्य कांत एक कवि भी हैं और कॉलेज के समय उनकी एक कविता ' मेंढ पर मिट्टी चढ़ा दो ' बहुत मशहूर हुई थी. वो हाईस्कूल तक गांव के ही स्कूल में पढ़े. ऋषि कांत ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका भाई इतने बड़े पद पर है और सभी को उम्मीद है कि वो हर आम आदमी को इंसाफ देने का काम करे जैसे उन्होंने सेना के जवानों के लिए कानूनी मदद की योजना शुरू की है.
भाभी ने कहा मैंने उन्हें 10 साल की उम्र से जानती हूं
वहीं, जस्टिस सूर्य कांत की भाभी राजबाला ने कहा कि जब वो शादी करके आई थीं तो सूर्य कांत दस साल के थे. वो ज्यादातर उनके साथ ही रहते थे. उनका काम सूर्य कांत को खाना खिलाकर तैयार कर स्कूल भेजने का होता था.राजबाला ने बताया कि सूर्य कांत उनको ' गोदारा साब' कहकर बोलते थे और अब भी कभी- कभी मजाक में कह देते हैं. दरअसल ,उस वक्त हरियाणा के गृहमंत्री गोदारा होते थे. इसलिए सूर्य कांत भाभी को घर के गृहमंत्री मानते हुए ये बोलते थे .पेटवाड़ गांव के लोग भी जश्न मना रहे हैं. उनका कहना है कि जस्टिस सूर्य कांत ने गांव का नाम बहुत ऊंचा किया है. उनके इतने बड़े पद पर होने से गांव के युवाओं को भी कुछ करने की प्रेरणा मिली है.













