भारत के मध्यम वर्ग पर जाने-माने इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट और मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर सौरभ मुखर्जी ने एक बड़ी बात कही है. उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि वेतनभोगी नौकरी के दिन अब लद चुके हैं और मध्यम वर्ग को जल्द ही कठोर रि-स्ट्रक्चरिंग के लिए तैयार रहना होगा. मुखर्जी ने एक पॉडकास्ट में कहा है कि अब मिडिल क्लास को सोचना पड़ेगा कि वह अपना खुद का कौन सा काम शुरू करता है.
'अब आप खुद की कंपनी हैं'
भारतवार्ता पॉडकास्ट में मुखर्जी ने कहा, 'वेतनभोगी से बाहर निकलें, वह स्ट्रक्चर अब टूट चुका है.' उनका मानना है कि एक ही कंपनी में कई साल तक काम करके प्रमोशन पाने और सैलरी हाइक का समय अब खत्म हो गया है. आने वाला समय में हर व्यक्ति को एक एंटरप्रेन्योर बनना ही होगा. उनका कहना था कि यह विकल्प नहीं बल्कि जीवन की जरूरत बन जाएगा.
मुखर्जी ने कहा कि आने वाले वर्षों में हर व्यक्ति को खुद को एक स्टार्टअप की तरह देखना होगा. चाहे वह फ्रीलांसर हों, व्यवसायी हों या मल्टी-सोर्स इनकम पर निर्भर व्यक्ति – हर किसी को खुद की मार्केटिंग करनी होगी, अपने कौशल को लगातार अपडेट रखना होगा और अनिश्चितताओं से निपटने की मानसिक तैयारी रखनी होगी.
मौका भी है, चुनौती भी
उनका कहना है कि इस बदलाव से प्रतिभाशाली और मेहनती प्रोफेशनल्स को ज़रूर फायदा होगा. उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट, जो पहले कॉर्पोरेट की सीमाओं में बंधा था, अब फ्रीलांसिंग से कहीं ज्यादा कमा सकता है. लेकिन औसत कर्मचारी के लिए, जो स्थायी नौकरी और सुरक्षा पर निर्भर था, उसके लिए यह समय बेहद कठिन साबित हो सकता है.
'अब खुद बनना होगा CEO और CFO'
मुखर्जी ने मीडिल क्लास की मानसिकता पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, 'हममें से ज्यादातर को बस काम करने और प्रमोशन पाने के लिए तैयार किया गया था. अब वह मॉडल नहीं चलेगा. अब आपको खुद ही अपने जीवन का सीईओ, सीएफओ और इंटर्न बनना होगा.' उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल आर्थिक नहीं बल्कि मानसिक परिवर्तन का दौर है. उनका कहना था, ' जेएफके का एक स्टेटमेंट आज के समय में कारगर है जिसमें उन्होंने कहा था, पहले हम पूछते थे कि कंपनी हमारे लिए क्या कर सकती है, अब हमें पूछना होगा कि हम बाजार में क्या योगदान दे सकते हैं.'