संसद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के चौथे दिन राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर चर्चा जारी है. सबसे पहले कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बिल पेश किया. इसके बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge)ने महिला आरक्षण (Nari Shakti Vandan Adhiniyam) को तुंरत प्रभाव से लागू करने की मांग की. खरगे ने हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के प्रसिद्ध कवि कबीरदास के प्रतिष्ठित दोहे "काल करे सो आज कर आज करे सो अब..." का जिक्र किया और कहा कि केंद्र सरकार को नारी शक्ति वंदन अधिनियम (Women's Reservation Bill) तुरंत लागू करना चाहिए. इसे जनगणना और परिसीमन तक नहीं रोका जाना चाहिए.
मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार से महिला आरक्षण बिल में संशोधन करने और 2024 के चुनाव के लिए निचले सदन (लोकसभा) और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने की अनुमति देने की अपील की. वर्तमान में इस बिल के लागू होने से पहले जनगणना और परिसीमन की जरूरत है. ऐसे में महिला आरक्षण के 2029 से पहले लागू होने की संभावना नहीं है.
नड्डा ने दिया जवाब
इसके बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने कबीरदास का जिक्र किया और तेज आवाज में कहने लगे- "काल करे सो आज कर आज करे सो अब..." इसके बाद राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने मुस्कुराते हुए उन्हें अपनी सीट पर बैठने का इशारा किया. फिर सभापति ने बीजेपी प्रमुख और सांसद जेपी नड्डा को जवाब देने के लिए आमंत्रित किया.
‘नो-नो' करने वालों को शासन करना नहीं आया-नड्डा
इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा- "ये बिल महिलाओं पर अहसान नहीं, बल्कि उनका वंदन और अभिनंदन है. अगर ये बिल आज पास होता है, तो 2029 तक 33% महिलाएं सांसद बनकर आ जाएंगी." जेपी नड्डा ने जवाब दिया कि बीजेपी का उद्देश्य राजनीतिक फायदा लेने का नहीं है. सरकार नियमों से काम करती है. पक्का काम करने में विश्वास रखती है. इस पर विपक्षी सांसद ‘नो-नो' करने लगे, तो नड्डा ने कहा कि कि ‘नो-नो' करने वालों को शासन करना नहीं आया. अगर शासन करना आता तो पता होता कि नियम-कानून भी कोई चीज है.
19 सितंबर को पेश हुआ था महिला आरक्षण बिल
बता दें कि नई संसद में 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया. इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा. लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा. इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है. यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा. यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.
परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नए विधेयक में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा. परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा. 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है. इस फॉर्मूले के मुताबिक, विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा. यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है.
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